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Fake telephone exchange case : मोबाइल सिम बॉक्स से देश की आंतरिक सुरक्षा में लगाई जा रही थी सेंध, सामने आए चौंकाने वाले सच

देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए मोबाइल सिम बॉक्स बड़ा खतरा बन गया है। इंटरनेशनल कॉल को सिम बॉक्स में लैंड कराकर बात कराने के मामले में नोएडा पुलिस ने एक गिरोह को पकड़ा था। इस गिरोह का सरगना मुरादाबाद का ओवेश आलम है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 05:55 AM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 05:55 AM (IST)
Fake telephone exchange case : मोबाइल सिम बॉक्स से देश की आंतरिक सुरक्षा में लगाई जा रही थी सेंध, सामने आए चौंकाने वाले सच
बीते चार साल में यूपी के साथ मुंबई, दिल्ली और पटना में पकड़े गए निजी मोबाइल एक्सचेंज।

मुरादाबाद [रितेश द्विवेदी] । देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए मोबाइल सिम बॉक्स बड़ा खतरा बन गया है। इंटरनेशनल कॉल को सिम बॉक्स में लैंड कराकर बात कराने के मामले में नोएडा पुलिस ने एक गिरोह को पकड़ा था। इस गिरोह का सरगना मुरादाबाद का ओवेश आलम है। मझोला पुलिस ने छापेमारी करके उसके घर में सात सिम बॉक्स के लगभग दो सौ मोबाइल सिम बरामद किए हैं। इस मामले में पुलिस के साथ खुफिया विभाग के अधिकारी जांच में जुट गए हैं। जांच टीम अब इस बात की पड़ताल कर रही है, कि इस सर्वर एक्सचेंज के माध्यम से किन लोगों की बात कराई जाती थी। विदेश से कॉल करने वाले के बारे में मोबाइल सिम बॉक्स से जानकारी नहीं मिल सकती है, लेकिन इस सर्वर के माध्यम से जिन भी स्थानीय लोगों की बात होती थी, उनकी कॉल डिटेल निकाली जा रही है।

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देश में विदेश से आने वाली कॉल को निजी सर्वर से लैंड कराकर लोकल दरों में बात कराने का यह पहला मामला नहीं है। बीते चार साल में देश के चार राज्यों में सिम बॉक्स से कॉल लैंड कराने वाले लगभग आठ गिरोह पकड़े गए हैं। इंटरनेशनल कॉल को सिम बॉक्स में लैंड कराने का सबसे पहले खुफिया इनपुट जम्मू-कश्मीर में सेना की इंटेलिजेंस विंग को मिला था। इस इनपुट के मिलने के बाद सेना के अफसरों ने मुंबई पुलिस को इसकी जानकारी दी थी। जनवरी 2017 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने इस गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए आरोपित की पूछताछ के बाद यूपी एटीएस इस मामले की जानकारी दी गई थी। 24 जनवरी को यूपी एटीएम वाराणसी, भदोही, सीतापुर के साथ ही लखनऊ में छापेमारी करके 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। गिरोह के यह सभी सदस्य खाड़ी देश में रहने वाले परिजनों से संपर्क करके फिर उन्हें अपने सर्वर से बात कराने का ठेका लेते थे। यूपी और मुंबई में कार्रवाई के बाद बिहार की पटना पुलिस ने 26 नवंबर 2017 को गिरोह को पकड़ा था। पटना पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपितों को गिरफ्तार जेल भेजा था। इन चार राज्यों में छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में सिम बॉक्स और फर्जी सिम बरामद किए गए थे। पुलिस की कार्रवाई के बाद कुछ सालों के लिए यह धंधा लगभग बंद हो गया था। लेकिन, एक फरवरी 2019 को लखनऊ के कृष्णा नगर थाने में यूपी पुलिस ने छापेमारी करके फिर निजी मोबाइल एक्सचेंज को पकड़ा। इसके बाद देश के किसी भी हिस्से में ऐसे प्रकरण सामने नहीं आए। 26 मई 2021 को नोएडा पुलिस के हत्थे चढ़े मुरादाबाद के ओवेश आलम ने खुफिया विभाग के अफसरों की नींद उड़ाकर रख दी है। आइबी के अफसर दोबारा से इन सभी मामलों की कड़ियों को जोड़कर सरगनाओं की तलाश शुरू कर दी है।

मुरादाबाद पुलिस ओवेश की मांगेगी रिमांड

मझोला थाना क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित ओवेश आलम के आवास में मिले निजी मोबाइल एक्सचेंज के बाद फर्जी सिमों से किए गए कॉल रिकार्ड की जानकारी जुटाई जा रही है। एएसपी अनिल कुमार यादव ने बताया कि स्थानीय स्तर उन सभी लोगों की पड़ताल की जाएगी, जो लोग इस मोबाइल एक्सचेंज के माध्यम से बात करते थे। उन्होंने बताया कि इस संबंध पुलिस की एक टीम नोएडा में आरोपित ओवेश से पूछताछ करने के साथ ही उसकी रिमांड लेने की कार्रवाई करेगी। पुलिस को आशंका है कि इस निजी एक्सचेंज के माध्यम से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में विदेश से आने वाली कॉल की लैंडिंग कराई जाती है। आतंकवादी गतिविधियों के लिहाज से मुरादाबाद मंडल के जनपद बहुत ही संवेदनशील है। ऐसे में इस मामले को लेकर पुलिस किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं बरतना चाहती है।

इस तरह होता था एक्सचेंज का संचालन

विदेश से भारत में एक कॉल करने पर आम तौर से 20 से 30 रुपये मिनट की दर से खर्च आता है। इन कॉल से निजी कंपनियां इसमें एक हिस्सा भारत सरकार को भी देती हैं। दूसरा उनका रिकार्ड भी रहता है। निजी एक्सचेंज मोबाइल सिम बॉक्स के जरिए सस्ती दरों पर इंटरनेशनल कॉल कराते हैं। आरोपित ओवेश जैसे अपराधी अपने निजी एक्सचेंज के जरिए सर्वर से इंटरनेशनल वाइस कॉल्स को वीओआइपी (वाइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) में बदल देते थे। विदेश से कॉल करने वाले व्यक्ति का नंबर इसी निजी एक्सचेंज में इंटरनेट कॉल से जुड़ा था। इसके बाद इस कॉल को निजी सर्वर में ट्रांसफर किया जाता था। सर्वर मोबाइल बॉक्स में लगे सिम के जरिए उस कॉल को जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल) में बदलकर संबंधित स्थानीय व्यक्ति के मोबाइल पर सीधे बात कराता था। ऐसे में जो व्यक्ति भारत में बात कर रहा था, उसके मोबाइल में विदेश के नंबर की जगह स्थानीय नंबर डिस्पले होता है। वहीं, बात करने की दर भी लोकल नंबर लगती है।


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