यहां हादसा हुआ तो निश्चित है मौत
जानलेवा सड़क हादसों में यूपी देश में नंबर एक पर है। मुरादाबाद में भी लगातार जा रहीं हैं जानें।
मुरादाबाद (सुशील कुमार) : जानलेवा सड़क हादसों में यूपी देश में नंबर एक पर है और मुरादाबाद प्रदेश के बीस शहरों में शामिल है। पिछले साल यहां 583 हादसों में 321 की मौत हो गई, जबकि 437 लोग घायल हुए। आठ माह में 220 लोगों की मौत हो चुकी है। यानि यहां हर रोज लगभग एक व्यक्ति की हादसे में मौत निश्चित है, कल किसकी बारी है, घर से निकलने वाले किस परिवार का चिराग बुझेगा। अभी यह भविष्य में छिपा हुआ है। इन हादसों को बचाने के साथ-साथ आपकी जरा सी तत्परता किसी की जान बचा भी बचा सकती है। बशर्ते यह तत्परता समय पर हो। खासतौर पर शहर में सड़क हादसों में होने वाली मौतों को समय पर इलाज देकर रोका जा सकता है। हाल में ही पुलिस की एक स्टडी में पता चला है कि मुरादाबाद में घायलों को समय पर उपचार मिलता तो 50-55 फीसद लोगों की जान बच सकती थी। यही वजह है कि जिले में औसतन रोजाना एक मौत हो रही है। समय पर इलाज नहीं मिलने के अलावा शहर के कई खतरनाक चौराहे हैं, और सड़कों की गलत इंजीनिय¨रग की वजह से लोग हादसों में जान गवा रहे हैं। हादसों की वजह
गलत रोड इंजीनिय¨रग के चलते जनपद में हादसों की संख्या बढ़ी हैं, चौराहे या महत्वपूर्ण स्थान पर कट होने चाहिए, लेकिन यहां 30 से 50 मीटर पर कट हैं, ड्राइविंग के नियमों की चालकों को सही से जानकारी नहीं होना, शराब पीकर वाहन चलाना भी हादसों की बड़ी वजह सामने आई, रात 12 से सुबह सात बजे तक नींद की वजह से हादसे हो रहे, वाहनों की ओवर स्पीड भी दुर्घटनाओं की वजह बन रही है, टू व्हीलर चालक सबसे ज्यादा हादसों का शिकार हो रहे हैं। हादसों में मौत
सन हादसे मृतक घायल
2017 583 321 437
2018 407 220 294 मरीज को अस्पताल में पहुंचाने वाले व्हीकल
पीआरवी व पुलिस - 30.25
आटो रिक्शा -19.69
प्राइवेट फोर व्हीलर -25.19
एंबुलेंस -18.90
कैट्स एंबुलेंस (102)-03.62
किराए की गाड़ी -01.11 घायल को अस्पताल लेकर पहुंचने वाले
पुलिस एवं पीआरवी -55.45
फैमिली एंड रिलेटिव -32.36
अनजान आदमी -3.84
सेल्फ -1.18
हिट करने वाले खुद -0.89 बहाना छोड़कर करें उपचार : एसएसपी
हादसों में घायलों की जान बचाने के लिए पुलिस के साथ लोगों को भी जागरूक रहने की जरूरत है। पुलिस अब घायलों को पहुंचाने वालों को परेशान नहीं करती है। अस्पतालों को भी चाहिए की पुलिस का बहाना छोड़कर उपचार करें। 50-55 फीसद लोगों की जान उपचार सही समय पर नहीं मिलने से जा रही है।
-जे रविन्द्र गौड, एसएसपी असावधानी भी है जिम्मेदार
यातायात और पुलिस विभाग की ओर से लोगों को अभियान चलाकर यातायात नियमों के प्रति जागरूक भी किया जाता है। इसके बाद भी ज्यादातर हादसों में वाहन चालकों की लापरवाही मौत की वजह बनती है। सड़क पर जीवन को सुरक्षित रखने के लिए हेल्मेट, सीट बेल्ट लगाने के साथ ही यातायात नियमों के प्रति जागरूक रहना भी बेहद जरूरी है। इससे काफी हद तक हादसों को रोका जा सकता है। हालांकि अभी कुछ फीसद लोग ही पूरी तरह से यातायात नियमों का पालन करते हैं।