कोरोना के चलते हम लौट रहे अपनी पुरानी परंपराओं की ओर Sambhal News
वह हम प्राचीन काल में अपनाते थे लेकिन आधुनिक सभ्यता के चलते हम उन परंपराओं को भूल गए और वह भविष्य के गर्त में चली गई।
सम्भल,जेएनएन। आज कोरोना वायरस के कारण दुनिया खौफजदा है, लेकिन इसके कारण आज हम एक बार फिर अपनी पुरानी परंपराओं की ओर लौट रहे हैं। कोरोना वायरस के बचाव के लिए वैज्ञानिक व डॉक्टर जिन बातों पर जोर दे रहे हैं। भारत को पूर्व में विश्व गुरु यूं ही नहीं कहा जाता था। हमारे सनातन धर्म में कुछ तो ऐसी विशेषताएं है जिनका लोहा देश विदेश में माना जाता है। हमारी अधिकतर परंपरा विज्ञान पर आधारित है। आज सारा विश्व कोरोना वायरस में इन परंपराओं को मानने के लिए मजबूर है। प्राचीन काल में जब लोग आपस में मिलते थे तो वह हाथ जोड़कर नमस्ते व राम राम करते थे, लेकिन जैसे जैसे हम आधुनिकता की ओर बढ़े तो आज की युवा पीढ़ी हाथ मिलाकर हाय हैलो करने लगी। आज अमेरिका के राष्ट्रपति भी नमस्ते की महत्ता को समझ गए और वह कोरोना वायरस के चलते लोगों को नमस्ते करने पर जोर दे रहे हैं। इसी तरह पूर्व में जब बाहर से घर में आते थे तो घर के बुजुर्ग सभी से हाथ मुंह धोकर घर में घुसने देते थे। अब आज की युवा पीढ़ी इसको अधिक महत्व नहीं देती है। वह आते ही घर में खाने पीने लग जाते है। प्राचीन काल में गांव देहात में नाई हजामत बनाने के लिए घर घर जाया करता था। कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन से नाईयों की दुकान बंद हो गई। अब गांव देहात व शहर में नाई पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए घर घर जाकर हजामत बने रहे हैं। इससे लॉकडाउन का पालन भी हो रहा है और उनकी रोजी रोटी भी चल रही है। गांव गुमथल निवासी शकील की गुमथल चौराहे पर नाई की दुकान है, अब दुकान बंद होने से वह अपने गांव के अलावा आसपास गांव में घर घर जाकर हजामत बनाकर दो सौ से ढाई सौ रुपये प्रतिदिन कमा रहा है।