पुलिस लाइन में फंदे से झूलकर फालोवर ने की खुदकुशी, जेब में मिला सुसाइड नोट
सुसाइड नोट कुछ और ही संकेत दे रहा है। उसमें साफ लिखा है कि रोज-रोज की बीमारी से तंग हूं। यानि कि कोई ऐसी बीमारी अथवा परेशानी से फालोवर हर रोज जूझ रहा था जिससे त्रस्त होकर उसे मौत को गले लगाना पड़ा।
मुरादाबाद, जेएनएन। पुलिस लाइन मुरादाबाद सभागार कक्ष के ठीक बगल में स्थित किचेन के हेड फालोवर चंद्र सिंह बिष्ट ने सोमवार शाम फंदे से झूलकर खुदकुशी कर ली। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस महकमे में अफरातफरी मच गई। आइजी रमित शर्मा व एसएसपी प्रभाकर चौधरी समेत पुलिस के अन्य उच्च अधिकारियों ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। मूलरूप से उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले हेड फालोवर की जेब से पुलिस ने पांच लाइन का एक सुसाइड नोट बरामद किया है। पुलिस लाइन परिसर में 18 दिन के भीतर खुदकुशी की यह दूसरी घटना है।
आरआइ इंद्रवीर सिंह के मुताबिक फालोवर चंद्र सिंह बिष्ट मूलरूप से उत्तराखंड के चमोली जिले के थाना कर्णप्रयाग स्थित ग्राम कंशुला का निवासी था। चंद्र सिंह बिष्ट वर्षों से मुरादाबाद में पुलिस फालोवर के रूप में कार्यरत था। वह पुलिस लाइन परिसर स्थित सी-42 में सपरिवार रहता था। चंद्र सिंह बिष्ट के साथ ही फालोवर विजय, अमरदीप व मोहन राणा पुलिस लाइन सभागार के ठीक बगल में स्थित किचेन का कामकाज देखते थे। सोमवार को शाम करीब साढ़े चार बजे सीओ हाईवे अनिल यादव पुलिस लाइन परिसर स्थित अपने कार्यालय में थे। उन्होंने चाय पीने की इच्छा जताई। उच्चाधिकारी के आदेश पर फालोवर विजय पुलिस लाइन सभागार से सटे किचेन कक्ष में पहले गया। फिर वह किचेन कक्ष के भीतर स्थित स्टोर रूम की ओर बढ़ा। वहां का नजारा देख विजय के होश उड़ गए। चंद्र सिंह बिष्ट वहां छत से बंधे गमछे से लटका मिला। विजय ने शोर मचाया। घटना की जानकारी सहकर्मियों व आरआइ को दी। कुछ ही देर में आइजी रमित शर्मा, एसएसपी प्रभाकर चौधरी, एसपी सिटी अमित कुमार आनंद, एसपी आरए विद्या सागर मिश्र मौके पर पहुंच गए। तलाशी के दौरान फालोवर की जेब से एक सुसाइड नोट, स्कूटी की चाबी, बीड़ी का एक बंडल व मोबाइल फोन मिला। पुलिस की फोरेंसिक टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। सुसाइड नोट पर चंद्र सिंह बिष्ट के हस्ताक्षर का मिलान हुआ। प्रथम दृष्टया सिग्नेचर फालोवर का होने की पुष्टि हुई है।
रोज रोज की बीमारी का किस्सा आज खत्म कर दूंगा
सिविल लाइन थाना प्रभारी नवल मारवाहा ने बताया कि फालोवर की जेब से जो सुसाइड नोट मिला, उससे मौत का कारण साफ नहीं है। कागज के एक छोटे से टुकड़े पर पांच लाइन के सुसाइड नोट में चंद्र सिंह बिष्ट ने लिखा है कि रोज रोज की बीमारी से मैं तंग आ हूं। आज सारा किस्सा किस्सा ही खत्म कर दे रहा हूं। इसके बाद फालोवर ने नीचे अपने दस्तख्त किए हैं।
सुसाइड नोट बयां कर रहा फालोवर के दर्द की कहानी
फालोवर चंद्र सिंह बिष्ट का सुसाइड नोट भले ही कागज के एक टुकड़े पर पांच लाइन में सिमटा हो, लेकिन उसके सीने में दफन दर्द उजागर हो चुका है। नाम न छापने की शर्त पर पुलिस लाइन में तैनात पुलिस कर्मियों ने बताया कि चंद्र सिंह बिष्ट जिंदादिल इंसान था। उसके दो बच्चे हैं। बड़ा बेटा अमित व बेटी अंजली देहरादून में एक साथ रहकर पढ़ाई करते हैं। जबकि चंद्र सिंह बिष्ट व उनकी पत्नी रूपा सिंह बिष्ट मुरादाबाद में रहते थे। दंपती के मिलनसार स्वभाव से हर कोई प्रभावित था। यही वजह है कि चंद्रसिंह बिष्ट द्वारा अचानक खुदकुशी करने की घटना किसी के गले नहीं उतर रही है।
खुदकुशी की घटना की जांच शुरू कर दी गई है। फौरी तौर पर मृतक के स्वजनों से कुछ खास जानकारी नहीं मिली। पता चला है कि चंद्र सिंह बिष्ट बीते सात वर्ष से पुलिस लाइन में कार्यरत था। जिस गमछे से उसने खुदकुशी की, वह घर से लेकर आया था। जिस पर्ची का इस्तेमाल सुसाइड नोट लिखने के लिए हुआ, वह ड्यूटी पर्ची थी। अभिलेखों भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि फालोवर की ड्यूटी पुलिस लाइन में ही थी। फालोवर ने किस परिस्थिति में आत्मघाती कदम उठाया, इस सवाल का जवाब एक से दो दिन में मिल जाएगा।
प्रभाकर चौधरी, एसएसपी मुरादाबाद।