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बाढ़ राहत सामग्री भी किसानों के दर्द को नहीं कर पा रही कम

मुरादाबाद : बाढ़ के पानी से रामगंगा नदी किनारे बसे सभी गावों के किसान प्रभावित हुए हैं। हर प

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 06:13 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 06:13 AM (IST)
बाढ़ राहत सामग्री भी किसानों के दर्द को नहीं कर पा रही कम
बाढ़ राहत सामग्री भी किसानों के दर्द को नहीं कर पा रही कम

मुरादाबाद : बाढ़ के पानी से रामगंगा नदी किनारे बसे सभी गावों के किसान प्रभावित हुए हैं। हर परिवार बाढ़ का दंश झेल रहा है। हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो जाने से किसानों के घरों में मातम का माहौल है। किसी के घर सब्जी नहीं तो किसी का बच्चा बीमार पड़ा है। वहीं राहत सामग्री के नाम पर सरकार ने चंद पैकेट ही भिजवाए हैं। बुधवार को बाढ़ के पानी से घिरे कुंदरकी के अब्दुल्लापुर गाव में प्रधान सिर्फ 20 लोगों को बाढ़ राहत सामग्री बाटने पहुंचे। इससे खफा शातिदेवी, मगनदेवी, सीमा रानी, कुसुम, रजनी, ममता, नीरू, हरप्यारी, रामवती, प्रेमवती, केला देवी, रेखावती, मुकेश देवी, सुंदरवती आदि महिलाओं ने हंगामा खड़ा कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि गाव का हर परिवार बाढ़ से पीड़ित है, लेकिन चंद लोगों को ही राहत सामग्री क्यों दी जा रही है। राहत सामग्री तो सभी को मिलनी चाहिए। इसका जवाब किसी के पास नहीं था। हर साल झेलनी पड़ती है मार

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कुंदरकी विधानसभा का अब्दुल्लापुर गाव जैतवाड़ा ग्राम पंचायत में आता है। यहा हर साल बरसात में लोगों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है। रामगंगा नदी पर आने-जाने के लिए पुलिया बनी है, लेकिन इस पुलिया से 15 दिन बाद भी बाढ़ का पानी तेज गति से बह रहा है। जिसकी वजह से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त है। पानी से होकर जान-जोखिम में डालकर ही ग्रामीण आते-जाते हैं। गाव को अभी भी बाढ़ के पानी ने घेर रखा है। बाढ़ प्रभावित गाव गोविंदपुर कला, गौमदपुर सुल्तानपुर, नगला जटनी गौतरा का भी यही हाल है, लेकिन उनका दर्द बाटने वाला कोई नहीं है। बीस दिन से स्कूल नहीं गई बेटिया

खादर क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। परिषदीय स्कूलों में पानी भरा होने से ताले लटके हुए हैं। कई गाव बाढ़ के पानी की वजह से टापू बन गए हैं। जिसकी वजह से बच्चे घरों में कैद हो गए हैं। कुंदरकी के अब्दुल्लापुर गाव की बेटिया तो बीस दिन से स्कूल नहीं गईं हैं। 100 से ज्यादा स्कूलों में अभी भी ताला

रामगंगा, ढेला और दमदमा नदियों के पानी से किसानों की फसलें तो तबाह हो ही गईं हैं, उनके बच्चों की पढ़ाई भी चौपट है। बाढ़ प्रभावित इलाकों के 148 स्कूलों में से कुछ में ही शिक्षकों ने जाना शुरू किया है। लेकिन 100 से ज्यादा स्कूलों में अभी तक ताला ही पड़ा है। डिलारी रोड पर इस्लामनगर के प्राथमिक विद्यालय में पानी भरने की वजह से कोई बच्चा स्कूल नहीं आ रहा है। कुंदरकी के अब्दुल्लापुर गाव के दोनों परिषदीय स्कूलों में ताले लटके हैं। बुधवार को जागरण टीम पहुंची तो एक परिषदीय स्कूल में गाव के कुछ युवक जुआ खेल रहे थे। बाढ़ प्रभावित गाव अक्का शाहपुर, गनीनगर, मोहब्बतपुर, सैदपुर, चटकाली, काफियाबाद सहित कई गावों के स्कूलों में न बच्चे स्कूल आ रहे हैं और न ही शिक्षक पहुंचते हैं। जिससे बाढ़ प्रभावित इलाके के इन गावों में पढ़ाई चौपट है। बनाना चाहिए पुल

प्रतिज्ञा का कहना है कि बाढ़ के पानी से गाव घिरा होने की वजह से हम स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। हमारे गाव के लिए पुल बनना चाहिए। पूजा का कहना है कि चुनाव के समय नेता भी खूब आते हैं। पुल बनवाने का वादा भी कर जाते हैं, लेकिन सिर्फ पुलिया ही बन पाई है।

पानी से घिरे गावों में फसलें तबाह

किसानों ने रात-दिन मेहनत करके धान की फसल को पालते हुए तमाम सपने देखे थे, लेकिन बाढ़ के पानी ने किसानों के सपने तोड़ ही दिए। पानी-पानी हुए जंगल में धान की फसल खेतों में ही सड़ने लगी है। किसानों को गन्ने की फसल से कुछ उम्मीद बची थी, लेकिन 15 दिन से खेतों में पानी भरा होने की वजह से गन्ने की फसल भी बर्बाद हो रही है। इस तरफ गन्ने की फसल भी बाढ़ से बर्बाद किसानों के आसू नहीं पोंछ पाएगी। जिले में रामगंगा सहित तीन नदियों के पानी से आई बाढ़ से कुंदरकी, डिलारी, भगतपुर ब्लाकों और काठ तहसील के करीब 70 गाव प्रभावित हैं। इनमें से ज्यादातर गावों के जंगलों में पानी भरा है। करीब 20 गावों को अभी भी पानी ने घेर रखा है। बाढ़ के पानी से हजारों बीघा फसल नष्ट हो गई है। पानी जल्द खेतों से निकलने पर किसानों को गन्ने की फसल से कुछ उम्मीद थी, लेकिन पानी पंद्रह दिन से खेतों में खड़ा है। अभी जल्दी से पानी के निकलने आसार भी नहीं है। जंगल में पानी का यही हाल रहा तो गन्ने की फसल को भी बर्बाद होने से कोई नहीं रोक पाएगा। बाढ़ के पानी ने घर की दूरी बढ़ा दी

बाढ़ के पानी ने ग्रामीणों के घर की दूरी ही बढ़ा दी। कुंदरकी ब्लाक के नगला जटनी गाव के लोगों को 45 किलोमीटर का सफर तय करके अपने घर पहुंचना पड़ रहा है। जबकि जैतवाड़ा गाव के रास्ते होकर उनके गाव की मुरादाबाद से दूरी 18 किलोमीटर है। नगला जटनी गाव जाने के लिए मुरादाबाद से बिस्कुट फैक्ट्री होकर फरहेदी के रास्ते जैतवाड़ा होकर जाया जा सकता है, लेकिन इन दिनों बाढ़ के पानी की वजह से जैतवाड़ा गाव के पास रामगंगा पर बने पुल से आगे का रास्ता बंद हैं। इस मार्ग पर पानी बह रहा है। इसलिए वाहनों से किसी भी हालत में नहीं जाया जा सकता है। ऐसे में सैफनी होकर ग्रामीण नगला जटनी पहुंच रहे हैं। इसके लिए उन्हें 45 किलोमीटर का सफर तय करना होता है। यही हाल डिलारी ब्लाक के गाव का है। विवेकानंद अस्पताल से डिलारी जाने वाले रास्ते पर बने लकड़ी के पुल को हटा देने के बाद से कई गाव का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है, लेकिन अभी तक प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर गहरे पानी से निकल रहे हैं।


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