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SHOOTOUT AT SAMBHAL : पुलिसिया चूक की पोल खोल रही लहूलुहान खाकी Sambhal News

सम्भल की घटना व फरार कैदियों के इतिहास पर गौर करें तो पुलिस व जेल प्रशासन की चूक आइने की तरह साफ हो जाती है। एक साथ फरार तीनों कैदी कुख्यात बदमाश हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 11:19 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 06:17 AM (IST)
SHOOTOUT AT SAMBHAL  : पुलिसिया चूक की पोल खोल रही लहूलुहान खाकी Sambhal News
SHOOTOUT AT SAMBHAL : पुलिसिया चूक की पोल खोल रही लहूलुहान खाकी Sambhal News

मुरादाबाद, जेएनएन। सम्भल में दिनदहाड़े दो सिपाहियों की जघन्य हत्या और तीन कैदियों के फरार होने की घटना पुलिस की चूक का परिणाम है। खाकी के लहूलुहान होने का जिम्मेदार वह जेल प्रशासन है, जिसने खूंखार कैदियों के मंसूबे पढऩे और गतिविधि पर नजर रखने में भारी चूक की। दो सिपाहियों की मौत का जिम्मेदार व जवाबदेह कोई और नहीं, बल्कि सम्भल पुलिस व मुरादाबाद जेल प्रशासन है।

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 फरार कैदी हैं कुख्यात

 सम्भल की घटना व फरार कैदियों के इतिहास पर गौर करें, तो पुलिस व जेल प्रशासन की चूक आइने की तरह साफ हो जाती है। एक साथ फरार तीनों कैदी कुख्यात बदमाश हैं। उनके खिलाफ हत्या, रंगदारी व हत्या के प्रयास जैसे संगीन मुकदमे दर्ज हैं। वर्ष 2014 से मुरादाबाद कारागार में कैद तीनों कैदियों के फरार होने की पटकथा सोच समझ कर लिखी गई है। वारदात अंजाम देने में कैदियों द्वारा अपनाया गया तौर तरीका इस दावे की पुष्टि करता है। कैदियों के पास लाल मिर्च का पाउडर व असलहा होने की भी बात प्रकाश में आई है। घटना में पांच अन्य बदमाशों का हाथ होने का भी दावा हो रहा है। इससे साफ है कि तीनों कैदियों के फरार होने की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। ऐसे में तनिक भी संदेह नहीं कि चन्दौसी कोर्ट में पेशी के दौरान कैदियों तक मिर्ची पाउडर व असलहा पहुंचाया गया। कैदी वाहन में बदमाशों को बैठाने से पहले पुलिस ने अपने दायित्व निर्वाह में कोताही की। यही वजह रही कि शागिर्दों से मिला असलहा व मिर्ची पाउडर वाहन में ले जाने में तीनों कैदी सफल रहे। 

 छह की जगह वाहन में तैनात रहे सिर्फ पांच पुलिस कर्मी

 कैदी वाहन की सुरक्षा में कम से कम छह पुलिस कर्मियों को तैनात करने का प्रावधान है। चालक समेत दो पुलिस कर्मी वाहन के आगे की सीट पर बैठते हैं। चार पुलिस कर्मियों को पीछे बैठने का नियम है। जिस कैदी वाहन पर हमला बोला गया, उसमें पीछे की सीट पर सिर्फ दो पुलिस कर्मी ही तैनात थे। इससे भी पुलिस की लापरवाही का पता चलता है। 

 तो शटर फैला कर भाग गए तीनों कैदी

 प्राथमिक छानबीन में पता चला है कि वाहन का शटर फैला कर तीनों कैदी फरार हुए। यदि यह सच है तो इसमें आरआइएमटी ने चूक की। आरआइएमटी का दायित्व है कि वह कैदी वाहन की सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद रखें। बताया जाता है कि यदि शटर खराब था तो उसे दुरुस्त करने की जिम्मेदारी आरएआइएमटी की है। 

 सवालों के कटघरे में जेल प्रशासन

 सम्भल में तीन कैदियों के फरार होने व उनके द्वारा दो सिपाहियों की हत्या करने के मामले में मुरादाबाद कारगार प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है। कारागार प्रशासन के कंधे पर कैदियों की गतिविधि पर नजर रखने व उनके छिपे मंसूबे पढऩे का भार होता है। बताया जाता है कि कारागार प्रशासन इसी आधार पर कैदियों की अलग श्रेणी भी तय करता है। संदिग्ध गतिविधि वाले कैदियों की अतिरिक्त निगरानी होती है। उनकी सूची तैयार कर पुलिस को जानकारी दी जाती है। वारदात के तौर तरीके से यह बात साफ हो गई है कि यह घटना महज इत्तेफाक नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश का परिणाम है। घटना की नींव मुरादाबाद जेल में रखी गई, इस आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। पूर्व में भी मुरादाबाद जेल में हत्या की साजिश रचने का पर्दाफाश कई बार पुलिस कर चुकी है। 


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