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रामपुर में हाथ से कंट्रोल हो रहा ट्रैफिक

मुरादाबाद(भास्कर ¨सह) : चौराहों पर लाल-हरी लाइटों से कंट्रोल होने वाला ट्रैफिक, पैदल चलने वालों के लिए जेब्रा पट्टी, रात होते ही खुद जलने वाली स्ट्रीट लाइट जैसी व्यवस्थाएं किसी भी शहर को स्मार्ट बनाने के लिए जरूरी हैं। ये संसाधन शहर की यातायात व्यवस्था को भी दुरुस्त करते हैं, लेकिन मंडल के रामपुर शहर में इन संसाधनों का अभाव है। यही वजह है कि यहां के चौराहे और भीड़ वाले बाजार दिन भर जाम से जूझते हैं। ट्रैफिक सिग्नल न होने से हादसों का खतरा बना रहता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 12:08 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 12:08 PM (IST)
रामपुर में हाथ से कंट्रोल हो रहा ट्रैफिक
रामपुर में हाथ से कंट्रोल हो रहा ट्रैफिक

मुरादाबाद(भास्कर ¨सह) : चौराहों पर लाल-हरी लाइटों से कंट्रोल होने वाला ट्रैफिक, पैदल चलने वालों के लिए जेब्रा पट्टी, रात होते ही खुद जलने वाली स्ट्रीट लाइट जैसी व्यवस्थाएं किसी भी शहर को स्मार्ट बनाने के लिए जरूरी हैं। ये संसाधन शहर की यातायात व्यवस्था को भी दुरुस्त करते हैं, लेकिन मंडल के रामपुर शहर में इन संसाधनों का अभाव है। यही वजह है कि यहां के चौराहे और भीड़ वाले बाजार दिन भर जाम से जूझते हैं। ट्रैफिक सिग्नल न होने से हादसों का खतरा बना रहता है। पांच साल पहले भेजा गया था सीसीटीवी लगाने का प्रस्ताव, मंजूरी अभी तक नहीं मिली इसी खराब यातायात व्यवस्था की वजह से रामपुर स्मार्ट सिटी की दौड़ से हर बार बाहर हो जाता है। ऐसा नहीं है कि यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए प्रस्ताव नहीं बना, लेकिन इस पर अमल करने में ढिलाई की जा रही है। ट्रैफिक सिग्नल से लेकर चौराहों पर सीसीटीवी लगाने का प्रस्ताव पांच साल पहले बना था। इसे शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन प्रस्ताव पर मंजूरी की मुहर नहीं लग सकी। हालांकि यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन ताडा ने अपने स्तर से प्रयास किए हैं। चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई है। यहां एक पुलिस कर्मी चौराहे के बीच में बने टीन शेड पर खड़ा रहता है और हाथ के इशारे से ट्रैफिक कंट्रोल करता है, जबकि तीन सिपाही दूर खड़े होकर वाहन चालकों पर नजर रखते हैं। यह व्यवस्था दूसरे चौराहों पर भी की जानी थी, लेकिन पुलिस कर्मियों की कमी के चलते एक चौराहे तक ही सीमित होकर रह गई है। व्यापारियों के सहयोग से जगह जगह सीसीटीवी भी लगवाए हैं। आबादी बढ़ी, संसाधन घटे

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जिले की आबादी 26 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। इतनी बड़ी आबादी के साथ करीब तीन लाख छोटे-बड़े वाहनों से होने वाली यातायात समस्या को दूर करने के लिए पुलिस के पास संसाधन नहीं हैं। परिवहन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक एआरटीओ कार्यालय में 235292 दो पहिया वाहन पंजीकृत हैं, जबकि छोटे चार पहिया वाहन कार आदि 13981 का पंजीकरण हुआ है। बड़े कमर्शियल वाहन जैसे ट्रक, बस, कैंटर आदि 14229 पंजीकृत हैं। इसके अलावा बिना पंजीकरण वाले ट्रैक्टर ट्रालियां, ई-रिक्शा, जुगाड़ू वाहनों की भी तादाद 10 हजार से ज्यादा है। इतने बड़ी संख्या में सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों को कंट्रोल करने के लिए मुट्ठी भर ही पुलिस कर्मी हैं। पुलिस की कमी को देखते हुए होमगार्डों को यातायात व्यवस्था में लगाना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं अधिकारी

यातायात पुलिस में एक टीएसआइ, पांच एचसीपी और 15 सिपाही के पद हैं। बढ़ती आबादी और ट्रैफिक के मुताबिक यातायात पुलिस की यह संख्या बेहद कम है। वर्तमान में ट्रैफिक पुलिस की संख्या इससे दोगुनी होनी चाहिए। इसके अलावा शहर में ट्रैफिक सिग्नल व्यवस्था शुरू होने से भी पुलिस की कमी को दूर किया जा सकता है। जगदीश ¨सह, यातायात प्रभारी।


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