कमिश्नर ने दो अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल, जाने क्या था पूरा मामला
खाद्यान घोटाले के एक मामले में मंडलायुक्त की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राशन डीलर की दुकान बहाल करने का आदेश जारी किया।
मुरादाबाद । खाद्यान घोटाले के एक मामले में मंडलायुक्त की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राशन डीलर की दुकान बहाल करने का आदेश जारी किया। लेकिन इस आदेश के साथ ही मंडलायुक्त ने दो अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन पर भी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
सितंबर 2018 जनपद के 63 राशन डीलरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए गए थे। जिनमें से कुछ ने हाईकोर्ट तो कुछ राशन डीलरों ने इस आदेश के खिलाफ कमिश्नर कोर्ट में अपील की थी। बुधवार को कमिश्नर यशवंत राव ने कोर्ट में बिजनौर की राशन डीलर नुजहत परवीन के मामले में फैसला सुनाया गया। इस फैसले में कमिश्नर यशवंत राव ने स्पष्ट रूप से बिजनौर के जिला पूर्ति निरीक्षक के साथ क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी की कार्यप्रणाली को बताया संदिग्ध बताते कई सवाल खड़े किए हैं। मुकदमा दर्ज कराने में अफसरों ने जिस तरह से जल्दबाजी दिखाई और अपने को बचाने के लिए किसी भी तरह की जांच नहीं की यह बात अफसरों को ही सवालों के घेरे में खड़ा करती है। मंडलायुक्त के आदेश में कहा गया है कि इस मामले में इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही अपील करने वाले राशन डीलर की दुकान बहाल करने का भी आदेश दिया। हालांकि, यह मामला मंडलीय जनपद बिजनौर का है, जबकि स्थानीय स्तर पर भी राशन की दुकानों में जमकर धांधली हुई है। अफसरों और राशन डीलरों की मिलीभगत के चलते गरीबों का राशन डकार लिया गया है। वहीं डीलरों पर कार्रवाई करके अफसर खुद को बेदाग बताने में जुटे हुए हैं।
यहां भी हुई थी धांधली
दो साल पहले मुरादाबाद में भी राशन की दुकानों में खाद्यान्न घोटाले के नाम पर जमकर धांधली हुई थी। अपात्रों के आधार कार्ड लगाकर करोड़ों रुपये खाद्यान्न अफसर और ठेकेदार मिलकर डकार गए थे। घोटाले में कार्रवाई के नाम पर केवल राशन डीलरों पर गाज गिरी, जबकि किसी भी अफसर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप