भाकियू कार्यकर्ताओं ने जलाई गन्ने की होली
एसडीएम को सौंपा प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन समस्या का समाधान न होने पर दी आंदोलन की चेताया।
मुरादाबाद,जासं : भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं कृषि बिल और चार साल से गन्ने के दाम न बढ़ाए जाने को लेकर गन्ने की होली जलाकर विरोध जताया। केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी भी की। एसडीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री को समस्याओं को लेकर ज्ञापन भेजा।
भाकियू कार्यकर्ता सोमवार को किसान भवन छजलैट पर इकट्ठा हुए। यहां महापंचायत करके किसानों की समस्याओं का समाधान न होने पर रोष व्यक्त किया। इस दौरान आक्रोशित किसानों ने गन्ने की होली जलाकर सरकार की नीतियों का विरोध किया। इसके बाद किसानों की समस्याओं को लेकर उपजिलाधिकारी कांठ हिमांशु वर्मा को ज्ञापन सौंपा। भाकियू के वरिष्ठ मंडल उपाध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल सिंह ने कहा कि शासन प्रशासन द्वारा किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है। सरकार किसानों का हितैषी होने का दावा करती है तो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे। कृषि बिल खेती को उद्योगतियों के हाथ में देने के लिए लाया गया है। यह किसानों को मंजूर नहीं है। गन्ने के दामों में चार साल से बढ़ोतरी नहीं हुई है। चीनी मिलें गन्ने के बकाया भुगतान को लेकर भी संजीदा नहीं है। बिजली अधिकारी किसानों पर झूठे मुकदमे लिखा रहे हैं। सम्मान निधि की रकम तमाम किसानों को नहीं मिल रही है। तहसील अध्यक्ष जितेंद्र उर्फ जीतू ने कहा कि नहरों में दूषित पानी छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गन्ना बकाया गन्ना मूल्य भुगतान करके चीनी मिलों को चलाया जाए। उप जिलाधिकारी ने सभी समस्याओं का समाधान कराने का भरोसा दिलाया। कार्यक्रम में जिला मंत्री नवनीत विश्नोई, जिला उपाध्यक्ष हरदीप सिंह, जितेंद्र उर्फ जीतू, धर्मवीर सिंह, रामकला सिंह, राम कैलाश, सुरेंद्र सिंह, विजय सिंह, महेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, सत्येंद्र सिंह, अमरपाल सिंह, राहुल चौधरी, वीर सिंह, राजवीर सिंह, कृष्ण पाल सिंह, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।
यह थीं मुख्य मांगें-
- डॉ. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए
- गन्ना मूल्य बकाया ब्याज समेत किसानों को मिलना चाहिए
- किसान निधि सम्मान योजना की धनराशि दस हजार किया जाए
- चीनी मिलों को 26 अक्टूबर तक हर हाल में चालू कराना है
- कांठ में क्षेत्र में फुंके हुए मीटरों को बदलवाने की कार्रवाई हो
- किसानों को आवारा पशुओं और बंदरों से मुक्ति दिलाई जाए
- नहरों में सिचाई के लिए पानी नहीं है, पानी की व्यवस्था हो