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बिगड़ी बात तो पालिकाध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख ने समर्थकों संग तोड़ लिया सपा से नाता

पालिकाध्यक्ष रेशमा परवीन, उनके पति पूर्व पालिकाध्यक्ष ने सपा से किनारा कर लिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 09:05 AM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 09:05 AM (IST)
बिगड़ी बात तो पालिकाध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख ने समर्थकों संग तोड़ लिया सपा से नाता
बिगड़ी बात तो पालिकाध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख ने समर्थकों संग तोड़ लिया सपा से नाता

मुरादाबाद : रामपुर के स्वार में पालिकाध्यक्ष रेशमा परवीन, उनके पति पूर्व पालिकाध्यक्ष शफीक अंसारी और ब्लाक प्रमुख कुबरा बेगम ने सोमवार को समाजवादी पार्टी छोड़ दी। उन्होने सपा विधायक एवं पूर्व मंत्री पर ब्लाक प्रमुख के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भीतर घात करने का आरोप लगाया। यह है पूरा मामला

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पालिकाध्यक्ष रेशमा परवीन अंसारी एवं ब्लाक प्रमुख कुंबरा अंसारी सपा शासनकाल में चुनी गई थीं। इससे पहले शफीक अंसारी पालिकाध्यक्ष थे। तब नगर विकास मंत्री रहे आजम खां ने पालिका के लिए खजाने का मुंह खोल दिया था। पालिका ने करोड़ो के विकास कार्य करवाए थे। भाजपा के सत्ता में आते ही ब्लाक प्रमुख की कुर्सी हिलने लगी थी। ब्लाक प्रमुख भी शफीक अंसारी की मामी हैं। इनके खिलाफ भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई, लेकिन सोमवार को प्रस्ताव पास नहीं हो सका। इसके बाद पालिकाध्यक्ष उनके पति और ब्लाक प्रमुख ने पूर्व पालिकाध्यक्ष के आवास पर अपने समर्थकों की बैठक की। सपा विधायक अब्दुल्ला आजम एवं पूर्व मंत्री आजम खां पर ब्लाक प्रमुख के अविश्वास प्रस्ताव में भितरघात करने का आरोप लगा हजारों समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी को छोड़ने की घोषणा कर दी। पूर्व पालिकाध्यक्ष ने कहा की सपा में रहते हुए वह काफी दिनों से घुटन महसूस कर रहे थे, इसलिए इस्तीफा दे दिया।ब्लाक प्रमुख के अविश्वास प्रस्ताव में न तो सपा हारी है और न भाजपा जीती है। नूर हसन ठाकुर, शाकिर मियां, इस्लाम अंसारी, गुड्डू, मुख्तयार खां, दासिम पठान, सलीम खां, बेचा सेठ, हामिद अल्वी, असलम खां, फिरोज आदि मौजूद रहे।

अब सपा से कोई संबंध नहीं

रामपुर: समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष अखिलेश कुमार ने कहा कि स्वार के पूर्व पालिकाध्यक्ष शफीक अंसारी, उनकी पत्नी रेशमा परवीन और ब्लाक प्रमुख कुबरा बेगम का सपा से कोई संबंध नहीं है। काफी दिनों से वह सपा की बैठकों में भी नहीं आ रहे हैं। सपा शासनकाल में वह काम हासिल करने और अपने हित के लिए पार्टी से जुड़े थे। आरोप लगाया कि शफीक अंसारी ने केवल अपने हितों की राजनीति की है। सपा सरकार जाने के बाद से ही वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं।


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