बहन को किडनी देकर रक्षा का वचन निभाएगा भाई, पढ़े पूरा मामला
पथरी और हार्निया की शिकायत पर महिला ने आपरेशन करा लिया लेकिन मोटापा बढ़ जाने पर लगातार दवाओं का सेवन करती रहीं। इसके चलते दोनों किडनी फेल हो गई। हर तीसरे दिन डायलिसिस की नौबत आ गई। चिकित्सकों ने जान बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी।
अमरोहा, जेएनएन। पथरी और हार्निया की शिकायत पर महिला ने आपरेशन करा लिया लेकिन, मोटापा बढ़ जाने पर लगातार दवाओं का सेवन करती रहीं। इसके चलते दोनों किडनी फेल हो गई। हर तीसरे दिन डायलिसिस की नौबत आ गई। चिकित्सकों ने जान बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी। बड़ी बहन की हालत देख छोटे भाई की रूह कांप उठी। वह अपनी बहन को किडनी देकर जान बचाएंगे। सीएमओ से अनुमति के बाद डीएम के यहां एनओसी के लिए फाइल भेजी गई है।
यह मामला आदमपुर थाना क्षेत्र के गांव ढबारसी का है। गांव के राजीव अग्रवाल की पत्नी पारूल अग्रवाल (37) वर्तमान में ग्राम प्रधान हैं। परिजनों के मुताबिक वर्ष 2011 में उनको पथरी की शिकायत हुई। आपरेशन से पित की थैली समेत पथरी को निकलवा दिया। इसके बाद महिला का स्वास्थ्य खराब रहने लगा। जांच कराई तो हार्निया से पीडि़त पाई गकं। इसकी वर्ष 2012 में सफल सर्जरी करा दी गई। वर्ष 2017 में दोबारा हार्निया से पीडि़त हो गईं। पति ने मेरठ ले जाकर उनकी सर्जरी करा दी। इसके बाद उन्हें मोटापे की शिकायत हुई तो स्थानीय चिकित्सक की सलाह से मोटापा कम करने की दवाओं का सेवन करने लगीं। इससे उनका स्वास्थ्य और गिरता चल गया। घबराहट होने लगी। पति ने पिछले वर्ष दिल्ली ले जाकर जांच कराई तो चिकित्सकों ने दोनों किडनी खराब बताई। चिकित्सकों की सलाह पर महिला की हर तीसरे दिन डायलिसिस होती है, बावजूद इसके हालत में सुधार न होने पर चिकित्सकों ने किडनी प्रत्यारोण ही इसका एकमात्र इलाज बताया।
न्ंदौसी में मायके वालों को पता चला तो होश उड़ गए। छोटे भाई अंकित (35) ने बहन की जान बचाने के लिए अपनी किडनी देने निर्णय लिया। उनके आवेदन पर सीएमओ डॉ. सौभाग्य प्रकाश ने किडनी प्रत्यारोपण की अनुमति के लिए डीएम उमेश मिश्र को फाइल भेजी है। सीएमओ ने बताया कि अनुमति मिलने के बाद ही अग्रिम कार्रवाई होगी।
पिता भी बेटी को किडनी देने को हो गए थे तैयार
पारूल अग्रवाल का मायका मुहल्ला खुर्जा गेट, चन्दौसी का है। बेटी पारूल की दोनों किडनी खराब होने का पता चला तो बुजुर्ग पिता कैलाश अग्रवाल के होश उड़ गए और उन्होंने बेटी की जान बचाने के लिए अपनी किडनी देने का निर्णय लिया। अमरोहा बुलाकर उनकी जांच पड़ताल की गई तो चिकित्सकों ने उनकी किडनी लेने से इन्कार कर दिया।