महिलाओं के लिए मिसाल हैं चमनजहां, जानिए संघर्ष की कहानी Moradabad News
जीवन में कर गुजरने की ठान ली जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। उड़ान के लिए पूरा आसमान है और इसकी कोई सीमा नहीं।
मुरादाबाद(तरुण पाराशर)। जीवन में कर गुजरने की ठान ली जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। उड़ान के लिए पूरा आसमान है और इसकी कोई सीमा नहीं। भारतीय संविधान में पुरुष और महिला में कोई अंतर नहीं। समता का अधिकार दिया गया है। फिर भी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपने अधिकार पाने और ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जो अपनी शक्ति को पहचान लेती हैं वह अपना अलग मुकाम हासिल करती हैं और दूसरों के लिए मिसाल बन जाती हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चमन जहां ने। पीतल दस्तकारी कार्य को न केवल सीखा, बल्कि उसमें महारत हासिल की। पीतल के आइटम में अपनी कल्पनाओं के ऐसे रंग भरे कि राज्य पुरस्कार जीत लिया। अब उनका सपना राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने का है। इतना ही नहीं उनसे प्रेरणा लेकर कई महिलाएं इस काम में जुटी हैं और अपने घर परिवार के बेहतर जीवन यापन में सहयोग कर रहे हैं।
मकबरा द्वितीय में कैच वाली मस्जिद के पास रहने वाली चमन जहां की शादी 15 साल पहले हुई थी। बच्चे हुए तो जिम्मेदारियां भी बढ़ीं। ऐसे में उन्होंने भी घर की जिम्मेदारियों में हाथ बंटाने की ठानी। बहुत अच्छी शिक्षा नहीं होने के कारण नौकरी करना मुश्किल था। ऐसे में उन्होंने घर पर चले आ रहे परंपरागत कार्य करने का मन बनाया। पहले काम सीखा और फिर बन गईं दस्तकार। अब दूसरे महिलाओं को भी वह ट्रेनिंग देती हैं। उनसे काम सीखकर महिलाएं दस्तकार के तौर पर काम कर रही हैं और अच्छी खासी कमाई कर लेती हैं।
ससुर और पति को देख आया विचार
चमन जहां के ससुर दिलशाद हुसैन राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता हैं। जब चमन जहां ने यह काम महिलाओं के लिए नहीं हैं। लेकिन, वह जिद पर अड़ी रहीं और घर में समय मिलने पर दस्तकारी में हाथ आजमाने लगी। तब ससुर दिलशाद हुसैन ने उन्हें काम सिखाना शुरू किया। काम सीखने के बाद वह खुद भी महारथी बन गईं। उनके काम से अलग पहचान बनीं। कई फेयर, सांस्कृति प्रदर्शनी में उनके काम को प्रशंसा मिली तो काम में और निखार आता गया।
2013 में जीता राज्य पुरस्कार
धीरे-धीरे कार्य करते हुए चमन जहां कपड़े पर डिजाइन और पीतल के आइटम में रंग भरने व इन्ग्रेविंग का काम शुरू किया। इसके बल पर 2013 में उन्हें राज्य पुरस्कार से चुना गया। लखनऊ में समारोह में उन्हें यह अवार्ड मिला।
महिलाओं को आगे लाना चाहती हैं
चमन जहां ने बताया कि वह महिलाओं के पास भी सोच और क्षमता भी। उनके लिए कोई कार्य असंभव नहीं। उनको भी समाज में सम्मान के साथ जीने का हक है। वह महिलाओं को ट्रेनिंग भी देती हैं। उनसे काम सीखकर महिलाएं इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
महिलाओं को बना रही स्वावलंबी
पीतल के कारोबार में बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी हैं लेकिन, उनके हिस्से केवल, आइटम की साफ और पैकिंग जैसे ही काम आते हैं। इसमें समय तो पूरा जाता है और कमाई से गुजारा भी नहीं हो पाता। अब वे दस्तकारी सीखकर अच्छी कमाई कर रही हैं और उनके परिवारों में खुशहाली आई है।