मुरादाबाद में इंसानियत की मिसाल, इरशाद ने खून देकर बचाई हिंदू महिला की जान
गर्भवती को ओ पॉजिटिव ब्लड की जरूरत सुनने पर इरशाद खान फौरन पहुंचेे अस्पताल। ब्लड देखकर हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल की कायम।
मुरादाबाद। कौन हिंदू, कौन मुस्लिम, कौन सिख सरदार है, चीरकर देखो नसों को खून की एक धार है। एक शायर का यह शेर कुंदरकी के इरशाद खान पर बिल्कुल सटीक बैठता है। इन्होंने से एक जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हिन्दू गर्भवती को खून देकर उसकी जान बचाई। साथ ही हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की।
कुदरकी ब्लाक के गांव पंडिया में गर्भवती कुसुम का इमरजेंसी में ऑपरेशन होना था।
चिकित्सकों ने कुसुम के स्वजनों से ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप खून की मांग की। स्वजनों में खून के लिए चिंता की लहर दौड़ गई। स्वजनों के काफी प्रयास किया लेकिन कहीं पर भी ओ ग्रुप के ब्लड का इंतजाम नहीं हो पाया, उधर गर्भवती की हालत बिगड़ती जा रही थी। इससे स्वजन परेशान हो उसे और उन्हे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करें। अन्त में स्वजनों ने कुंदरकी हकीम बादशाह खान द्वारा संचालित रक्तदान ग्रुप से मदद की गुहार लगाई। ग्रुप मेंबर नगर निवासी इरशाद खान के संज्ञान में मामला आया तो ईद की तैयारी छोड़ कर गर्भवती को रक्तदान करने आनन -फानन में मुरादाबाद अस्पताल में पहुंच गए।
रक्तदान कर मिला सुकून
वैसे इरशाद पेशे से लैब टेक्नीशियन है। इरशाद खान ने बताया कि गर्भवती महिला की हालात नाजुक थीं। रक्तदान कर ईद की खुशियां मानने में दिल को सुकून मिला। वही कुसुम के भाई ने बताया कि रक्षाबंधन के त्योहार पर खून की कमी पूरी होने पर कुसुम पहले से स्वास्थ्य है। जिससे पर्व पर रौनक ओर बढ़ गई। वही इरशाद ने रक्तदान कर हिन्दू -मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की है ।