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अतिक्रमण से मिट रहा नदियों का वजूद

गंगा की सहायक नदी रामगंगा का अस्तित्व अतिक्रमण के कारण विलुप्त होने की कगार पर है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 06:05 AM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 06:05 AM (IST)
अतिक्रमण से मिट रहा नदियों का वजूद
अतिक्रमण से मिट रहा नदियों का वजूद

मुरादाबाद : गंगा की सहायक नदी रामगंगा का अस्तित्व अतिक्रमण के कारण विलुप्त होने की कगार पर है। रामगंगा के भीतर तक बस्तियां बस गई हैं। गगनचुंबी इमारतें रामगंगा के खादर में जिला प्रशासन की कमजोर इच्छा शक्ति को मुंह चिढ़ा रही हैं। यही नहीं ई-कचरा से रामगंगा प्रदूषित हो चुकी है। अवैध रूप से ई-कचरा नदी के किनारों पर खपाए जाने के नाम पर मुरादाबाद विश्वभर में बदनाम हो चुका है। अब से ढाई दशक पहले रामगंगा की धारा सीधे बहती थी। जलस्तर कम होने से लोगों को इसके बीच में आवास बनाने का मौका मिला गया। नगर निगम, जिला प्रशासन, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की जानकारी में होते हुए भी वह इन अवैध बस्तियों को बसाने से नहीं रोक पाए हैं। एक दर्जन बस्तियां रामगंगा में अवैध रूप से बसी हैं। वहीं प्रापर्टी डीलर्स ने कालोनी बसाने के नाम पर रामगंगा के एक बड़े हिस्सा पर कब्जा कर लिया है। अतिक्रमण की हो गई शिकार

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विवेकानंद पुल से रामगंगा जलधारा सीधी चलती है, लेकिन यहां आगे शहर की ओर आते ही अतिक्रमण का शिकार हो गई। रामगंगा विहार स्थित मोक्षधाम से आगे इसकी तलहटी में प्लाटिंग ने रामगंगा की धारा को सीधे बहने से रोक दिया है। रामगंगा विहार से पीतल बस्ती तक रामगंगा नदी में अतिक्रमण है। जब बाढ़ आती है तो रामगंगा अपने पुराने अस्तित्व में होती है और रामगंगा किनारे बसी अवैध बस्तियों में पानी घुसता है। रामगंगा की अपनी चौड़ाई करीब 800 मीटर मानी जाती है। इसी में कभी इस पार तो कभी उस पार कटान करके रुख बदलती है। रामगंगा ने जब शहर के दूसरी छोर की ओर से रुख किया तो भूमाफिया को इसके किनारे कब्जा करने का मौका मिल गया। अतिक्रमण से रामगंगा कराह उठी है। रामगंगा में बसा है वारसी नगर

मुगलपुरा थाना क्षेत्र में वारसी नगर रामगंगा नदी में बसा है। इसका अंदाजा जामा मस्जिद पुल व रामपुर रोड स्थित रामगंगा पुल से नजर दौड़ाकर लगाया जा सकता है। यहां से पूरा वारसी नगर रामगंगा में बसा नजर आएगा। माफिया की मिलीभगत कारखाने, फैक्ट्री तक रामगंगा की जमीन में अवैध रूप से बना लिए हैं। यही नहीं नगर निगम ने भी वारसी नगर में सड़कें, पथ प्रकाश और पेयजल सप्लाई मुहैया करा दी है। यह जानते हुए भी कि यह कालोनी पूरी तरह अवैध है। ई-कचरा व पीतल ने प्रदूषित कर दी रामगंगा

दिल्ली के सीलमपुर से अवैध रूप से ई कचरा खरीदकर मुरादाबाद में जलाए जाने से रामगंगा नदी पूरी तरह प्रदूषित हो गई है। इसकी राख से रामगंगा तट काला ही काला दिखता है। यही नहीं पीतल कारोबारियों ने रामगंगा के किनारे गड्ढे बना रखे हैं, जिसमें केमिकल डालकर पीतल को चमकाने का काम किया जाता है और यह केमिकल रामगंगा में बह जाता है जिससे रामगंगा प्रदूषित हो रही है। ई कचरा पर प्रतिबंध लगाने के लिए पुलिस ने कार्रवाई तो की है, लेकिन सांठगांठ के चलते इसे रोका नहीं जा सका है। जिला प्रशासन की है जिम्मेदारी : नगर आयुक्त

जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह अतिक्रमण हटाने में सहयोग करे। नगर निगम संसाधन उपलब्ध करा सकता है। अवैध कालोनी बनने से नगर निगम को ही सबसे ज्यादा दिक्कते हैं। स्मार्ट सिटी में राम गंगा किनारे पर्यटक स्थल बनाया जाना है। जिला प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण हटाने की रणनीति बनाई जाएगी।

अवनीश कुमार शर्मा, नगर आयुक्त बसा दी गई कालोनियां

रामपुर में बिल्डरों ने नदियों की बेशकीमती जमीन को पाटकर कॉलोनियां बसाकर करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा लिया। कुछ किसानों ने भी दबंगई के बल पर नदियों की जमीन को घेरकर खेती करनी शुरू कर दी। अतिक्रमण के चलते नदियां संकरी होती जा रही है। नदियों के अस्तित्व पर ही संकट हैं। एक जमाना था कि लोग नदियों का पानी पीकर सेहतमंद रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे नदियों के पानी को प्रदूषित कर दिया। यह प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का ही नतीजा है। जिले में बहने वाली कोसी नदी का पानी कभी मोती की तरह चमकता था। तब अधिकतर लोग नदियों और कुओं के जल का ही सेवन करते थे। घरों में हैंडपंप भी न के बराबर होते थे। जब न घरों में साफ पानी के लिए आरओ होते थे और न बाजारों में मिनरल वाटर ही मिलता था, लेकिन अब समय बदल गया है। इंसान की जरूरतें बदल रही हैं। इसके चलते वे प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। नदियों पर अतिक्रमण कर कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। नदियों को पाटकर खेत बनाए जा रहे हैं। इन सब के चलते नदियां संकरी होती जा रही हैं। नदियों के संकरी होने से वर्षभर बहने वाली नदियां दो-चार महीने में ही जल विहीन हो जाती है। इससे भूमिगत जल स्तर में भी गिरावट आ रही है। बारिश के मौसम में बाढ़ की समस्या अधिक रहती है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। प्रशासन भी आंखें मूदे बैठा है। जबकि एनजीटी इसको लेकर काफी गंभीर है। उसने राज्यों को दिशा निर्देश जारी कर नदियों के अस्तित्व को बचाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नदियों पर अतिक्रमण व गंदगी करने वालों से सख्ती के साथ निपटने के निर्देश हैं। जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर ¨सह का कहना है कि नदियों पर अतिक्रमण व उसमें किसी प्रकार कचरा डालने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।


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