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वीआइपी बनने के सपने साकार करने के लिए मुरादाबाद की बहू से उम्मीदें Moradabad News

बैठक में पहुंचने वालों को दहेज लेने-देने से तौबा करने की नसीहत दे रहे थे। ऐसे में उनकी बात समझेगा कौन और सुनेगा कौन ईश्वर ही जाने। डॉक्टर साहब को सोचना होगा कैसे सुधार हो।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 07:02 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 07:02 AM (IST)
वीआइपी बनने के सपने साकार करने के लिए मुरादाबाद की बहू से उम्मीदें  Moradabad News
वीआइपी बनने के सपने साकार करने के लिए मुरादाबाद की बहू से उम्मीदें Moradabad News

मुरादाबाद (मोहसिन पाशा)। कुंदरकी का एक कुनबा हाथ का साथ पकड़कर बेहद उत्साहित है। इस कुनबे को पार्टी की कद्दावर नेता और मुरादाबाद की बहू से बहुत उम्मीदें हैैं, उन्हें लग यह रहा है कि मैडम यूपी में कुछ कमाल कर सकती हैैं। जैसे-तैसे  टिकट मिल जाए तो कल्याण हो जाएगा। इससे वीआइपी बनने का वर्षों पुराना सपना भी साकार हो जाएगा। उन्होंने मुशायरे के बहाने हाथ वाली पार्टी के मालिकों के करीबी बाबा को बुला लिया। बाबा के पुराने चहेतों को यह बात नागवार लगी। वजह साफ है कि वह भी तो हाथ वाली पार्टी के टिकट की लाइन में हैैं। उन्होंने चाहा भी कि बाबा पहले उनके यहां आएं, फिर कुंदरकी जाएं। कार्यक्रम बाबा के नाम  से था तो हाथ वालों को जाना ही था। हद तो उस समय हुई जब उत्साहित नेताजी के खानदान ने बाबा के चक्कर में माननीय दामाद को भी नहीं बुलाया। मुशायरे में इसकी चर्चा रही। 

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दगा कारतूस निकला साहबजादा 

सम्भल की एक विधानसभा के चश्मे वाले नेताजी ने सियासत में खूब मुकाम हासिल किया। कई बार लालबत्ती की ताकत भी मिली तो साहबजादे से लेकर रिश्तेदारों तक के पैर जमीन पर नहीं पड़ते थे। मिलने वालों ने अपने विपक्षियों को पछाडऩे में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। वह दौर भी ऐसा था कि मुकाबला राज परिवार से ही होता था लेकिन, उम्र के साथ उनका सियासी रसूख भी कम होता चला गया। नेताजी की सबसे बड़ी भूल यह रही कि अपना उत्तराधिकारी ही नहीं बना पाए। बेटे में वह खूबी नहीं थी, उसके लिए ताकत के दिनों में कोशिश भी नहीं की। अब चाहकर भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है। साहबजादे की स्थिति अब तो दगे कारतूस की तरह हो गई है। नेताजी उसे कई बार बड़े सियासी घरानों में हाजिरी दिलाने ले जा चुके हैैं लेकिन, कामयाबी नहीं मिल रही। अब चश्मे वाले नेताजी परेशान हैं।

 भैया गर्म पानी ले लो  

 एक थाना प्रभारी गर्म पानी पिलवाने को लेकर इन दिनों चर्चा में हैं। थाने में एंट्री करने पर आप जैसे ही थानाध्यक्ष के कमरे में प्रवेश करेंगे, आपको सुनने को मिलेगा 'भैया बैठ जाओ।Ó इसके बाद पानी की बोतल निकल आएगी। डिस्पोजल गिलास में गर्म पानी भरकर मैडम तुरंत पीने के लिए देती हैैं। दिन भर में उनके पास आने वाले अधिवक्ता हों या फरियादी सभी को आते ही वह गर्म पानी ऑफर करके उनका स्वागत करती हैैं। पानी पीने के बाद ही आगे की बात होती है। एसओ का स्वागत का यह तरीका सभी लोगों को भा रहा है। दर्द लेकर थाने पहुंचने वाली महिलाएं भी उनके स्वागत से खुश हो जाती हैैं। उनका यह अंदाज पुलिस में विश्वास की एक नई इबारत भी लिख रहा है। थाने के बाकी दारोगा भी परिसर में लोगों को खुद पानी पिलाने लगे हैै। अब यह व्यवस्था सभी थानों हो गई है। 

गुड़ खाएं, गुलगुलों से परहेज 

दिल्ली में बैठे एक डॉक्टर साहब इन दिनों वाट्सएप पर मंच बनाकर समाज की कुरीतियां मिटाने चले हैैं। मंच में उनके साथ तमाम लोग जुड़े हैैं लेकिन, धरातल पर काम करने के लिए कोई तैयार नहीं है। मंच पर मैसेज के अदान-प्रदान के अलावा वक्त देने की बात करें तो डॉक्टर साहब ने तीन चार दफा बैठक की लेकिन, ज्यादा लोग जुट नहीं पाए। कुछ नेता टाइप के लोग पहुंच गए। उन्होंने भाषणबाजी करके इतिश्री कर दी। समोसे खाए, चाय पीकर सभी घर चले गए। इसके आगे कुछ नहीं हुआ। भाषण देने वालों में कुछ लोग अपनी बेटियों को लाखों रुपये का दहेज देने पहुंच गए। खुद तो दहेज लेने देने में सबसे आगे हैैं। 


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