Lockdown impacts games:खेलों के आयोजन बंद, तंगी के दौर से गुजर रहे खेल प्रशिक्षक Rampur News
कोरोना काल से खेल भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। बड़े आयोजनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। कोच आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।
रामपुर,जेएनएन। लॉकडाउन का दौर खेल प्रशिक्षकों और अंपायरों के लिए भी अच्छा नहीं रहा। उनकी जीवनचर्या खेल टूर्नामेंट पर ही निर्भर हुआ करती है। जो कि ढाई महीनों से पूरी तरह बंद हैं। वहीं लॉकडाउन होते ही खेल निदेशालय द्वारा उन की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया। जबकि शासन के आदेश थे कि न तो किसी की सेवायें समाप्त की जाएंगी, न ही वेतन काटा या रोका जाएगा। एक अप्रैल से उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया जाता है, वह भी नहीं किया गया। जिसके चलते ढाई महीने का मनदेय भी उन्हेंं नहीं मिल सका है। इसके चलते वे आॢथक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं।
खेल निदेशालय की ओर से तीन खेल प्रशिक्षकों को यहां नियुक्त किया गया है। जिनमें से दो हॉकी के तथा एक क्रिकेट के कोच हैं। इन्हेंं निदेशालय की ओर से 25 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। 11 महीनों का इनका कॉन्ट्रैक्ट होता है। आरोप है कि वह भी पूरा नहीं दिया जाता। इस बार पहली बार 25 मार्च तक का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। लेकिन, अचानक लॉकडाउन हो जाने के कारण 22 मार्च से 25 मार्च तक का मानदेय रोकते हुए सेवायें समाप्त कर दी गईं। उस के बाद एक अप्रैल से कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण किया जाना था। वह भी नहीं किया गया। दैनिक जागरण से बातचीत में इन लोगों ने अपनी पीड़ा साझा की।
हम लोगों के साथ हुआ अन्याय
एनआइएस खेल प्रशिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष फरहत अली खां ने कहा कि हम लोगों के साथ बहुत अन्याय किया गया है। खेल निदेशालय द्वारा शासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए हमारी सेवायें समाप्त कर दी गई हैं। जबकि मैंने खुद प्रधानमंत्री राहत कोश में अपना एक महीने का मानदेय दान किया था। उम्मीद थी कि एक अप्रैल से सेवायें चालू कर दी जाएंगी। अब तक कुछ नहीं किया गया है। ऐसे में हम लोग आॢथक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं।
मानदेय से हटकर प्राप्त होती थी आय
हॉकी कोच नागेंद्र ठाकुर का कहना है कि हम लोगों को खेल निदेशालय की ओर से 25 हजार रुपये मानदेय दिया जाता है। चार सालों से मैं इस पद पर हूं। साल भर में लगभग 10 टूर्नामेंट हो जाते थे। जिनमें अगर ऑफिशियल के रूप में बुलाया जाता है तो मानदेय से हट कर भी आय प्राप्त हो जाती है। अब ढाई महीने से अधिक हो गया, वह भी बंद है। वहीं सेवायें समाप्त होने से मानदेय भी नहीं मिल सका है। बहुत तंगी का दौर झेलना पड़ रहा है।
मार्च के बाद से नहीं मिला मानदेय
क्रिकेट कोच प्रिया बताती हैं कि निदेशालय द्वारा लॉकडाउन होने पर अचानक हम लोगों की सेवायें समाप्त कर दी गई हैं। जिस से मार्च के बाद से कोई मानदेय नहीं मिला है। मैं गाजियाबाद के मोदी नगर की रहने वाली हूं। यहां किराये पर कमरा ले कर रह रही थी। लॉकडाउन हुआ तो यहां पर ही फंस कर रह गई थी। अनलॉक हुआ तो आठ जून को घर आई हूं। मानदेय न मिलने से कमरे का दो माह का किराया भी नहीं पाई हूं।
प्रिया, क्रिकेट कोच