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Hindi Divas : कनाडा के कारल्टन विश्वविद्यालय अटेवा के लिए हिंदी पुस्तक लिख रहे मुरादाबाद के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामानंद शर्मा

Special on hindi day पूर्व प्राचार्य डॉ. रामानंद शर्मा कनाडा की कारल्टन यूनिवर्सिटी के लिए बांसुरी पुस्तक के अलावा एक और किताब काव्य मीमांसा भी शीघ्र प्रकाशित होने जा रही है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 05:05 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 05:05 PM (IST)
Hindi Divas : कनाडा के कारल्टन विश्वविद्यालय अटेवा के लिए हिंदी पुस्तक लिख रहे मुरादाबाद के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामानंद शर्मा
Hindi Divas : कनाडा के कारल्टन विश्वविद्यालय अटेवा के लिए हिंदी पुस्तक लिख रहे मुरादाबाद के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामानंद शर्मा

मुरादाबाद (तेजप्रकाश सैनी)। हिंदी का सम्मान केवल भारत में नहीं नहीं बल्कि विदेश में भी है। कनाडा, अमेरिका स्विटजरलैंड के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। हिंदी का दुनियाभर में सम्मान बढ़ रहा है। इसका श्रेय जाता है हिंदी सेवियों को। हिंदू कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ रामानंद शर्मा कनाडा के कारल्टन विश्वविद्यालय अटेवा के लिए पुस्तक लिख रहे हैं।

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कनाडा के कारल्टन विश्वविद्यालय में हिंदी डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन स्टडीज से जुड़े पेशे से चिकित्सक हर्ष वी. वानीराम दहेजिया (गुजराती) हिंदी के विकास में जुटे हैं। इनके अनुरोध पर भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी से जुड़े चित्रों पर डॉ. रामानंद शर्मा छंद लिखकर कनाडा भेज रहे हैं। डॉ. रामानंद शर्मा ने इस किताब का टाइटल भी बांसुरी सुझाया है। दूसरी किताब  काव्य मीमांसा लिख रहे हैं। 400 पन्ने की इस किताब के 200 पेज लिख चुके हैं जो अगले साल चौखंभा संस्कृत संस्थान वाराणसी से प्रकाशित होगी। डॉ. रामानंद शर्मा हिंदी में रचे बसे और शब्दावली के पुरोधा हैं। इसीलिए देश विदेश में इनकी किताबों पर शोध पत्र भी लिखे गए हैं। हिंदी के अशुद्ध शब्दों के प्रयोग पर वह विभिन्न मंचों के माध्यम से आलोचना भी करते हैं।

डॉ. शर्मा की कई पुस्तकों पर अमेरिका में रिसर्च

न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हिंदी की मुरीद शिक्षाविद् एलिसन बुश ने क्लासिकल हिंदी इन मुगल इंडिया विषय पर रिसर्च कर चुकी है। डॉ. रामानंद शर्मा ने अपनी किताबों में मुगल राजाओं द्वारा हिंदी की ग्रंथावली पर शोध कार्य किया है। इस ग्रंथावली को एलिसन बुश ने अपने रिसर्च पेपर में शामिल किया है और डॉ. रामानंद शर्मा की पुस्तकों को उन्हें पत्र भेजकर सराहा है। पत्र में लिखा है आप की प्रेरणा से आपकी पुस्तकों पर जो रिसर्च की है। वह भारत के ऑक्सफोर्ड प्रेस की ओर से प्रकाशित की जा रही है।

राम रहीम ग्रंथावली पर हिंदी में 32 किताबें

डॉ. रामानंद शर्मा लिख चुके हैं। 33वीं लिखकर तैयार हैं और 34वीं लिख रहे हैं। 52 शोध पत्र एवं सांस्कृतिक लेख और 25 पुस्तकों की समीक्षा कर चुके हैं। जिसमें प्रवासी पंचसई, राकेश गुप्त का रस विवेचन, तुम्हारी पूजा के स्वर भी शामिल हैं। हिंदी में चार शोध परियोजनाएं पर भी इन्होंने अपना हिंदी प्रेम उड़ेला है।

कनाडा की कारल्टन यूनिवर्सिटी में श्री कृष्ण के जीवन पर धार्मिक, आध्यात्मिक, पुरातात्विक समेत कई तरीके से व्याख्यान होता है। यूनिवर्सिटी की ओर से श्री कृष्ण के चित्रों पर आधारित छंद लिखकर मैं स्वयं भेजता हूं। मेरा एक ही उद्देश्य है कि हिंदी ज्यादा से ज्यादा लिखी और बोली जाए। हिंदी को विदेशों में भी अब सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। इसीलिए कनाडा, अमेरिका समेत कई देशों की यूनिवर्सिटी में हिंदी के डिपार्टमेंट हैं। वहां भारतीय मूल के अलावा विदेशी भी हिंदी में रुचि बढ़ा रहे हैं।

डॉ. रामानंद शर्मा, सेवानिवृत्त प्राचार्य, हिंदू कॉलेज मुरादाबाद।

डॉ. शर्मा को अब तक सम्मान व पुरस्कार

1994 संस्कार भारती की ओर से सारस्वत सम्मान।1996 में प्रगतिशील साहित्य का संघ द्वारा साहित्यकार सम्मान। 1999 में महाराष्ट्र दलित साहित्य अकादमी भुसावल द्वारा प्रेमचंद सम्मान। 2000 में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा सम्मान। 2004 में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा सम्मान। 2007 में साहित्य कला मंच की ओर से सम्मान। 2010 में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता समिति की ओर से सम्मान। 2015 में भारतीय भाषा परिषद कोलकाता द्वारा सम्मान। 2015 में साहित्य मंडल श्री नाथ द्वारा (राजस्थान) सम्मान। 2016 में पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज बांदा की ओर से सम्मान। 2016 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ द्वारा सम्मान।- 2016 में विधु चतुर्वेदी स्मारक ट्रस्ट मुरादाबाद द्वारा सम्मान। 2018 में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा सम्मान।


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