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बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, सामाजिक बंधनों को दरकिनार कर पिता की चिता को दी मुखाग्नि Moradabad News

आंखों से बहती आंसूओं की धारा और चेहरे पर एक अजीब सा सन्नाटा। बिटिया ने जैसे ही चिता में आग लगाई वहां मौजूद सबकी आंखें डबडबा गई।

By Ravi SinghEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 10:05 AM (IST)
बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, सामाजिक बंधनों को दरकिनार कर पिता की चिता को दी मुखाग्नि Moradabad News
बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, सामाजिक बंधनों को दरकिनार कर पिता की चिता को दी मुखाग्नि Moradabad News

मुरादाबाद,जेएनएन। शहर की एक बेटी ने रविवार को बेटे का फर्ज निभाया। भाई न होने के चलते बेटी ने ही पिता की मौत होने पर चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। सामाजिक बंधनों और परंपराओं को दरकिनार करते हुए जैसे ही बेटी ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी वहां मौजूद सबकी आंखों में आसूओं का समंदर उमड़ पड़ा। भाटिया चौराहा बुद्धि विहार के रहने वाले महेश चंद्र गुप्ता लंबे समय से बीमार चल रहे थे। महेश की दो बेटियां ही हैं। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। छोटी बेटी मानसी उनके साथ रहकर सेवा करती थी। रविवार को महेश की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई जिससे मानसी टूट गई। पड़ोस में रहने वाले दारोगा अशोक राघव और उनके साथी राकेश चंद्र सक्सेना ने मानसी की मदद की। अंतिम संस्कार के लिए सामग्री आदि का प्रबंध किया। घर से उन्हें कंधा देते हुए मानसी मोक्षधाम, लोकोशेड तक आई। यहां उसी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता की चिता को मुखाग्नि दी। लॉकडाउन की वजह से बड़ी बेटी और दामाद को भी बाइक से ही घर आना पड़ा। मानसी का रो-रो कर बुरा हाल है। कोई इसे बेटी का साहस बता रहा है तो कोई इसे मजबूरी का नाम दे रहा है।  

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