RTI : तीन साल में उप्र में 13 अरब दो करोड़ की जीएसटी चोरी
केंद्र सरकार ने देश में टैक्स सुधार के नियम में क्रांतिकारी परिवर्तन करते हुए एक जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लागू किया था। लेकिन जीएसटी चोरी के मामलों में देश में लगातार वृद्धि हो रही है।
मुरादाबाद, रितेश द्विवेदी। केंद्र सरकार ने देश में टैक्स सुधार के नियम में क्रांतिकारी परिवर्तन करते हुए एक जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लागू किया था। एक देश एक टैक्स की भावना को साकार करने के लिए जीएसटी को लागू किया गया था। लेकिन, जीएसटी चोरी के मामलों में देश में लगातार वृद्धि हो रही है। जो सुविधाएं व्यापार को बढ़ाया देने के लिए व्यापारियों को प्रदान की गई थी, उन्हीं का फायदा उठाते हुए सरकार को चूना लगाया जा रहा है।
दैनिक जागरण ने आरटीआइ के माध्यम से वित्त मंत्रालय से कुल 12 सवाल पूछे थे। इन सवालों का जवाब देने की जगह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी हरिराम मीना ने देश के 22 राज्यों के जीएसटी विभाग के मुख्य आयुक्तों को पत्र भेजकर जीएसटी चोरी के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इन्हीं निर्देशों के तहत लखनऊ के गोमती नगर स्थित वस्तु एवं सेवाकर सूचना महानिदेशालय के उप निदेशक अमित कुमार ने केवल दो सवालों की सूचना उपलब्ध कराई है, जिसमें उन्होंने जीएसटी चोरी के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि बीते तीन सालों में प्रदेश में जीएसटी चोरी के 130 मामले दर्ज किए गए हैं। इन दर्ज किए गए मामलों में सूबे में 13 अरब दो करोड़ 12 लाख नौ हजार रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ी गई है। हालांकि, उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि पकड़े गए लोगों की संख्या कितनी है और उन पर क्या कार्रवाई की गई।
सात राज्यों ने उपलब्ध कराई सूचनाएं
जीएसटी चोरी के मामले में वित्त मंत्रालय की ओर से 22 राज्यों में जीएसटी आयुक्तों को पत्र भेजकर सूचनाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे, जिसमें केवल सात राज्यों के द्वारा दो से तीन सवालों की सूचनाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जबकि कुछ राज्यों ने यह कहते हुए सूचनाएं देने से इन्कार कर दिया कि यह सूचनाएं आरटीआइ के तहत नहीं आती हैं। जिन राज्यों के जोन कार्यालय के द्वारा सूचनाएं उपलब्ध कराई गई उनमें चंढ़ीगढ़, उत्तर प्रदेश, कोलकता, बेंगलूरू, विशाखापत्तनम, सूरत, नई दिल्ली का नाम शामिल है।
ऐसे होता है फर्जीवाड़ा
जीएसअी पंजीयन कराने के बाद 90 दिनों तक व्यापार करने की छूट प्रदान की जाती है। इसी दौरान इन्हीं फर्म के नाम पर एक-दूसरे राज्यों में खूब सामान भेजा जाता है। समय पूरा होने के बाद जब इन फर्म की कोई जानकारी जीएसटी विभाग के पास नहीं आती तो इन फर्म के स्थायी पते के साथ ही बिल के आधार पर व्यापारियों की जानकारी एकत्र की जाती है। माल की जीएसटी चोरी करने के लिए इन फर्म को फर्जी नाम-पते पर बनाया जाता है। समय खत्म होते ही इन फर्म के नाम पर बिल और चालान बंद कर दिए जाते हैं।
क्या बोले अधिकारी
जीएसटी चोरी को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर फर्म के सत्यापन में सख्ती की गई है, ताकि फर्जी फर्म का पंजीकरण न हो सके। मुरादाबाद में भी बीते तीन सालों में 15,173 फर्जी फर्म का पंजीकरण रद करके नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।
-अरिंंवद कुमार, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-वन, मुरादाबाद