स्लाटर हाउस कांड : गलशहीद एसओ, असालतपुरा चौकी इंचार्ज समेत 14 पुलिस कर्मी निलंबित Moradabad News
पुलिस की मिलीभगत से चल रहा था अवैध स्लाटर हाउस। सम्भल मेें तैनात सिपाही पर कार्रवाई के लिए एसपी को भेजा पत्र।
मुरादाबाद, जेएनएन। असालतपुरा स्लाटर हाउस कांड में दोषी मिले गलशहीद थाना प्रभारी दिनेश शर्मा व चार उपनिरीक्षकों समेत 14 पुलिस कर्मियों को एसएसपी अमित पाठक ने निलंबित कर दिया। इसके साथ ही विभागीय जांच बैठा दी। सम्भल में तैनात एक सिपाही के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते उन्होंने एसपी सम्भल को पत्र लिखा है। इस कार्रवाई से उन पुलिस अधिकारियों की धड़कन बढ़ी हुई हैं, जिनकी भूमिका अभी भी जांच के घेरे में है।
ये है पूरा मामला
असालतपुरा स्थित बड़ा अहाता में 23 अक्टूबर की आधी रात पुलिस ने आइपीएस आदित्य लांग्हे के नेतृत्व में छापा मारा। टीम में सिविल लाइन व मझोला थाने की पुलिस शामिल रही। गलशहीद पुलिस को छापेमारी की भनक तक नहीं लगी। बड़ा अहाता से 117 जिंदा और 35 मृत पशु बरामद हुए। वहां से साढ़े दस लाख की नकदी बरामद हुई। भारी मात्रा में पशु मांस व महिषवंशी मिले। 39 लोगों को गिरफ्तार किया गया। महानगर के बीचों-बीच अवैध स्लाटर हाउस के भंडाफोड़ ने गलशहीद पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा कर दिया।
एसपी ट्रैफिक ने पुलिस की भूमिका की जांच
एसएसपी ने गलशहीद पुलिस की भूमिका की जांच करने की जिम्मेदारी एसपी ट्रैफिक सतीश चंद्र को दी। एसपी ट्रैफिक ने स्थानीय लोगों से बातचीत की। उन लोगों से भी पूछताछ की, जो स्लाटर हाउस कांड के आरोपित हैं। इसके साथ तथ्य भी जुटाए। इसमें थाना प्रभारी गलशहीद दिनेश चंद्र शर्मा, चौकी प्रभारी असालतपुरा सुनील कुमार, एसआइ प्रमोद कुमार शर्मा, एसआइ सोनू कुमार, एसआइ अजीत कुमार के अलावा मुख्य आरक्षी विकास कुमार यादव, आरक्षी नौशाद खान, मुहम्मद अनवर, कपिल कुमार, सोमपाल, मनीत प्रताप, अंकित चौहान, दुष्यंत सिंह व आरक्षी चालक सचिन कुमार की मिलीभगत पाई गई। इनको निलंबित कर दिया। इसके अलावा घटना के वक्त गलशहीद थाने में तैनात और इस वक्त सम्भल पुलिस लाइन में तैनात आरक्षी सत्यवीर सिंह भी दोषी मिला। इसके खिलाफ निलंबन की संस्तुति करते एसएसपी ने एसपी सम्भल को पत्र लिखा है। एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि स्लाटर हाउस कांड में अभी कई अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है।
पशु तस्करों की गोद में खेल रहा था गलशहीद थाना
महानगर के असालतपुरा में अवैध स्लाटर हाउस गलशहीद पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा था। अपने ही उच्चाधिकारियों की आंख में धूल झोंककर कानून के रखवाले ही पशु तस्करों के पाले में खड़े हो गए थे। अर्से तक चलेे विश्वासघात के खेल का पटाक्षेप एसएसपी अमित पाठक ने उम्मीद के अनुरूप किया।
गलशहीद थाना प्रभारी दिनेश शर्मा अपने ही बुने जाल में फंस गए। इसका खामियाजा थानेदारी की कुर्सी गंवाकर भुगतना पड़ा। 21 अक्टूबर की रात थानेदार ने बताया कि पशु मांस से भरा एक पिकअप उन्होंने असालतपुरा में पकड़ा है। यहां तक दावा किया कि जिन आरोपितों के कब्जे से वाहन व मांस मिला है, वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पशु मांस का अवैध कारोबार करते थे। थानेदार के इस दावे से सवाल उठा कि महानगर में तस्करों के इतने बड़े नेटवर्क से गलशहीद पुलिस अंजान क्यों और कैसे रही? यह सवाल ही गलशहीद पुलिस के गले की फांस बना।
इसके एक दिन बाद ही एसएसी ने असालतपुरा के बड़ा हाता में छापेमारी करा दी। छापेमारी से गलशहीद पुलिस को दूर रखना इस बात का साफ संकेत था कि एसएसपी को अपने थानेदार पर विश्वास नहीं रहा। अविश्वास के कारण ही एसएसपी ने प्रकरण में पुलिस की संलिप्तता की जांच एसपी ट्रैफिक को सौंपी। जांच में स्लाटर हाउस कांड में लिप्त रहे लोगों के अलावा आसपास के लोगों ने भी माना कि पुलिस पूरे प्रकरण से वाकिफ थी। यह ठोस तथ्य साबित होने के बाद जांच रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी गई।
नया नहीं है साठगांठ का खेल
पुलिस व पशु तस्करों का खेल मुरादाबाद में नया नहीं है। महानगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक मांस की खेप की आवाजाही उजागर होती रही है। जून मई 2019 में मामले ने तब नए सिरे से तूल पकड़ा, जब भोजपुर थाना क्षेत्र में ढेला नदी के तट पर खाली मैदान में दर्जनों की तादाद में मृत पशु मिले। मामले में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने घटना की जांच की। जांच में पता चला कि दिल्ली की ओर से ट्रक में भरकर सम्भल भेजे जा रहे पशुओं ने जाम में फंस कर दम तोड़ दिया। गला छुड़ाने के चक्कर मेंं पशु तस्कर मृत पशुओं को खाली स्थान पर छोड़ कर भाग गए। प्रकरण में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने कार्रवाई तो की, लेकिन इस सवाल का जवाब किसी ने नहीं दिया कि पशुओं की बड़ी खेप जिले के बीचोबीच तक पहुंची कैसे?