मुरादाबाद में है पांच सौ करोड़ की शत्रु संपत्ति, पांच साल की जांच में कब्जेदार बन गए किराएदार
Enemy Property Occupiers in Moradabad जनपद में शत्रु संपत्तियों पर कब्जे के लिए बड़े गोलमाल किए गए हैं। पांच साल पहले कलेक्ट्रेट के अभिलेखागार से शत्रु संपत्तियों के दस्तावेजों को फाड़कर गायब कर दिया गया था। लंबी जांच के बाद जिला प्रशासन ने मुकदमा दर्ज कराया था।
मुरादाबाद, (रितेश द्विवेदी)। Enemy Property Occupiers in Moradabad : जनपद में शत्रु संपत्तियों पर कब्जे के लिए बड़े गोलमाल किए गए हैं। पांच साल पहले कलेक्ट्रेट के अभिलेखागार से शत्रु संपत्तियों के दस्तावेजों को फाड़कर गायब कर दिया गया था। इस मामले में तीन साल तक चली लंबी जांच के बाद जिला प्रशासन ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने भी दो साल तक जांच करने के बाद जो चार्जशीट दाखिल की।
उसमें कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों का नाम ही निकाल दिया गया। इसके बाद कोर्ट में आपत्ति दाखिल की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में आपत्ति को स्वीकार करते हुए चार्जशीट को वापस करने के साथ ही पुलिस को दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में आरोपित कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अभिलेखागार में तैनात रहे कर्मचारियों को कार्रवाई के नाम पर तहसीलों में तैनाती दे दी गई। दस्तावेज किसने गायब और फाड़े इस पर अभी भी पर्दा पड़ा हुआ है।
कार्रवाई के नाम पर केवल जांच का दायरा बढ़ा दिया जाता है और दोषी कार्यालयों में बैठकर बेफिक्र होकर काम कर रहे हैं।साल 2016 में कलेक्ट्रेट के अभिलेखागार से फसली वर्ष 1365, 1359 और 1556 के खाता संख्या 177, 124, 131 के अभिलेखों को फाड़कर गायब कर दिया गया था। इस मामले की शिकायत मिलने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए थे।
जांच रिपोर्ट में अपर सिटी मजिस्ट्रेट ने पाया था कि अभिलेखागार के दस्तावेजों को फाड़कर तीन फर्जी नकल बनाई गई थी। इन्हीं नकल के सहारे से इस्लाम नगर के सैदपुर खद्दर में स्थित 25 करोड़ की जमीन पर एक व्यक्ति ने दावा कर दिया था। फर्जी नकल के सहारे गृह मंत्रालय में जाकर दावा करने वाले व्यक्ति की जब तीन नकल की जांच जिला प्रशासन के द्वारा की गई, तो वह फर्जी मिली थी।
इसी मामले में 24 मार्च 2019 को जिलाधिकारी के आदेश पर तत्कालीन आरआरके बाबू सर्वेश कुमार ने सिविल लाइंस थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने तत्कालीन मुख्य प्रतिलिपिक रईस अहमद, फराज मुशफिक के साथ ही जमीन पर दावा ठोकने वाले मुहम्मद शमीम के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने जांच के बाद कलेक्ट्रेट के दोनों कर्मचारियों का नाम हटाते हुए एक के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
लेकिन कोर्ट ने इस चार्जशीट को खारिज करते हुए पुनर्विवेचना का आदेश जारी किया है। बीते चार माह से पुलिस भी इस मामले में खामोश बैठी है। जांच के नाम पर बीते पांच सालों से पहले प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस ने केवल मामले में लीपापोती करने का काम किया है। जबकि केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्तियों से कब्जे हटाने के साथ ही विवादों का निस्तारण के निर्देश दिए हैं।
बेदखली की कार्रवाई शुरू होते ही कब्जेदार बने किराएदारः साल 2017 में शत्रु संपत्तियों के कब्जेदारों के खिलाफ जिला प्रशासन ने बेदखली की कार्रवाई शुरू की थी। जिसके बाद शत्रु संपत्ति पर कब्जे करके बैठे लोग खुद को किराएदार बताकर दोबारा से काबिज हो गए थे। प्रशासन ने भी उन्हें किराएदार के रूप में स्वीकार करते हुए उनके कब्जा को बरकरार रखा था। मौजूदा समय में करोड़ों रुपये की कीमत की शत्रु संपत्तियों से जिला प्रशासन को लगभग 20 हजार रुपये प्रतिमाह का किराया मिल रहा है।
गृह मंत्रालय ने दोबारा से मांगी शत्रु संपत्तियों की रिपोर्टः शत्रु संपत्तियों के संबंध में गृह मंत्रालय ने दोबारा से रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मांगने के बाद शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद शत्रु संपत्तियों की जांच की जा रही है। इसके साथ ही इन संपत्तियों को आंकलन करने की कार्रवाई की जा रही है। उपजिलाधिकारी सदर प्रशात तिवारी ने बताया कि सदर तहसील क्षेत्र की सभी शत्रु संपत्तियों का आंकलन करके रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय को भेज दी गई है। अन्य तहसीलों से भी रिपोर्ट भेजी जा रही है।
करोड़ों रुपये के घोटाले,कार्रवाई के नाम पर सालों से जांचः कलेक्ट्रेट में साल 2014 से 2016 के बीच में कई घोटाले हुए। जिसमें शत्रु संपत्ति के साथ ही सीलिंग भूमि घोटाला,कोषागार घोटाला,जेल भूमि घोटाला,ग्रामीण सीलिंग भूमि तारबंदी घोटाले के साथ ही अन्य कई मामलों में कलेक्ट्रेट में तैनात रहे अफसरों का दामन दागदार हुआ है। बीते कई सालों से इन मामलों में जांच के बाद जांच की जा रही है। जबकि आरोपित अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन मामलों को लेकर लगातार सवाल खड़े किए गए। लेकिन दागदारों को बचाने के लिए बस जांच की बात कही गई। कार्रवाई के नाम पर लीपापोती करके फाइलों को बंद कर दिया गया।
क्या कहते हैं अधिकारीः एडीएम प्रशासन सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शत्रु संपत्ति से संबंधित मामलों में पुलिस अपने स्तर से कार्रवाई कर रही है। विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ पूर्व में नियमानुसार कार्रवाई की गई है। इस मामले में दोबारा से रिपोर्ट का संज्ञान लिया जाएगा। सीओ सिविल लाइंस आशुतोष तिवारी का कहना है कि शत्रु संपत्ति में किए गए फर्जीवाड़े से संबंधित मुकदमे की जानकारी की जाएगी। इस मामले में अगर चार्जशीट में बिना तथ्य और साक्ष्य के कोर्ट में जमा किया गया है,तो नियमानुसार विवेचक के खिलाफ उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी।