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हाल-ए-अस्पताल : रुपये नहीं दिए तो अस्पताल से भगाया, गली में हो गया प्रसव Moradabad Nerws

गुडिय़ा का कहना है कि दाई को देने तक के पैसे हमारे पास नहीं है तो कपड़े खरीदने के लिए पैसे कहां से आएंगे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 09:02 AM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 09:02 AM (IST)
हाल-ए-अस्पताल : रुपये नहीं दिए तो अस्पताल से भगाया, गली में हो गया प्रसव  Moradabad Nerws
हाल-ए-अस्पताल : रुपये नहीं दिए तो अस्पताल से भगाया, गली में हो गया प्रसव Moradabad Nerws

मुरादाबाद (मेहंदी अशरफी)। एक तरफ जहां सरकार सुरक्षित प्रसव कराने के लिए तमाम प्रयास और दावे कर रही है वहीं डॉक्टर इसमें पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रसव पीड़ा होने पर लाइनपार की महिला जब अस्पताल पहुंची तो रुपये न देने की वजह से उसे लौटा दिया गया।

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ठिठुरते हुए पहुंची थी महिला 

क्रिसमस की रात साढ़े आठ बजे कड़ाके की ठंड में ठिठुरते हुए किसी तरह से लाइनपार की गुडिय़ा अपने भाई को लेकर महिला अस्पताल पहुंची। उन्हें उम्मीद थी कि जननी सुरक्षा योजना के तहत बेहतर और सुरक्षित प्रसव हो सकेगा लेकिन, यहां स्टाफ ने खून की रिपोर्ट और आइडी न होने की बात कहते पहले परेशान किया। बिट्टू का आरोप है कि वहां तैनात स्टाफ ने तीन हजार की डिमांड कर दी। रुपये न होने की बात कहने पर उसे भगा दिया। बिट्टू ऑटो से जब बहन को लेकर लाइनपार पहुंचा तो हनुमान नगर गली के मोड़ पर प्रसव हो गया। बिट्टू ने परिवार के लोगों को जानकारी दी तो पिता किशनलाल मौके पर पहुंचे। परिवार के लोग महिला व बच्चे को लेकर घर पहुंचे। बच्चे का नाल सब्जी काटने वाली छुरी से काटा गया। 

रात में वसूली गैंग रहता है अलर्ट 

महिला अस्पताल में स्टाफ के रूप में वसूली गैंग अलर्ट रहता है। मरीज अनपढ़ है तो उससे तीन से चार हजार की वसूली कर ली जाती है। वहीं आशा कार्यकर्ताओं का गैंग भी निजी अस्पताल ले जाने के लिए मरीज को बहकाने का काम कर रहा है। इसके लिए उन्हें तीन हजार रुपये निजी अस्पताल से मिल जाते हैं। 

आठ हजार रुपये में परिवार का खर्च 

दिल्ली का राजू वहीं  नागलोई में एक दुकान पर काम करता है। घर में कोई करने वाला नहीं था तो उसने अपनी गर्भवती पत्नी गुडिय़ा को मुरादाबाद में उसके मायके भेज दिया था। अपनी पूरी तनख्वाह आठ हजार रुपये वह ससुराल में भेज देता था ताकि पत्नी गुडिय़ा का सुरक्षित प्रसव हो सके। वजह ससुर किशन लाल की भी तबीयत ठीक नहीं रहती है। ऐसे में घर का खर्च ही पूरा नहीं हो पाता है, तो अन्य खर्च के लिए सब्र करना पड़ता है। 

बच्चे के लिए नहीं हैं कपड़े 

परिवार के हालात दयनीय हैं। प्रसव के बाद बच्चे को रखने के लिए गर्म कपड़े तो दूर की बात रही नार्मल कपड़े तक नहीं पहनाए गए। बिट्टू की जैकेट में ही बच्चे को रखा गया है। 

 ये बोली सीएमएस 

अस्पताल में स्टाफ इस तरह की हरकत नहीं कर सकता है। मरीज द्वारा स्टाफ की शिकायत की गई है। आरोपित कर्मचारियों की पहचान कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

डॉ. कल्पना सिंह, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक महिला अस्पताल 

गर्भवती को दुत्कारा, शौचालय में जन्मा मृत बच्चा

अमरोहा।  जिला चिकित्सालय में एक बार फिर चिकित्सकों ने पेशे को कलंकित कर दिया। दर्द से कराहती गर्भवती को यह कहते हुए दुत्कार दिया कि बच्चा गर्भ में मर चुका है, इसे निजी अस्पताल में ले जाओ। बदहवास परिजन उसे उठाकर निजी अस्पताल में भागे। वहां अभी उपचार भी शुरू नहीं हुआ था कि गर्भवती को शौचालय में प्रसव हो गया। मृत बच्चा पैदा हुआ। बमुश्किल गर्भवती की जान बची है। तहसील मंडी धनौरा के गांव फौलादपुर निवासी सचिन कुमार की पत्नी 28 वर्षीय ज्योति गर्भवती थी। जिला अस्पताल अमरोहा के चिकित्सकों की देखरेख में ही गर्भकालीन उपचार भी चल रहा था। शुक्रवार सुबह के समय ज्योति को पीड़ा हुई तो सवा आठ बजे सरकारी एंबुलेंस को कॉल किया गया।  एंबुलेंस गांव पहुंच गई और मरीज को लाकर करीब सवा नौ बजे जिला अस्पताल भर्ती करा दिया। पर्चा भी बना, जांच-अल्ट्रासाउंड भी हुआ। उसके आधे घंटे बाद ही चिकित्सकों ने सचिन को बताया कि गर्भवती की हालत खराब है, यहां इलाज नहीं हो सकता, उसे किसी निजी चिकित्सालय में ले जाओ। परिजनों ने वहीं पर इलाज के लिए मिन्नतें कीं, लेकिन चिकित्सकों का दिल नहीं पसीजा। चूंकि एंबुलेंस भी जा चुकी थी, सचिन बाहर से ऑटो बुक करके लाया और रोते-पीटते गर्भवती को एक निजी नर्सिंग होम में लेकर गया। चिकित्सकों ने रिपोर्ट देखी, जो कि नकारात्मक थी, फिर भी वे गर्भवती पर तरस खाकर उपचार को तैयार हुए। इससे पहले गर्भवती शौचालय गई लेकिन वहीं पर प्रसव हो गया। लगभग मृत शिशु फर्श पर गिर पड़ा। अस्पताल के स्टाफ ने तुरंत पहुंचकर गर्भवती को संभाला, भर्ती कर उपचार शुरू किया। काफी खून बह चुका था, महिला की बमुश्किल जान बच पाई। पति सचिन का कहना है कि पहले से ही जिला अस्पताल से उपचार चल रहा था, वे तो इसी भरोसे गए थे, लेकिन उन्होंने धोखा दिया। वे चिकित्सकों के खिलाफ जिलाधिकारी व शासन में शिकायत करेंगे।इधर, सीएमएस डॉ रामनिवास यादव तो पल्ला ही झाड़ गए, बोले- बच्चे की मौत तो निजी नर्सिंग होम में हुई है, फिर बोले- मैं कल अपने चिकित्सकों से मामले की जानकारी लूूंगा। 

बेहद गंभीर और संवदेनशील मामला है। जिला अस्पताल के चिकित्सकों से ऐसे अपेक्षा नहीं होती है, किसी भी हाल में उन्हें मरीज का इलाज करना था या रेफर करना था। कहां चूक हुई, किससे हुई, वे जांच कराएंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे। - उमेश मिश्र, जिलाधिकारी, अमरोहा। 


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