Lockdown usage:लॉकडाउन में खेलों पर लगा ग्रहण तो यूट्यूब पर सीख लिए कबड्डी के गुर Rampur News
आज के दौर में अधिकतर युवा सोशल साइट्स का गलत इस्तेमाल करते हैं तो उसी दौरान कुछ लोग उसे अपनी तरक्की का हथियार भी बना लेते हैं।
रामपुर (क्रान्ति शेखर सारंग)। आज के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं। लेकिन, कई बार अभावों के चलते उनके करियर का सूर्य उदय होने से पहले ही अस्त हो जाता है। खेल के मैदान से जुड़ी दो ऐसी प्रतिभाएं अपने जनपद में भी हैं। एक ने अभावों के चलते भी हार नहीं मानी, जबकि दूसरे के पैर में फ्रैक्चर से उसके सपने चकनाचूर हो गए।
पैर टूटने के साथ ही टूट गया रेसलर बनने का सपना :
तहसील सदर के मंढौली गांव के किसान गेंदन लाल की पुत्री शिवालिका का रेसलर बनने का सपना अभावों और उपेक्षाओं के चलते टूट कर चकनाचूर हो गया। ऑल इंडिया टूर्नामेंट तक का सफर तय कर चुकी इस खिलाड़ी का एक कुश्ती के दौरान पैर क्या टूटा, उसके सपनों का घरौंदा ही टूट कर बिखर गया। खेल के दौरान पीठ थपथपाने वाले अधिकारी भी मदद के नाम पर कन्नी काट गए। हालातों से लडऩे का बहुत प्रयत्न किया। अंतत: परिवार की मजबूरियों को देखते हुए उसे अपने पांव वापस खींचने पड़े।
बताती हैं कि रेसलिंग कोच विवेक प्रजापति ने उन्हेंं रेसलिंग के लिए प्रेरित किया था। 2015 में स्टेडियम में ही स्थानीय स्तर पर हुई प्रतियोगिता में वह प्रथम रही थीं। उसके बाद जनपद स्तर पर हुई प्रतियोगिता भी जीती। नवंबर 2018 में उनका चयन महाराष्ट्र के औरंगाबाद में आंबेडकर यूनिवॢसटी में हुए ऑल इंडिया टूर्नामेंट के लिए हुआ। वहां भी अच्छा प्रदर्शन किया। 2019 के जनवरी में मुरादाबाद में मंडलीय टूर्नामेंट के दौरान पांव में फ्रैक्चर हो गया। यह उनके जीवन का अभिशाप बन गया। बताती हैं कि उस समय न तो जिला स्तर के स्टेडियम और न ही मुरादाबाद स्टेडियम से कोई सहायता प्राप्त हुई। उनके पिता कहते हैं कि उनकी बहुत चाह थी कि बेटी का सपना पूरा करें। बहुत समझाया उसे, लेकिन हम पर और अधिक बोझ डालने को वह राजी न हुई।
यूट्यूब को कोच बना कर आसमान छूने की तैयारी
आज के दौर में जब अधिकतर युवा सोशल साइट्स का उपयोग व्यर्थ के कामों में कर रहे हैं। जिले के शाहबाद तहसील के भंवरका गांव के रहने वाले सुनील यादव ने यू ट्यूब को अपना कोच बना कर कबड्डी सीखी और प्रदेश स्तर की टीम का हिस्सा बन गया। न कोई कोच, न ही घर के ऐसे हालात कि वह कबड्डी के गुर सीखने के लिए मोटी रकम खर्च कर सके। उसके बावजूद उसने बीते वर्ष अपने धुआंधार प्रदर्शन से हरियाणा में हुई प्रतियोगिता में प्रदेश की टीम को विजयी बनाने में योगदान दिया। भाई की सलाह पर मोबाइल फोन पर यूट्यूब चला कर कबड्डी के गुर सीखने लगे। अब मोबाइल ही उनका कोच था और खेत कबड्डी कोर्ट। आज वह प्रदेश के लिए खेलने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं। उनका स्वप्न अब राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बन कर देश के लिए खेलना है।