60 वर्ष पहले भी टिड्डियों ने बोला था हमला,खूब मचाया था आतंक Sambhal News
दिन रात खेतों में करते थे रखवाली अब कीटनाशक का किया इंतजाम। पुरानी तरीके से ही बचाने की किसानों ने की तैयारी। कई राज्यों में टिड्डी का कहर है।
सम्भल (सचिन चौधरी)। ऐसा नहीं है कि पहली बार ही टिड्डियों के हमले से किसान परेशान हो। इससे पहले वर्ष 1960 में सम्भल जिले में हमला किया था। किसानों ने उस समय फसल बचाने के लिए पूरी-पूरी रात खेतों पर गुजारी थी। जब किसानों ने खेतों पर शोर मचाया और धुआं किया। उसके बाद ही टिड्डियां खेतों से भागे थे।
चन्दौसी क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना कि नवंबर 1960 में टिड्डियों ने हमला किया था। वह इतनी संख्या में थी कि जहां से गुजरीं उस समय आसमान तक साफ नजर नहीं आता था लेकिन, किसानों को टिड्डियों के हमले की जानकारी पहले ही हो चुकी थी। ऐसे में सभी किसान हमले को विफल बनाने के लिए पहले से ही सतर्क थे। मुरादाबाद की तरफ से टिड्डियों के दल ने असमोली क्षेत्र में प्रवेश किया था। खेतों के आसपास धुआं किया। किसी ने ताली बजाई, तो किसी ने थाली बजाई, जिसे जो मिला वह खेत पर लेकर पहुंच गया और उसे बजाने लगा था। शोर इतना किया कि टिड्डी दल बिना रुके ही आगे की तरफ निकल गया। इससे फसल बर्बाद होने से बच गई। एक बार फिर किसानों ने टिड्डियों पर विजय प्राप्त करने के लिए कमर कस ली है। जिला कृषि अधिकारी डॉ. नरेंद्र प्रताप ने बताया कि तेज आवाज, शोर करने से टिड्डी दल रुक नहीं पाएगा। यह भी एक कारगर उपाय है।
उस समय मेरी आयु 23 साल की थी, जब टिड्डियों ने खेतों पर हमला किया था। सभी लोगों ने खेतों पर पहुंचकर धुआं किया और शोर मचाया। इससे बाद टिड्डी दल बिना रुके आगे बढ़ गया था।
-अतर सिंह, निवासी भटपुरा
वर्ष 1960 की बात है। सभी लोग खेतों पर बैठे हुए थे। शाम को चार बजे टिड्डी दल मुरादाबाद की तरफ से आता दिखाई दिया। लोगों ने देखते ही ताली, थाली और शोर मचाना शुरू कर दिया। रात भर खेतों पर ही रहे।
-विशेष कुमार गुप्ता, निवासी भटपुरा