मुरादाबाद में पहचान पत्र दिखाकर ही किसानों को मिलेगा उर्वरक, कालाबाजारी रोकने का प्रयास
प्रशासन ने उर्वरक की कालाबाजारी रोकने के लिए दुकानदारों शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पहचान पत्र दिखाकर ही किसानों को धान की रोपाई और गन्ने की फसल के लिए उर्वरक मिलेगा। भौतिक स्टाक का मिलान पीओएस मशीन से समय-समय पर कराया जाएगा।
मुरादाबाद, जेएनएन। प्रशासन ने उर्वरक की कालाबाजारी रोकने के लिए दुकानदारों शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पहचान पत्र दिखाकर ही किसानों को धान की रोपाई और गन्ने की फसल के लिए उर्वरक मिलेगा। जिला कृषि अधिकारी रितुषा तिवारी ने बताया कि फुटकर विक्रेताओं के भौतिक स्टाक का मिलान पीओएस मशीन से समय-समय पर कराया जाएगा। सभी थोक विक्रेता स्टाक सही रखें।
विक्रेता के पास स्टाफ पंजिका, विक्रेय पंजिका और रसीद होना अनिवार्य है। बोर्ड पर रेट अंकित होना चाहिए। कृषक की पहचान आधार कार्ड, राशनकार्ड, जोतबही, पहचान पत्र, बैंक पासबुक से होगी। उर्वरक लेने के लिए इनमें से कोई एक पहचान पत्र लेकर विक्रेता के पास जाना होगा। विक्रेता उर्वरक बेचने के बाद किसान का नाम पता अपने रजिस्टर में अंकित करेगा। किसानों को डीएपी, एनपीके की पीओएस मशीन से निकलने वाली रसीद अवश्य दी जानी है। विक्रेता की महंगा उर्वरक बेचने की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई होगी। शारीरिक दूरी का पालन कराने की जिम्मेदारी भी विक्रेता की होगी। किसानों के लिए हाथ होने के लिए साबुन और तौलिया विक्रेता को रखनी होगी। किसी भी तरह की शिकायत होने पर किसान कृषि उप निदेशक और जिला कृषि अधिकारी के मोबाइल नंबर पर फोन करके बताया जा सकता है।
सम्मान निधि के लाभ के लिए ठीक कराएं त्रुटियां : रामपुर के उप निदेशक कृषि नरेंद्र पाल ने बताया कि किसानों की आय बढाने एवं कृषि निवेशों को क्रय करने में वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है। जनपद में कुछ ऐसे किसान जिनके द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए आनलाइन आवेदन कराया गया था, लेकिन आवेदन कराते समय उनका आधार नंबर गलत हो गया या कुछ किसानों का ऑनलाइन आवेदन करने पर उनका नाम आधार में अंकित नाम के अनुसार फीङ नहीं हुआ। इस कारण ऐसे किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसे सभी किसान अपने आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति लेकर संबंधित प्रभारी, राजकीय कृषि बीज गोदाम अथवा कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी के माध्यम से अपने डाटा को संशोधित करा लें। जिससे उनको योजना का लाभ मिल सके।