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अब डिवीजन एल-1 में भर्ती होंगे कोरोना संभावित रोगी Sambhal News

डिवीजन में रोगियों के भर्ती होने से संसाधनों में होगी बचत। कोरोना के कहर को कम करने के लिए शासन और प्रशासन के साथ अन्य विभागों ने पूरी ताकत झोक दी है।

By Ravi SinghEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 04:48 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 04:48 PM (IST)
अब डिवीजन एल-1 में भर्ती होंगे कोरोना संभावित रोगी Sambhal News
अब डिवीजन एल-1 में भर्ती होंगे कोरोना संभावित रोगी Sambhal News

सम्भल,जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना संभावित व आशंकित रोगियों के उपचार को भरकस प्रयास किए जा रहे है। ऐसे में जहां आशंकितों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया जा रहा है। वही संभावितों को उपचार के लिए जिले में स्थित कोविड-19 के एल-1 अस्पताल में भर्ती कराने के लिए निर्देश दिए गए थे। मगर अब इन संभावित व्यक्तियों को जिला स्तर के नहीं बल्कि डिवीजन स्तर पर स्थित एल-1 अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। इससे जनशक्ति के साथ संसाधनों में भी काफी बचत होगी।

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कोरोना आशंकित व्यक्तियों के लिए जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। जबकि कैलादेवी व अन्य निजी अस्पतालों में भी क्वारंटाइन वार्ड बनाए गए है। जबकि संभावित व्यक्तियों के उपचार को नरौली सीएचसी में एल-1 सेंटर बनाया गया है। जहां कोरोना संभावित रोगियों को उपचार के लिए भर्ती कराया जाएगा। यहां पर चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ की टीम को विशेष संसाधनों से लैस किया गया है, जिससे वह उपचार के दौरान किसी प्रकार के संक्रमण में न आ सके। अभी तक जिले में आने वाले रोगियों को एल-1 अस्पताल में भर्ती कराए जाने के निर्देश थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। क्योंकि स्वास्थ्य महकमें की ओर से जिले में आने वाले रोगियों को डिवीजन में स्थित एल-1 सेंटर पर भर्ती कराया जाएगा। ऐसे में मंडल के अलग अलग जिलों के कोरोना संभावित रोगियों को मंडल के ही एक एल-1 चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया जाएगा, जिसके पूरे होने पर ही जिलों के एल-1 अस्पताल में रोगियों को भर्ती किया जाएगा।

संसाधनों की होगी बचत

एल-1 अस्पताल में तैनात डॉक्टरों व पैरा मेडिकल स्टाफ को पीपीई किट के साथ एन-95 मास्क व अन्य दुर्लभ संसाधनों की जरूरत है। इतना ही नहीं इन एल-1 अस्पतालों के लिए काफी जनशक्ति की भी जरूरत पड़ रही है। ऐसे में यदि कोरोना संभावित रोगियों को अलग अलग एल-1 अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा तो इसमें काफी संसाधन लगेंगे, जिससे आर्थिक क्षति के साथ संसाधनों का हास होगा। वही यदि सभी जिलों के रोगी एक ही स्थान पर रहेंगे तो संसाधनों की बचत होगी और अन्य मेडिकल स्टाफ को इसके रोगियों के उपचार का प्रशिक्षण भी मिलेगा।

पहले एक मरीज होने के बाद भी पूरे स्टाफ व संसाधन को लगाना पड़ता। परन्तु अब ऐसा नहीं हो सकेगा। क्योंकि जिलों में आने वाले मरीजों को पहले डिवीजन में स्थित एल-1 अस्पताल में भर्ती कराना होगा। जबकि डिवीजन में स्थित एल-1 अस्पताल रोगियों से भर जाएगा तब ही जिलों में एल-1 अस्पताल में रोगी को भर्ती किया जाएगा।

डॉ. एके गुप्ता, सीएमएस जिला अस्पताल  


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