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अपनी से पहले कुत्तों की खुराक का रखा ख्याल

मुरादाबाद लॉकडाउन में नस्लीय कुत्तों के दाम डबल से भी ज्यादा होने के साथ ही उनके रखरखा

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 02:33 AM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 02:33 AM (IST)
अपनी से पहले कुत्तों की खुराक का रखा ख्याल
अपनी से पहले कुत्तों की खुराक का रखा ख्याल

मुरादाबाद : लॉकडाउन में नस्लीय कुत्तों के दाम डबल से भी ज्यादा होने के साथ ही उनके रखरखाव में भी शौकीनों को परेशानी का सामना करना पड़ा। लॉकडाउन लगने से पहले लोगों ने भले ही एक माह का स्टॉक रख लिया था लेकिन, जैसे-जैसे ये बढ़ा तो उनकी धड़कनें भी बढ़ गई थी। हाल ये था कि कुत्तों के खाने का बंदोबस्त करने के बाद ही घर में खाना बनता था।

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सिविल लाइन बगला गांव चौराहे के पास रहने वाले शहवाल कुमार ने शिटजू, लेबराडॉर, पॉमेलियन और दो देसी कुत्ते पाल रखे हैं। उनके खाने और रखरखाव पर तकरीबन हर माह 10 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। कुत्तों को नहलाने के लिए उन्होंने एक कर्मचारी अलग से रख रखा है। कोरोना काल में उन्होंने नौकर को मना कर दिया। इसके बाद कुत्तों की जिम्मेदारी उनकी पत्नी निधि धवल, बेटा कियान ने संभाली। कुत्तों को प्रतिदिन नहलाने के साथ ही उन्हें खाना खिलाने तक का काम परिवार के लोगों ने ही संभाला। दो माह तक तो कुत्तों के खाने पीने का सामान जैसे तैसे मिल गया लेकिन, उसके बाद दिक्कत होने लगी। प्रशासन ने जानवरों के खानपान के सामान की दुकानों को स्पेशल पास जारी कर दिए। इसके बाद ये समस्या भी दूर हो गई। लॉकडाउन लगने के बाद कुछ परेशानी का सामना करना पड़ा था। लॉकडाउन में खाली थे। इसलिए किसी की भी जरूरत नहीं पड़ी। हम लोगों ने सभी कुत्तों का पूरा ध्यान रखा। सड़क के कुत्तों को भी हम लोगों ने खाना खिलाया।

शहवाल कुमार, बगला गांव सिविल लाइन


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