कोरोना संकट में भी मुरादाबाद से खूब दौड़ी 'निर्यात एक्सप्रेस'
मार्च-अप्रैल में काम बंद होने के बावजूद बंदरगाह के लिए ट्रेनें चलती रहीं। खाद की ढुलाई भी जारी रखी।
मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया)। कोरोना संकट में जब पूरी दुनिया थम सी गई, तब भी मुरादाबाद से निर्यात एक्सप्रेस खूब दौड़ती रही। 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन शुरू हो गया था और 31 मई तक देश में अधिकांश कारोबार बंद रहा। कोरोना के कारण विश्व के अन्य देशों में कारोबार व बाजार प्रभावित हुआ। इसके बावजूद मुरादाबाद के कंटेनर डिपो से बंदरगाह तक ट्रेनें चलती रहीं। इसके कई कारण रहे पर मुरादाबाद के निर्यातक विशेष वजह बने।
25 मार्च से लॉकडाउन घोषित होने से पहले तक सामान्य रूप से काम हो रहा था। मुरादाबाद के निर्यातकों के लिए अप्रैल से जुलाई का समय पीक समय होता है। यह सामान क्रिसमस के लिहाज से तैयार होता है। लॉकडाउन घोषित होने के बाद जो कंटेनर फैक्ट्रियों से आइसीडी में पहुंच गए उनकी ढुलाई होती रही। सड़क मार्ग बंद होने के कारण अप्रैल में केवल 20 फीसद ही काम हुआ। 27 अप्रैल को प्रशासन ने निर्यातकों की मांग पर फैक्ट्रियों में तैयार माल को एक्सपोर्ट करने की छूट दे दी। इसके बाद तीन मई के बाद फैक्ट्रियां खोलने की इजाजत मिलना शुरू हो गईं। इसके बाद से कंटेनर एक्सप्रेस ने जो रफ्तार पकड़ी तो जून खत्म होते-होते पिछले पिछले नुकसान की भरपाई कर ली। हालांकि इसके बावजूद 30 फीसद की कमी फिर भी रिकार्ड में शामिल रही। जुलाई में स्थिति पहले से बेहतर है।
उत्तराखंड के कंटेनर भी जाते हैं मुरादाबाद से
मुरादाबाद कॉनकोर आइसीडी से मुरादाबाद के अलावा, प्रदेश के रामपुर, सहारनपुर उत्तराखंड के काशीपुर, रुद्रपुर, खटीमा, लालकुआं, सितारगंज के कंटेनर भी भेजे जाते हैं। इसमें सहारनपुर से लकड़ी के फर्नीचर, रामपुर से मैंथा से बने प्रोडक्ट, उत्तराखंड से चावल, कागज और कागज से बने प्रोडक्ट, पैकिंग मेटेरियल और प्लास्टिक के सामान एक्सपोर्ट होते हैं।
ऐसा बढ़ी ट्रेनों की संख्या
अप्रैल में रेलवे पोर्ट तक निर्यातकों का सामान पहुंचने के लिए 27 कंटेनर ट्रेन से भेजे गए, जबकि सामान्य दिनों में 42 कंटेनर माल ट्रेनों से भेजा जाता था। मई में 26 कंटेनर माल भेजा। जून में अनलॉक हो गया है तो निर्यातकों ने 39 कंटेनर माल भेजा। रेलवे के रिकार्ड के अनुसार तीन माह में 31 फीसद कम कंटेनर ट्रेनें चली है।
क्या बोलीं अधिकारी
निर्यातकों की मांग पर लॉकडाउन में भी कंटेनर ट्रेन उपलब्ध कराई गईं। खाद की ढुलाई के लिए मांग के अनुरूप मालगाड़ी चलायी गई। सीमेंट लकड़ी आदि के लिए मालगाड़ी नहीं चली। चीनी की ढुलाई में लक्ष्य से 136 फीसद अधिक ट्रेनें चलीं।
रेखा शर्मा, प्रवर मंडल वाणिज्य प्रबंधक