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कड़वा सच : नेताजी की कुर्सी खतरे में, वर्दी वालों ने किया अधिकारों का दुरुपयोग Moradabad News

सियासी रण के लिए अभी से बिछने लगीं गोटियां। जिस तरह से अभी से हलचल शुरू हो गई उससे मुरादाबाद में सियासी कुश्ती से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 04:10 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 04:10 PM (IST)
कड़वा सच : नेताजी की कुर्सी खतरे में, वर्दी वालों ने किया अधिकारों का दुरुपयोग  Moradabad News
कड़वा सच : नेताजी की कुर्सी खतरे में, वर्दी वालों ने किया अधिकारों का दुरुपयोग Moradabad News

मुरादाबाद(मोहसिन पाशा)। सियासत में रिश्तों का कोई मोल नहीं। मौका आते ही वे लडख़ड़ा जाते हैं। बिहार से लेकर यूपी तक के कई सियासी घराने इसके गवाह हैं। मुरादाबाद में भी साइकिल पर सवार एक घराने के माननीय की कुर्सी पर उनके बेटे की निगाह लग गई है। इस घराने को जनता ने दूसरी बार मौका दिया है। वैसे तो घर में कई साल से कुर्सी को लेकर झगड़ा है लेकिन, इधर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। माननीय का छोटा बेटा कुर्सी पाने के लिए बेताब है। इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, इतना कि नौबत मारपीट तक पहुंच गई। सियासी रण में अभी दो साल से ज्यादा समय है लेकिन, बेटे ने पिता की राह में गोटी बिछाना शुरू कर दिया है। पिछले साल रिश्तेदारों के कहने पर मान तो गया, लेकिन, अब मामला पेंचीदा हो गया है। संकेत साफ है कि सियासी कुश्ती होकर रहेगी। 

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बैंककर्मियों को बलि का बकरा बनाया

शहर के एक निर्यातक को खाते से निकली रकम दिलाने के लिए वर्दी वालों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके बैककर्मियों को बलि का बकरा बना दिया। सिविल लाइंस निवासी निर्यातक के खाते में नौ लाख रुपये थे। इस खाते से तीन साल में धीरे-धीरे चार लाख रुपये निकल गए, निर्यातक को पता ही नहीं चला। ब्रेफिक्री देखिए उनके नाम पर एटीएम कार्ड जारी हो गया और उन्हें पता ही नहीं चला। एटीएम से ही हर महीने कुछ न कुछ रकम दिल्ली से निकलती रही। जब जानकारी हुई तो निर्यातक की बेचैनी बढ़ गई। अफसरों से सिफारिश लगवाकर मुकदमा तो लिखवा दिया लेकिन, कोई जालसाज पकड़ा नहीं गया। वर्दी वालों ने जालसाज तलाशने के बजाए एटीएम कार्ड जारी करने वाले दो बैंक कर्मियों को ही बलि का बकरा बना दिया। मरता क्या न करता, दोनों ने साढ़े चार लाख रुपये देकर जान बचाई। वह रोए भी बहुत लेकिन, सुनता कौन। 

तस्करों पर कुछ ज्यादा मेहरबानी

पीतलनगरी का एक मुहल्ला इन दिनों तरह-तरह के जानवरों के अंग बेचने को लेकर बदनाम है। एक दर्जन से ज्यादा वर्दी वाले भी इस गुनाह में शामिल होकर अपनी जेबें भरने का दाग लगने पर नप चुके है। सर्किल के एक साहब के अलावा कुछ नेता भी इन तस्करों पर खूब मेहरबान हैं। तभी तो तस्कर मौज में है। चर्चा तो यह है कि आठ पशु तस्कर इतने धाकड़ हैं कि वर्दी वाले उन्हें कब्जे में लेने का दम नहीं जुटा पा रहे हैं। जैसे उन्हें माफ कर चुके हैं। ईमानदार अफसर भी अंदर की कोई बात नहीं जान पा रहे। कई बिचौलिए तो मोटी रकम कमा रहे हैं। छोटे-मोटे सफेदपोश भी धमक दिखाकर आराम से माल उठा रहे हैं। कुछ तो ऐसे जिनका नाम सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इतना जरूर है कि बड़े साहब ने जिस मन बना लिया उसी दिन कई लोगों का नपना तय है।  

बड़े साहब का खौफ फायदेमंद 

खाकी वाले इन दिनों मजे में हैं। फूल छाप वाले बड़े-बड़े लोग भी उनसे सोच समझकर उनसे सिफारिश करते हैं। फटाक से मामला टरका देते हैं। खाकी वालों के पास महीने में दो-चार फूल छाप वालों का फोन आ भी गया तो वे यह कहकर पीछा छुड़ा लेते हैं कि बड़े साहब से बात कर लो। इतना सुनते ही तेवर ढीले पड़ जाते हैं। उनसे बात करने की हिम्मत ही नहीं हो पाती। खाकी वाले फिर आराम से अपने फार्मूले से केस डील करते हैं। पुराने वाले छोटे साहब ने एक नेताजी के बेटे के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। वर्दी वालों ने इसी फार्मूले से उसे खत्म करके काम तमाम कर लिया और किसी को भनक तक नहीं लगने दी। फार्मूला खाकी वालों को खूब रास आ रहा है। बड़े साहब से भी बातें छुपा और घुमा लेते हैं। हालांकि, बड़े साहब की नजर भी तेज रोशनी वाली है। चर्चा है कई खाकी वाले जाल में फंस भी गए।   


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