गिरते रुपये से हर आदमी होता है प्रभावित
मुरादाबाद (मेहंदी हसन): पिछले कुछ समय से रुपये की कीमत में गिरावट जारी है।
By Edited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 04:32 PM (IST)
मुरादाबाद (मेहंदी हसन): पिछले कुछ समय से रुपये की कीमत में गिरावट जारी है। डॉलर के मुकाबले यह एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय घटनाक्त्रम भी जिम्मेदार हैं। रुपये की वैल्यू आयात और निर्यात से निर्धारित होती है। आयत अधिक और निर्यातक कम होने से रुपये का मूल्य गिरता है। रुपये के अवमूल्यन का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। महंगाई बढऩे लगती है तो हर व्यक्ति प्रभावित होता है। क्या है रुपये में लगातार कमजोरी की वजह? इसका क्या असर पड़ेगा? विषय पर सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में हुई अकादमिक बैठक में अतिथि वक्ता केजीके कालेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जगदंबे यादव ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रुपया गिरने से विकासशील देशों पर इसका असर पड़ता है। आयात बढऩे पर हमारा मुद्रा का भंडार घटता है। निर्यात कम होने से मुद्रा संतुलन बिगडऩे के कारण रुपये का मूल्य गिरता है। आयात में दो महत्वपूर्ण कारक हैं, पहला क्रूड आयल और दूसरा सोना। रुपये की वैल्यू गिरने के कारण नुकसान भी बढ़ता है। विदेशियों को इसका फायदा मिलता है। विदेशी निवेशक अपना पैसा वापस लेंगे तो इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। रुपया गिरने का सीधा असर आम चीजों पर पड़ता है। ट्रासपोर्टेशन महंगा होने से आम वस्तुओं के दाम भी बढ़ जाएंगे। आयात-निर्यात में संतुलन से रुपये के अवमूल्यन पर नियंत्रण किया जा सकता है। दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी संजय मिश्र ने अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए कहा कि मुद्रा गिरना अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने जिम्बाबवे की मिसाल देते हुए कहा कि वहा लोगों को छोटी-छोटी चीजे खरीदने के लिए थैलों में नोट भरकर ले जाना पड़ता था। नोट की ऐसी स्थिति होगी ऐसा किसी ने नहीं सोचा होगा। देश की तरक्की के लिए भी रुपया गिरना अच्छा नहीं है। अंत में आभार यूनिट प्रबंधक अनिल अग्रवाल ने जताया। संचालन डॉ. मनोज रस्तोगी ने किया। 72 के करीब भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले रुपया 72 के स्तर के करीब पहुंच गया है। रुपये में कमजोरी के कई कारण हैं, लेकिन कमजोरी का कारण ट्रेड वॉर बढऩे का डर है। माल ढुलाई और यातायात होगा महंगा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर तेल आयात करता है। इसका भुगतान विदेशी मुद्रा में होता है। इसे खरीदने के लिए अब उसे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। इससे पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हो जाते हैं। इससे माल ढुलाई के भाव बढ़ जाएंगे। इसके अलावा यातायात महंगा हो जाएगा। इसका असर हर छोटी-बड़ी वस्तुओं पर भी देखने को मिलेगा। अतिथि परिचय नाम : डॉ. जगदंबे यादव जन्म : एक अगस्त 1967 प्राथमिक शिक्षा: आर्य कन्या इंटर कालेज उच्च शिक्षा, एमए अर्थशास्त्र कार्यस्थल: 11 सितंबर 1996 से केजीके कालेज
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