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Campaign of Jagran: अंजाम तक पहुंची जागरण की मुहिम, सभी श्रमिकों को मिली उनकी साइकिल की कीमत

Campaign of Jagran लॉकडाउन के दौरान साइकिल से शहर से गुजर रहे बिहार के लोगों की साइकिलें यहीं छूट गई थीं। उन्हें बसों से भेज दिया गया था।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 07:11 PM (IST)
Campaign of Jagran: अंजाम तक पहुंची जागरण की मुहिम, सभी श्रमिकों को मिली उनकी साइकिल की कीमत
Campaign of Jagran: अंजाम तक पहुंची जागरण की मुहिम, सभी श्रमिकों को मिली उनकी साइकिल की कीमत

अमरोहा (अनिल अवस्थी)। दैनिक जागरण की मुहिम (श्रमरत मनुष्यता को प्रणाम) अंजाम तक पहुंच गई है। प्रवासी श्रमिकों की 51 साइकिलों की पांच से सात हजार की नीलामी के बाद शेष बची साइकिलों को खरीदने के लिए डॉक्टर, किसान, वकील, शिक्षक और व्यापारी एक साथ आगे आ गए। युवा आइएएस अधिकारी एसडीएम शशांक चौधरी की अगुवाई में उन्होंने पुरानी साइकिलों की पांच-पांच हजार रुपये कीमत चुकाई। यह रकम श्रमिकों के खाते में ऑनलाइन भेज दी गई। 

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कोरोना महामारी के बीच संघर्षों से जूझते हुए सैकड़ों मील दूर मंजिल तक पहुंचे श्रमिकों के लिए शुरू की गई अनूठी पहल मंगलवार को सफल हो गई। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि प्रांतों से पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के लिए निकले प्रवासी श्रमिकों की साइकिलें बीच राह अमरोहा में ही छूट गई थीं। वैसे तो इन पुरानी साइकिलों की कीमत बहुत नहीं थी मगर उनके लिए शायद ये अनमोल थीं। इसी पर सवार होकर वह रोज कारखानों तक अपनी ड्यूटी बजाते थे। अपने लाडलों को साइकिल की सैर कराकर गजब की संतुष्टि पाते थे। विपत्ति के समय मजबूरी में उन्हें अपनी इस अनमोल धरोहर को यहीं छोडऩा पड़ा था। प्रशासन ने उन्हें बसों के जरिये घर भेज दिया था। अब उन्हें न साइकिल मिलने की उम्मीद थी और न ही इसके बदले कोई कीमत।

दैनिक जागरण ने इन साइकिलों का मुद्दा एक मुहिम के तहत उठाया था। फिर क्या था हर वर्ग से लोग श्रमिकों की मदद को तैयार हो गए। जिलाधिकारी उमेश मिश्र के साथ अन्य प्रशासनिक अफसरों ने पांच-पांच हजार में दस साइकिलों को खरीदने की पहल की। इसके बाद एसपी डॉ. विपिन ताडा के नेतृत्व में थानेदारों ने 11 साइकिलें खरीद लीं। पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल के बाद दो फैक्ट्रियां भी आगे आईं। देखते ही देखते 51 साइकिलें बिक गईं। शेष दस साइकिलों के लिए हर वर्ग से खरीदार दौड़ पड़े। जोया स्थित बैंक्वेट हॉल में डॉक्टर, वकील, किसान, शिक्षक और व्यापारी पहुंच गए। यहीं पर श्रमिकों की साइकिलें रखी हैं। सूचना पर युवा आइएएस अधिकारी शशांक चौधरी भी पहुंचे। सभी ने हाथोंहाथ शेष बची दस साइकिलें ले लीं। पुरानी साइकिलों की कीमत पांच सौ से अधिक नहीं हैं मगर, खरीदारों ने इसे अनमोल माना। पांच हजार रुपये का ऑनलाइन भुगतान कर श्रमिकों के पसीने का सम्मान किया। इस तरह कुल 61 श्रमिकों के खातों में ऑनलाइन धनराशि पहुंचते ही जागरण की यह मुहिम अंजाम तक पहुंच गई।

क्या बोले अधिकारी

प्रवासी श्रमिकों की आर्थिक मदद को शुरू की गई दैनिक जागरण की मुहिम काबिल-ए-तारीफ है। इससे प्रेरित होकर हर वर्ग के लोग इस मुहिम का हिस्सा बन गए। इसके लिए जागरण समूह धन्यवाद का पात्र है। 

शशांक चौधरी, (आइएएस) एसडीएम सदर।

इन प्रवासी श्रमिकों की बिकीं साइकिलें

नाम                    पता                                          खरीदार

सोनू कुमार         नालंदा, बिहार              डॉ. देवेंद्र सिरोही, कोषाध्यक्ष, आइएमए

बुधि सागर          सुपोल, बिहार              डॉ. राजीव सिंह, सर्जन, संजीवनी नर्सिंग होम

परवेंद्र               सिवान, बिहार             चंद्रपाल सिंह, काश्तकार, ग्राम नौरंगी सिरसा

सरस                 सिवान, बिहार              आलोक सिंह, सचिव, बार एसोसिएशन, अमरोहा

राहुल                 सिवान, बिहार             कृष्णा टंडन, संस्थापिका, आरके पब्लिक स्कूल

साहिब सिंह         भागलपुर, बिहार           अंजलि टंडन, सचिव, जीडीटीएस विद्या मंदिर, अमरोहा

अजय                संतकबीरनगर उप्र           अजय टंडन, एमडी, जीआर साल्वेंट्स एंड एलाइड, इंडिया लिमि.

विपिन                नवादा, बिहार              साकेत कौरा, कोषाध्यक्ष, हैप्पी हाट्स एन इंटरनेशनल प्री-स्कूल

कुलेश मिश्रा        देवरिया, उप्र             डॉ. पंकज बादल, अध्यक्ष आइएम

प्यारेलाल             जौनपुर                    पंकज गुप्ता, संचालक, कार केयर सेंटर, अमरोहा। 


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