रामपुर में चिटफंड कंपनी छह करोड़ लेकर फरार, निवेशक परेशान
जिले में एक और चिटफंड कंपनी सैकड़ों लोगों को चूना लगाकर फरार हो गई। कंपनी में मेहनत की कमाई लगाने वाले अब रुपये वापस लेने को इधर-उधर भटक रहे हैं।
रामपुर (जेएनएन) : जिले में एक और चिटफंड कंपनी सैकड़ों लोगों को चूना लगाकर फरार हो गई। कंपनी में मेहनत की कमाई लगाने वाले अब रुपये वापस लेने को इधर-उधर भटक रहे हैं। निवेश की यह रकम पांच से छह करोड़ रुपये है, जिसे कंपनी के मालिक लेकर भूमिगत हो गए हैं। निवेशकों ने एनबीएसी क्राइम प्रिवेंशन एंड ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन के माध्यम से कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। कंपनी में पैसा लगाने वाले निवेशक शाहबाद के सैफनी निवासी राकेश कुमार जोशी प्राइमरी विद्यालय मेें शिक्षक हैं।
वर्ष 2008 में खोली थी कंपनी
उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 में दो लोगों ने मिलकर चिटफंड कंपनी खोली थी। इसमें छह साल में फिक्स डिपाजिट के माध्यम से रकम दोगुणा करने का लालच दिया गया। कुछ माह बाद दोनों ने अलग-अलग कंपनियां खोल लीं और अपने-अपने एजेंट बनाकर लोगों का पैसा कंपनी में लगवाने लगे। कंपनी ने पहले राधा रोड पर दफ्तर खोला। बाद में उसे पुराने रोडवेज पर शिफ्ट कर दिया। इसके बाद ज्वालानगर में कई साल तक दफ्तर रहा। जिले भर से सैकड़ों लोगों ने इसमें पैसा निवेश किया।
सैकड़ों लोगों ने कंपनी में जमा किया पैसा
उनके अलावा सूपा गांव के सुरेंद्र ङ्क्षसह पुत्र हरप्रसाद, सैफनी के जितेंद्र कुमार गुप्ता, विष्णु विहार ज्वालानगर के किशन लाल, चंदपुरा कला शाहबाद के उमेश कुमार, सूपा गांव के हरवीर, केमरी के चकिया हयात गांव के रईस दूला, सैफनी के विनोद कुमार, धनोरा सैफनी के मोहम्मद हसीब, सैफनी के ही संजीव जोशी आदि सैकड़ों लोगों ने कंपनी में पैसा जमा किया। यह रकम पांच से छह करोड़ रुपये होगी। समय पूरा होने पर कुछ निवेशकों का पैसा कंपनी ने वापस भी लौटाया और कई निवेशकों का दोबारा फिक्स डिपाजिट करा दिया।
दो साल से नहीं मिल रही निवेश की रकम
वर्ष 2015 के बाद जिन लोगों का पैसा जमा हुआ था, उन्हें कोई रकम नहीं लौटाई गई। दो साल से निवेशक रकम वापस लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। कंपनी के मालिक झूठे वादे कर टालते रहे। कुछ निवेशकों को चेक भी दिए, जो खाते में पर्याप्त धनराशि न होने के कारण कैश नहीं हो सके।
बंद पड़ा हैं कंपनी का दफ्तर
छह माह से कंपनी का ज्वालानगर स्थित दफ्तर भी बंद पड़ा है। कंपनी के मालिकों और अधिकारियों के मोबाइल भी बंद जा रहे हैं। रविवार को निवेशकों ने एनबीएसी क्राइम प्रिवेंशन एंड ह्यूमन राइट््स फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एनके सिंह से संपर्क किया। उनके जरिए इस मामले को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों तक पहुंचाने और उनकी रकम वापस दिलाने की मांग की। फाउंडेशन के अध्यक्ष ने बताया कि इस मामले में मंगलवार को तहसील दिवस में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के समक्ष रखेंगे।
11 साल से चल रही थी कंपनी
निवेशकों का करोड़ों लेकर फरार हुई यह कंपनी का नेटवर्क जिले में 11 साल से चल रहा था, लेकिन प्रशासन के इसकी भनक तक नहीं लगी। वर्तमान में इस तरह की आधा दर्जन कंपनियां अब भी अलग-अलग नामों से चल रही हैं। करीब तीन दर्जन चिटफंट, रियल स्टेट, मल्टी परपज कंपनियों के दफ्तर खुले हैं। ये कंपनियां जमीन और प्लाट का लालच देकर किसानों से आरडी और एफडी के नाम पर वसूली कर रही है। कुछ कंपनियां किसानों से करोड़ों रुपये लेकर फरार हो चुकी हैं तो कुछ भागने की फिराक में हैं। जिला प्रशासन ने दो साल पहले कमेटी गठित कर ऐसी कंपनियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। हालांकि कमेटी द्वारा जांच करना तो दूर कंपनियों को नोटिस तक नहीं दिए। प्रशासन की इसी ढिलाई का फायदा कंपनी संचालक उठाते हैं। इससे पहले भी कई कंपनियां करोड़ों रुपये लेकर फरार हो चुकी हैं। इन मामलों में पुलिस मुकदमे भी दर्ज करती है, लेकिन कभी किसी कंपनी के मालिक की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।