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चंद्रयान-2 : चंद्रमा की सतह पर उतरने का होता रहा इंतजार Moradabad News

भारत दुनिया के उन देशों की श्रेणी में शामिल होने जा रहा था जो यह काम कर चुके हैं। आर्थिक ताकत के बाद भारत की अंतरिक्ष तकनीकी का दुनिया लोहा पहले से ही मानती है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 01:06 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 08:09 AM (IST)
चंद्रयान-2 : चंद्रमा की सतह पर उतरने का होता रहा इंतजार  Moradabad News
चंद्रयान-2 : चंद्रमा की सतह पर उतरने का होता रहा इंतजार Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। चंद्रयान-2 की चंद्रमा की सतह से दूरी कम होने के साथ ही हर भारतीय का सीना चौड़ा होता गया। सभी को उसके चंद्रमा की सतह पर उतरने का कुछ ऐसे इंतजार था, जैसे हर किसी की परीक्षा का परिणाम आ रहा हो। हर कोई इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने को बेचैन रहा। दिनभर चाय की दुकान, नुक्कड़ से लेकर स्कूल, कालेज और सरकारी दफ्तरों तक में सिर्फ चंद्रयान-2 की चर्चा रही। हर कोई खुद को गौरवान्वित महसूस करने के लिए उस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। चंद्रयान टू के चंद्रमा की सतह छूते ही सलाम भी करेगी। 

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टीम का हिस्सा होना गर्व की बात

यह गर्व की बात है कि मैं चंद्रयान-2 की टीम का हिस्सा रहा हूं। इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 से इस यान को भेजा गया था, मेरी इसमें क्वालिटी कंट्रोलर की भूमिका रही थी। पूरी टीम व इसरो के लिए यह महत्वपूर्ण पल हैं। चांद की सतह के दक्षिणी धु्रव पर लैंडर को उतारने वाले हम पहले देश बन गए हैं। इससे पता चलता है कि हम तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। हमारी सेटेलाइट ने लैंडर को ढूंढ कर काम भी शुरू कर दिया है। हम स्पेश शक्ति के रूप में खुद को प्रमाणित कर रहे हैं। चांद पर मानव जीवन, वहां आने वाले भूकंप और पानी की तलाश में यह मिशन हमारी मदद करेगा। इसके अलावा इस उपग्रह के बारे में भी हमें अन्य जानकारियां मिलेंगी।

-मेघ भटनागर, क्वालिटी कंट्रोलर, चंद्रयान-2 

मिलेगी महत्वपूर्ण जानकारी

चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर नरम भूमि पर उतारा गया है। यह वह हिस्सा है जो अरबों वर्षों से सूर्य के प्रकाश से अछूता रहा है। यह सौर प्रणाली के अचूक रिकॉर्ड की पेशकश के साथ-साथ हमें चंद्रमा खनिजों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी देगा। 

-अनंत कुशाग्र, छात्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी विभाग

चंद्रमा की झीलों को मापेगा विक्रम 

चंद्रयान-2 में मौजूद 1.4 टन का लैंडर 'विक्रमÓ अपने साथ जा रहे 27 किलोग्राम के रोवर 'प्रज्ञानÓ को चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर दो क्रेटरों के बीच ऊंची सतह पर उतारेगा। प्रज्ञान चांद की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण करेगा, वहीं विक्रम चंद्रमा की झीलों को मापेगा। 

 -श्वेता सिंह, छात्रा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी विभाग

 ऐसी खोज मानवता को करेंगी लाभान्वित

ऐसी खोजें संपूर्ण रूप से भारत और मानवता को लाभान्वित करेंगी। इस उपलब्धि के साथ भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जो चांद की सतह पर नरम तरीके से उतरेगा। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है। 

-दिशा वर्मा, छात्रा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी विभाग

सफलता का नया पैमाना

यह चंद्र अभियान केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षमता ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि इससे चांद पर मानवों के बसने का रास्ता भी खुलेगा। इस सफलता के बाद अब भारत की ताकत और बढ़ जाएगी। सफलता के नए पैमाने पर हम खड़े होंगे।

-अतुल वर्मा, छात्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी विभाग

दूसरा अहम मिशन

चंद्रयान-2 भारत के लिए दूसरा सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन है। यह पहला लैंडर है जिसने दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। इससे पहले किसी भी देश के मिशन में इस ध्रुव पर लैंडिंग नहीं की गई है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर से रोवर निकला जिसका वजन 27 किलोग्राम है। जिसका नाम प्रज्ञान है। यह एक रोबोट वाहन है जिसका संस्कृत में मतलब ज्ञान होता है जो चंद्रमा पर पानी खनिज और जीवन की संभावनाओं को ढूंढेगा। इसमें एक टैरिन मैपिंग कैमरा लगा हुआ है जो कि चंद्रमा की थ्री-डी इमेज को तैयार करेगा। इसमें एक्स-रे उपकरण भी हैं जो चंद्रमा में उपस्थित पत्थरों की जांच करेंगे साथ ही इसमें इंफ्रारेड डिवाइस भी लगी हुई है जो खनिज पदार्थों और पानी की जांच करेगा। विशेषज्ञ के तौर पर मेरी नजर में इससे बढिय़ा सफल मिशन आज तक भारत में नहीं देखा गया है। आने वाले समय में हमारा रोवर प्रज्ञान पानी से संबंधित या खनिज पदार्थों से संबंधित कुछ भी सूचना और उसकी फोटो भारत को देता है तो यह विश्व में सबसे बड़ा इतिहास बन जाएगा।

-क्षितिज सिंघल, प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी विभाग, एमआइटी

लैंडर इस मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है

जीएसएलवी मार्क 3 के सख्त कवच और आर्बिटर के मजबूत साथ ने चंद्रयान-2 को मंजिल तक पहुंचने में मदद की है। लैंडर इस मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसरो की टीम इसे चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल रही है। इसके लिए पूरी टीम को बधाई। विक्रम ने जिस तरह से चांद की सतह से गुरुत्वाकर्षण बनाए रखा, इसमें वैज्ञानिकों की मेहनत झलकती है। लैंड होने के बाद लैंडर से 27 किलोग्राम का रोवर निकलेगा, यही रोवर भारत को चांद की जानकारी देगा। इस ऐतिहासिक मिशन के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई। 

-आलोक पांडेय, सहायक प्रवक्ता, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी विभाग 


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