ई-कचरा से घर-घर पहुंच रहा कैंसर Moradabad News
इसी तरह से सब्जी में ई-कचरा का अंश होता है।
प्रदीप चौरसिया, मुरादाबाद । ई कचरा घर-घर कैंसर पहुंचाने का काम कर रहा है। ई-कचरा का प्रदूषण और जहरीले पदार्थ रामगंगा में भी घुल चुके हैं। इस कारण आसपास रहने वाले लोगों को कैंसर की बीमारी गिरफ्त में लेकर मौत की ओर ले जा रही है।
आज विश्व कैंसर दिवस है। कैंसर के लिए देश में सबसे बड़ा घातक ई-कचरा होता जा रहा है। विश्व के विकसित देशों से निकलने वाला ई-कचरा भारत में बड़े पैमाने पर आ रहा है। देश का ई-कचरा भी लगातार निकल रहा है। ई-कचरा में कैडमियम, निकिल, क्रोमियम, एंटीमोनी, आर्सेनिक और मरकरी होते हैं। इसके अलावा चांदी के टांके लगे होते हैैं। इससे निकलने के लिए बड़े पैमाने में नदी के किनारे या खेतों में ई-कचरा को जलाया जाता है। मुरादाबाद में ई-कचरा रामगंगा नदीं के किनारे, भोजपुर क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर जलाया जाता है। ई-कचरा के जलने से निकलने वाले वाले धुआं में कई जहरीली गैसें और रासायनिक कण भी होते हैैं। जो सांस के द्वारा शरीर के अंदर पहुंच जाता हैं। ई-कचरा के जले हुए अवशेष को नदियों में बहा दिया जाता है। जिससे पानी जहरीला हो जाता है। पिछले साल रामगंगा नदी की मछली मरना शुरू हो गया था। इसी रामगंगा के पानी से सब्जी, जानवरों के लिए चारा पैदा किया जाता है। चारा के माध्यम जानवरों के अंदर ये जहरीले कण पहुंचते हैं। दूध और सब्जियों के प्रयोग से शहरवासियों के शरीर में यह तत्व पहुंचकर कैंसर जैसी बीमारी से पीडि़त करते हैं। रामगंगा किनारे रहने वाले कई लोगों को कैंसर से मौत हो चुकी है।
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि ई-कचरा में निकलने वाला क्रोमियम आर्सेनिक, निकिल, मरकरी के शरीर के अंदर जाने से किडनी, लीवर को क्षतिग्रस्त करता है। इसके कारण कैंसर होने का सबसे अधिक खतरा होता है।