Moradabad News: अफसरों की नाकामी से दो नदियों के किनारे बस गया अवैध शहर, खतरे में गागन नदी का वजूद
कालागढ़ डैम से निकलने वाली रामगंगा नदी काे पाटकर अपने मूल स्थान से ही दूर कर दिया गया। यह नदी बरेली से आगे गंगा में समाहित हो जाती है। इसकी लगभग दस सहायक नदी भी हैं। सभी सहायक नदियां पानी की कमी से पाटी जा रही हैं।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। जिले के अफसरों की नाकामी के कारण गंगा की सहायक दो नदियों के किनारे अवैध शहर बस गया। दिल्ली रोड पर गांगन नदी की करीब पांच लाख वर्ग मीटर भूमि पर अवैध कब्जे करके निर्यातकों ने अपनी आलीशान फैक्ट्रियां बना लीं। अवैध कब्जे के कारण गांगन नदी का वजूद ही खतरे में है। गांगन नदी एक नाला बनता जा रही है। वहीं रामगंगा नदी के किनारे पर भी कब्जा कर अवैध कालोनियां बसा दी गईं लेकिन, अफसर और उनके कर्मचारी आंखें बंद किए हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे।
20 साल से चल रहा अतिक्रमण का सिलसिला
शहर में 20 साल पहले नदियों के किनारे पर कब्जे का सिलसिला शुरू हुआ। दिल्ली राेड से लेकर संभल रोड तक गांगन नदी के किनारे कब्जे होते गए। किसी भी विभाग ने अवैध निर्माण को रोकने के लिए प्रयास नहीं किए। गांगन नदी पर अवैध कब्जों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आला अधिकारियों को फटकार लगाई थी। इसके बाद सर्वे कराकर कुछ अवैध निर्माण को ध्वस्त करा दिया गया। किसी रसूखदार का अवैध निर्माण नहीं हट सका। गांगन के दोनों की किनारों पर कब्जा हो रहा है। वहीं, रामगंगा किनारे शहर की सीमा की ओर रामगंगा नदी के किनारे की जमीन पर कब्जा हुआ है।
जागरण के निरीक्षण में सामने आई हकीकत
शुक्रवार को जागरण की टीम रामगंगा नदी का हाल देखने पहुंची। देखा तो मुगलपुरा थाना क्षेत्र के लालबाग से लेकर आवास विकास की जिगर कालोनी तक रामगंगा नदी के किनारे पर कब्जा करके घर बनवा दिए हैं। रामगंगा नदी के किनारे नन्हे ताला और राकेश कुमार ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके अवैध निर्माण कराया था। मामला कोर्ट तक पहुंच गया था। निर्णय आने के बाद उनके निर्माण पिछले साल ध्वस्त करा दिया गया था। लालबाग काली मंदिर के आगे से जामा मस्जिद पुल की ओर सैकड़ों मकान धारा के बिल्कुल करीब बने हुए हैं।
अभी भी नहीं रुक रहे अवैध निर्माण
आवास विकास की जिगर कालोनी के पास बंगला गांव से होकर लकड़ी के पुल के पास पहुंच गए। यहां हमारी नवीन चौधरी से मुलाकात हुई। उन्होंने नदी के किनारे अस्थायी व्यवस्था करके गाय पाल रखी थी। कहने लगे यहां तो अक्सर लोग जांच करने के लिए आते रहते हैं। जब कोई आएगा, अपना सामान उठाकर ले जाएंगे। अमान का कहना था कि भूमाफिया के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। गरीबों को ठगने का काम कर रहे हैं। जिगर कालोनी काे बाढ़ से बचाने के लिए बंधा बना है। इसके आगे विवेकानंद पुल की तरफ कई भवन नदी से सटाकर बने हुए हैं। अवैध निर्माण अभी भी हो रहे हैं।
गांगन नदी की धार में आठ हजार मकान और फैक्ट्रियां
दिल्ली रोड पर गांगन नदी से एकदम सटाकर सैकड़ों फैक्ट्रियां बनी हैं। इनमें से कई फैक्ट्री तो सीधे गांगन नदी के प्रवाह क्षेत्र में बनी हैं। दिल्ली रोड पर गांगन तिराहे से लेकर कटघर में आरटीओ तक गांगन की धार अब महज नाले की तरह नजर आने लगी है जबकि नियम यह है कि नदी किनारे 85 मीटर की दूरी तक कोई निर्माण नहीं हो सकता है। करीब आठ हजार से अधिक मकान और फैक्ट्रियां गांगन नदी की धार में बन चुके हैं। अभी भी भूमाफिया गांगन नदी की जमीन पर कब्जा करके बेच रहे हैं।
रामगंगा काे पाटकर दिशा ही बदल दी
कालागढ़ डैम से निकलने वाली रामगंगा नदी काे पाटकर अपने मूल स्थान से ही दूर कर दिया गया। यह नदी बरेली से आगे गंगा में समाहित हो जाती है। इसकी लगभग दस सहायक नदी भी हैं। सभी सहायक नदियां पानी की कमी से पाटी जा रही हैं। यही हाल रहा तो मुरादाबाद के बीचों बीच बहने वाली रामगंगा नदी का अस्तित्व बचाना बहुत बड़ी चुनौती है। जामा मस्जिद के पास वारसी नगर का काफी हिस्सा नदी के किनारे की जमीन पर बसा है। इसी तरह गुलाबबाड़ी के आसपास भी जमीन पर कब्जा करके अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। चक्कर की मिलक में नदी की धारा में मकान बने हुए हैं। इस नदी का किनारा कहीं भी सुरक्षित नहीं है।
डिजाइनको समेत चार निर्यात फैक्ट्रियां चिह्नित
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने डिजाइनको समेत चार निर्यात फैक्ट्रियों के अवैध निर्माणों को चिह्नित करके नोटिस जारी किए थे। एमडीए उपाध्यक्ष शैलेष कुमार सिंह के मुताबिक डिजाइनको के अलावा दीवान संस, लोहिया ब्रास और सीएल गुप्ता को नोटिस जारी किया गया था। इन सभी के मामलों की सुनवाई चल रही है। निर्यातकों का पक्ष सुनने के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई होगी। बताया जा रहा है कि डिजाइनको फैक्ट्री का प्रबंध तंत्र पर गांगन किनारे के किनारे अवैध तरीके से फैक्ट्री का निर्माण कराने का आरोप लगा था। सूचना मिलने पर एमडीए सचिव ने मौके पर टीम भेजकर अवैध निर्माण को पूरे मामले की जानकारी मांगी। इसके बाद डिजाइनको के प्रबंध तंत्र को नोटिस जारी कर दिया है। लेकिन, बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
निर्यात फैक्ट्रियों को जारी किया जा चुका नोटिस
उधर, डिजाइनको के संचालक विनय कुमार लोहिया का कहना था कि हमने जिस समय फैक्ट्री बनाई थी, उस समय नदी की धारा दूर बहती थी। हम अपने सभी प्रमाण पत्र दे चुके हैं। नोटिस के संबंध में जानकरी नहीं है। इसी तरह तीनों अन्य निर्यात फैक्ट्रियों को भी नोटिस जारी किया गया था। सभी के मामलों की सुनवाई चल रही है। निर्यातकों को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है।
यह हैं जिम्मेदार विभाग
नदियों के किनारे अवैध अतिक्रमण के लिए प्रशासन, नगर निगम, सिंचाई विभाग, प्रदूषण विभाग और एमडीए के अधिकारी जिम्मेदार हैं। इनमें से भी सबसे अधिक जिम्मेदारी सिंचाई विभाग और एमडीए की बनती है। इसलिए पिछले बीस साल में जितने भी अवर अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता और इनसे भी बड़े अधिकारी नदियों के क्षेत्र में तैनात रहे हैं, उनकी जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई होनी चाहिए।
एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे जिम्मेदार
एमडीए उपाध्यक्ष शैलेष कुमार ने कहा कि नदियों पर अवैध निर्माण को रोकने की जिम्मेदारी तो सिंचाई विभाग की है। एमडीएम तो अपना काम कर ही रहा है। नदियों किनारे होने वाले अवैध निर्माण को सर्वे करके चिह्नित कर लिया गया है। चार निर्यात फैक्ट्रियां भी चिह्नित हुई हैं। इसके अतिरिक्त भी अवैध निर्माणों को चिह्नित करके कार्रवाई हो रही है। सभी को नोटिस देकर सभी मामलों की सुनवाई चल रही है। कानूनी बाधाएं भी रहती हैं। इन सबको निपटाने के बाद अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए कार्रवाई होगी।
सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता आरके सिंह का कहना है कि नदियों का अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी एमडीए और नगर निगम की है। सिंचाई विभाग तो नदियों के जल को संरक्षित करने का काम करता है। निगम अवैध कालोनियों में सड़कें बना रहा है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अधिकारी अवैध कालोनियों में बिजली कनेक्शन भी दे रहे हैं। जल निगम पानी का कनेक्शन दे देता है। पुलिस-प्रशासन के साथ मिलकर नगर निगम और एमडीए अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई करा रहे हैं। हमारे अधिशासी अभियंता भी उनके साथ रहते हैं।