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आतंकियों को मृत्युदंड की सजा के लिए हाईकोर्ट भेजी फाइल Rampur News

आतंकी हमले में दोषी चार आतंकियों को मृत्युदंड की सजा के फैसले की फाइल हाईकोर्ट भेज दी गई है। अब हाईकोर्ट से अनुमोदन का इंतजार है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 12:19 PM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 12:20 PM (IST)
आतंकियों को मृत्युदंड की सजा के लिए हाईकोर्ट भेजी फाइल Rampur News
आतंकियों को मृत्युदंड की सजा के लिए हाईकोर्ट भेजी फाइल Rampur News

रामपुर : आतंकी हमले में दोषी चार आतंकियों को मृत्युदंड की सजा के फैसले की फाइल हाईकोर्ट भेज दी गई है। अब हाईकोर्ट से अनुमोदन का इंतजार है।

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क्या है मामला

सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 31 दिसंबर 2007 की रात आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे, जबकि एक रिक्शा चालक की भी मौत हुई थी। पुलिस ने हमले के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें पाक अधिकृत कश्मीर के इमरान शहजाद, पाकिस्तान का ही मोहम्मद फारूख, बिहार के मधुबनी का कौसर, प्रतापगढ़ के कुंडा का सबाउद्दीन, मुंबई गोरे गांव का फहीम अंसारी, बरेली के बहेड़ी का गुलाब खां, मुरादाबाद के मूंढापांडे का जंग बहादुर बाबा और रामपुर के थाना खजुरिया क्षेत्र का मोहम्मद शरीफ शामिल थे। इन सभी के खिलाफ आतंकी हमले का मुकदमा चला। आतंकी हमले के मुकदमे में लंबी चली सुनवाई के बाद पहली नवंबर को अदालत ने फैसला दिया। गुलाब खां और कौसर को दोष मुक्त कर दिया। बाकी छह को दोष सिद्ध करते हुए अगले दिन सजा सुनाई। इसमें इमरान शहजाद, मोहम्मद फारूख, मोहम्मद शरीफ और सबाउद्दीन को फांसी की सजा सुनाई। जंग बहादुर बाबा को आजीवन कारावास और फहीम को 10 साल कैद की सजा मिली। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अमित सक्सेना ने बताया कि आतंकियों को मिले मृत्युदंड की फाइल सोमवार को हाईकोर्ट में अनुमोदन के लिए भेज दी गई है।

गुलाब और कौसर ने दाखिल किए जमानती

सीआरपीएफ आतंकी हमले के मुकदमे में दोष सिद्ध न होने पर बरी कौसर और गुलाब खां ने सोमवार को अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में जमानती दाखिल किए। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अमित सक्सेना ने बताया कि मुकदमे में बरी होने वालों को सीआरपीसी की धारा 437 ए के अनुपालन में जमानती दाखिल करने पड़ते हैं। सरकार उनके बरी होने के फैसले के विरुद्ध अपील कर सकती है। ऐसी स्थिति में अपील पर सुनवाई के लिए उन्हें तलब किया जा सकता है। तब उन्हें सुनवाई के लिए तारीख पर आना पड़ेगा। ऐसा न करने पर उनके जमानती के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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