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दिल्ली ने बहुत रुलाया, बच्चों की खातिर जाना पड़ेगा

जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बिलारी ब्लाक के गुलड़िया गांव ।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 02:47 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:36 AM (IST)
दिल्ली ने बहुत रुलाया, बच्चों की खातिर जाना पड़ेगा
दिल्ली ने बहुत रुलाया, बच्चों की खातिर जाना पड़ेगा

मुरादाबाद,जेएनएन : जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बिलारी ब्लाक के गुलड़िया गांव में जैसे तैसे प्रवासी मजदूर दिल्ली से घर लौटे हैं। इन मजदूरों के चेहरों की थकान ही उनका दर्द बयां कर रही है।

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लॉकडाउन में दिल्ली से लौटे मजदूरों में ज्यादा पेटर हैं। कुछ भवन निर्माण में काम करने वाले भी हैं। मजदूर जोगराज ने बताया कि जब हमारी जेब खाली हो गई। घर में राशन तक नहीं बचा तभी अपने गांव लौटने का फैसला लिया। रास्ते में तो कई जगह खाना मिल गया। लेकिन, दिल्ली में दो वक्त की रोटी का इंतजाम नहीं था। मजबूरी में कोई साइकिल से कोई पैदल ही अपने गांव पहुंच गया। मोहित, हरिप्रकाश समरपाल सिंह, सौदान और राजीव का कहना है कि अब जाने का तो मन नहीं होता, लेकिन मजबूरी है, यहां भी हमारे के लिए कोई रोजगार नहीं है। एक-दो बीघा खेती से परिवार तो नहीं पल सकता। बच्चों की पढ़ाई भी वहीं चल रही है। इसलिए उनका भविष्य बनाने के लिए वापस जाना है ताकि हमारी तरह उन्हें भी मजदूरी कर परेशानी न उठानी पड़े। बाद में अपने गांव में ही कोई स्थायी रोजगार की व्यवस्था करके यहीं लौट आएंगे। एक ही परिवार के 12 लोग लौटे

दिल्ली की शकूरबस्ती की रेलवे झुग्गी में दो हजार रुपये महीने किराए पर रहने वाले साहिब सिंह ने बताया कि दो महीने से कोई काम नहीं किया, जो इकट्ठा किया था वहीं खर्च हो गया। इसलिए गांव लौटकर भी लोगों से उधारी करके परिवार पालना पड़ रहा है। तेजपाल सिंह भी इन्हीं के परिवार के हैं। वह भी रेलवे की झुग्गी में ही अपने परिवार के साथ किराए पर रहते थे। बेटी रूबी और बेटा सतीश कुमार वहीं सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। ऑनलाइन होमवर्क मिल रहा है। सतीश कक्षा ग्यारह का छात्र है। जबकि रूबी पांचवी में पढ़ती है। दोनों को अपनी पढ़ाई की चिंता है। इसलिए परिवार को दिल्ली वापस ले जाने की जिद कर रहे हैं। इस परिवार के बारह लोग दिल्ली में रहते हैं। तय किया है कि लॉकडाउन के बाद सबको वापस लौटना है। 80 परिवार दिल्ली से लौटे है

-करीब डेढ़ हजार की आबादी वाले गुलड़िया गांव दलित बाहुल्य है। यहां कुछ ही लोगों के पास खेती की ज्यादा जमीन है। बाकी तो मजदूर तबके के ही लोग हैं। 80 परिवार दिल्ली में मजदूरी करके परिवार पालते हैं। यहां शादी और त्योहार पर आते हैं।


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