Corona fighters : 93 वर्षीय महिला ने दी कोरोना को मात, स्टाफ ने फूल बरसा कर अस्पताल से किया विदा
Corona fighters मुरादाबाद में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। वहीं कोरोना को मात देने वालों की संख्या भी काफी ज्यादा है। इनमें बुजुर्ग भी शामिल हैं।
मुरादाबाद। अभी भी बहुत सारे लोग कोरोना वायरस के नाम से ही डर जाते हैं। हालांकि पहले की तुलना में लोग अब इससे मुकाबला करना अच्छी तरह सीख गए हैं। इनमें कुछ बुजुर्ग भी हैं, जिन्होंने उम्र के आखिरी पड़ाव पर कोरोना संक्रमित होने के बावजूद भी हार नहीं मानी। उन्होंने सकारात्मक विचारों से खुद को लबरेज रखा। वहीं उनका जज्बा देख अस्तपाल के स्टाफ ने भी पूरी मेहनत की। एक 93 साल की बुजुर्ग की दास्तां भी कुछ ऐसी ही है। वह कोरोना संक्रमित हुईं तो परिवार के लोग फिक्रमंद हो गए। सभी को उनके स्वास्थ्य की चिंता होने लगी।
दरअसल रेलवे अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती एक 93 वर्षीय महिला ने कोरोना को मात देने में सफलता प्राप्त की है।। दस दिन बाद ही महिला ठीक होकर घर चली गई है। चिकित्सक-स्टाफ ने फूल की बरसा कर अस्पताल से विदा किया। रामगंगा विहार में रहने वाले 58 वर्षीय व्यक्ति व उसकी 93 वर्षीय मां कोरोना संक्रमित हो गए थे। स्वास्थ्य विभाग ने दस दिन पहले दोनों को रेलवे अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया था। 93 वर्षीय महिला के खून में आक्सीजन की कमी थी। रेलवे के चिकित्सक व स्टाफ ने 93 वर्षीय महिला पर विशेष ध्यान देने के साथ इलाज शुरू कर दिया जिससे महिला की हालत में सुधार होता गया। रेलवे अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी जगदीश चंद्रा ने बताया कि दोबारा जांच में मां बेटे की रिपोर्ट निगेटिव मिली। महिला को शाॅॅल देकर और पुष्प बरसाकर अस्पताल से विदाई दी गई। रेलवे अस्पताल में अधिक उम्र की दूसरी महिला ठीक होकर घर गई है।
सकारात्मकता करती है टॉनिक का काम
मनोवैज्ञानिकों की माने तो किसी भी बीमारी से उबरने में पीडि़त की सकारात्मकता टॉनिक का काम करती है। जब यह मान लेते हैं कि हम बीमारी से जल्द उबर जाएंगे तो हमारे अंदर िनिरंतर एक ऊर्जा का संचार होता रहता है। वहीं हार मान लेने पर ठीक इससे उलट होता है।