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निधन तो गोपालदास का हुआ, नीरज को मिला अमरत्व

मुरादाबाद: साहित्य जगत का ऐसा सूरज, जिसकी रोशनी हर किसी को मिली। जिनकी रचनाओं में आम आ

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 09:59 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 09:59 AM (IST)
निधन तो गोपालदास का हुआ, नीरज को मिला अमरत्व
निधन तो गोपालदास का हुआ, नीरज को मिला अमरत्व

मुरादाबाद: साहित्य जगत का ऐसा सूरज, जिसकी रोशनी हर किसी को मिली। जिनकी रचनाओं में आम आदमी का दर्द था, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रृंगार और प्रेम की सशक्त व्याख्या की। जिन्होंने मानवता को बुनियाद बनाकर अपनी रचनाएं लिखीं। साहित्य जगत के ऐसे कालजयी महाकवि पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की याद में शुक्रवार को दैनिक जागरण कार्यालय में परिचर्चा हुई। इसमें साहित्यकारों ने उनके साथ बिताए पल, उनकी रचनाओं की चर्चा कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। याद में आखें भर आईं।

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नीरज जी साहित्य जगत के सूर्य

साहित्यकारों का कहना था कि निधन गोपालदास का हुआ है। नीरज को अमरत्व प्रदान हुआ है। नीरज जैसा सूरज कभी अस्त नहीं होता। वह साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर हैं। संचालन करते हुए डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि नीरज जी साहित्य जगत के सूर्य थे। उन्होंने गरीब और शोषित की बात की। वह साहित्यिक संत थे। साहित्य जगत के वह वटवृक्ष थे। एमएच कॉलेज की प्राचार्य डॉ. मीना कौल ने कहा कि नीरज जी द्वारा लिखे गए गीतों के सामने कोई नहीं ठहरता। समय के किसी भी कालचक्र में उनके द्वारा लिखित गीतों को सुनें, तो ऐसा लगता है कि यह गीत हमें ही देखकर लिखे गए हों। उनके गीत कर्णप्रिय, मनप्रिय और आत्माप्रिय हैं। यही साहित्य का सौंदर्य है। उनके गीतों से किसी ने प्रेरणा नहीं ली। यहीं कारण है कि वर्तमान के गीत व्यक्ति की जुबा पर कुछ समय के लिए ही रहते हैं। गुनगुनाने के लिए वर्तमान समय का कोई गीत याद नहीं रहता। हमें यह दुख है कि हमें उनसे मिलने का कभी मौका नहीं मिला। कवि योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा कि उनकी रचना सृजन को पूरे विश्व में ख्याति मिली। एक गीत पढ़कर उन्होंने श्रद्धाजलि अर्पित की। कहा कि समा गया नभ में गीतों का एक और नक्षत्र..मुश्किल है बेहद मुश्किल है, नीरज हो पाना। कवि कृष्ण कुमार नाज ने कहा कि आसुओं का सदुपयोग करने वाले कवि हो जाते है। अकेले में रोते हैं। निश्चित रूप से नीरज जी के साथ यही रहा होगा। शायर जिया जमीर ने कहा कि जिगर मुरादाबादी और नीरज जी में काफी समानता थी। जिगर ने जहा मुशायरे को नया आयाम दिया, वहीं नीरज के आने से कविता का मंच समृद्ध हुआ। हमारा क‌र्त्तव्य है कि उनकी रचनाओं को हम आने वाली पीढ़ी के बीच ले जाएं।

शायर डॉ. मुजाहिद फराज ने कहा कि उनके गीतों में इंसानियत का दर्द है। गीत सम्राट बनने से मुश्किल काम है वहा टिके रहना होता है। डॉ. जगदीप कुमार ने कहा कि मिट्टी एक दिन में नहीं पकती। विरले लोगों को ही ऐसा सौभाग्य प्राप्त होता है। कवियत्री डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने कहा कि उनकी यादों को संजो न पाने का हमें दुख है। यह बोलते ही वह भावुक हो गई। कवियत्री डॉ. पूनम बंसल ने कहा कि मेरा सौभाग्य रहा कि उनके मंच पर रहते हुए कविता पाठ करने का हमें मौका मिला। गलत पढ़ने पर उन्होंने पास बुलाया और पढ़ने से पहले साहित्य से जुड़े लोगों को रचना दिखाने की सलाह दी। कवियत्री डॉ. अर्चना गुप्ता ने कहा कि पिता उनके साथ पढ़े थे। अक्सर उनके किस्से सुनाया करते थे। पाच साल की उम्र में उनका ऑटोग्राफ लेने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि पापा कहते थे कि नीरज को देख उनके दोस्त कहते थे कि नीरज सबकुछ होगा, पर कविता नहीं। आज पागलों की तरह लोग उनको सुनते हैं। कवियत्री हेमा तिवारी भट्ट ने कहा कि नीरज जी ने सभी को संदेश दिया कि हम जो लिखे वह दीये की तरह हो।

अवाम से था नीरज का रिश्ता

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर मंसूर उस्मानी ने कहा कि नीरज जी का जाना पूरे एक युग का जाना है। उनके जाने से मानव मूल्यों और इंसानियत को नुकसान हुआ है। साहित्य जगत के शिखर पर पहुंचने के बाद भी उनका स्वभाव हमेशा मस्त फकीर की तरह रहा। वह श्रृंगार, फलसफा, अध्यात्म लिखते थे। वह कोई ज्ञानी, ध्यानी कोई सूफी संत नहीं। एक ही घूंट में मस्ताने जहा तक पहुंचे। इन पंक्तियों से उन्होंने अध्यात्म की परिभाषा गढ़ी।

नीरज के लिए सदियों करना पड़ेगा इंतजार

नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने कहा कि नीरज जैसी शख्सियत सदी में एक बार जन्म लेती है। उनकी जैसी शख्सियत के लिए हमें सदियों इंतजार करना पड़ेगा। मंच के वह पहले ऐसे कलाकार थे जिन्होंने अपनी रचनाओं से मुक्त छंद के कवियों और आलोचकों को ध्वस्त कर दिया। उनके द्वारा लिखित छायावाद की कविताएं अलग थी। वह प्रगतिशील कविता से भी जुड़े। उनकी रचनाओं में नेपाली जी की रचनाओं का प्रभाव देखने को मिलता है। खुद इस बात को उन्होंने भी स्वीकारा था। उन्होंने कहा कि जब आज तक हमें निराला नहीं मिला तो नीरज कैसे मिलेगा। नीरज होना सरल नहीं है। उनकी रचनाओं में सामाजिक सरोकार का प्रभाव था। उनकी रचनाएं उन्हें कबीर से जोड़ती है।

समाज का मार्गदर्शन करती है कविताएं

कवि मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि नीरज जी की रचनाएं समाज का मार्गदर्शन करती है। वह मानवता के कवि थे। वह सभी को जोड़ने वाले कवि थे। बुराइयों के प्रति सतर्क करने वाले कवि थे। मेरा यह सौभाग्य है कि शहर में अधिकतर लोगों का नीरज जी से परिचय मेरे माध्यम से हुआ। वह खुद कहते थे कि जो गिरता नहीं, वह उठता नहीं। उठने के लिए गिरना जरूरी है। इससे उनकी सोच की परिधि को समझा जा सकता है।


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