आजम खां की यूनिवर्सिटी की जमीन पर कब्जा कर सकती है सरकार, सारे सुबूत जौहर ट्रस्ट के खिलाफ
Land of Muhammad Ali Johar University जिला शासकीय अधिवक्ता का कहना है कि जौहर ट्रस्ट की ओर से शर्तों का उल्लंघन किया गया है। सारे सुबूत जौहर ट्रस्ट के खिलाफ हैं इसलिए यूनिवर्सिटी की जमीन पर सरकार कब्जा कर सकती है।
रामपुर, जेएनएन। Land of Muhammad Ali Johar University। सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन को सरकार अपने कब्जे में ले सकती है। उन्हें इस मामले में हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिल सकी है। अब यह मामला अपर जिलाधिकारी की अदालत में विचाराधीन है। मुकदमा भी खुद प्रशासन ने ही जांच पड़ताल के बाद दर्ज कराया है। ऐसे में सारे सुबूत आजम खां के जौहर ट्रस्ट के खिलाफ बन रहे हैं।
सांसद आजम खां की मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर लंबे समय से विवाद है। पिछले साल जुलाई में जमीन कब्जाने के मामले में आजम खां के खिलाफ 30 मुकदमे दर्ज कराए गए थे। प्रशासन ने भूमाफिया भी घोषित कर दिया था। साथ ही किसानों की जमीनों पर उन्हें कब्जा दिला दिया था। चक रोड की जमीन पर बनी इमारतों को भी तोड़ दिया था। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी लघु उद्योग प्रकोष्ठ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयोजक आकाश सक्सेना ने शासन से शिकायत दर्ज की थी कि यूनिवर्सिटी की जमीन खरीदने के मामले में नियमों का उल्लंघन किया गया है। ट्रस्ट को प्रदेश सरकार ने 12.50 एकड से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी थी। तब ट्रस्ट ने गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने और चैरिटी कार्य करने की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। प्रशासन की जांच-पड़ताल में आरोप सही पाए गए। इस पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अदालत में मुकदमा दायर किया गया। ट्रस्ट के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आजम खां ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और इस समय जेल में बंद हैं। इसलिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया जाए, जो सीतापुर जेल जाकर बयान दर्ज करें, लेकिन अदालत ने उनकी यह मांग नहीं मानी। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट चले गए, लेकिन हाईकोर्ट में भी उनकी याचिका लंबित है। अभी तक कोई राहत नहीं मिल सकी है। इस मामले में बुधवार को अपर जिलाधिकारी प्रशासन जगदंबा प्रसाद गुप्ता की अदालत में सुनवाई हुई। जिला शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने अपना पक्ष रखा, लेकिन ट्रस्ट की ओर से उनका पक्ष नहीं मिला। इस पर अदालत ने 20 दिसंबर तक ट्रस्ट को अपना पक्ष लिखित में रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही 24 दिसंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया है।