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अपनों के बाणों से फिर सरशैय्या पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने वाले भीष्म

अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने वाले खिलाडिय़ों के भीष्म पितामह सुरेंद्र ङ्क्षसह छह माह से अपनों के बाणों की शैय्या पर हैं। इसके बावजूद सक्षम अधिकारी इस फर्जीवाड़े के खिलाफ कार्रवाई कर में अक्षम हैं जिससे बेकसूर प्रवक्ता परिवार सहित उत्पीडऩ का दंश झेलने को मजबूर हैं।

By RashidEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 12:04 AM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 12:12 PM (IST)
अपनों के बाणों से फिर सरशैय्या पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने वाले भीष्म
अपनों के बाणों से फिर सरशैय्या पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने वाले भीष्म

मुरादाबाद : (अनिल अवस्थी)। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने वाले खिलाडिय़ों के भीष्म पितामह सुरेंद्र सिंह छह माह से अपनों के बाणों की शैय्या पर हैं। कालेज प्रबंधन अपनी काली करतूतों पर परदा डालने के लिए बिना किसी आरोप के निलंबित रखे है जबकि प्रबंधन से जारी निलंबन व सहायक अध्यापक को प्रधानाचार्य बनाने के आदेश को सक्षम अफसरों ने गलत करार देते हुए अनुमोदित नहीं किया है। इसके बावजूद सक्षम अधिकारी इस फर्जीवाड़े के खिलाफ कार्रवाई करने में अक्षम हैं जिससे बेकसूर प्रवक्ता परिवार सहित उत्पीडऩ का दंश झेलने को मजबूर हैं।

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बिना कुसूर छह माह से निलंबित 

अमरोहा जिले के नारंगपुर स्थित स्ववित्तपोषित सिख इंटर कालेज में तैनात समाजशास्त्र के प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह का गुनाह सिर्फ इतना है कि वह कालेज प्रबंधतंत्र के गोलमाल में हिस्सेदारी निभाने का हुनर नहीं जानते। बीती 31 मार्च को प्रधानाचार्य सुखदर्शन सिंह सेखो के रिटायरमेंट के बाद नियमत: वरिष्ठता क्रम में सुरेंद्र सिंह का प्रधानाचार्य बनना तय था। मगर सुरेंद्र सिंह की ईमानदार छवि प्रबंधतंत्र को चुभ रही थी। इसकी वजह यह थी कि उनके प्रधानाचार्य बनते ही कालेज में चल रहे घालमेल पर पाबंदी लग जाती। इससे प्रतिमाह लाखों रुपये का चूना लगना तय था। इसके चलते प्रबंध समिति ने सुरेंद्र सिंह को दरकिनार करते हुए वरिष्ठता क्रम में 16वें पायदान के सहायक अध्यापक खजान सिंह को प्रधानाचार्य घोषित कर दिया। मगर डीआइओएस समेत अन्य उच्चाधिकारियों ने नियमों को हवाला देकर खजान सिंह की तैनाती को खारिज कर दिया। इससे बौखलाए प्रबंध तंत्र ने 19 मई को एक लाइन का पत्र देकर सुरेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया। इस पत्र में निलंबन की वजह तक नहीं लिखी गई। निलंबन तिथि 15 दिखाई गई जबकि 19 मई तक सुरेंद्र सिंह के हाजिरी रजिस्टर में दस्तखत मौजूद हैं।

काली करतूतों पर परदा डालने को उत्पीडऩ का दंश

इस फर्जीवाड़े से रूबरू होने के बाद डीआइओएस ने कालेज प्रबंध समिति की ओर से जारी निलंबन आदेश को स्वीकृत नहीं किया। इसके बावजूद पिछले छह माह से सुरेंद्र सिं निलंबन का दंश झेल रहे हैं और कालेज के फर्जीवाड़े के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्षम अधिकारी अक्षम साबित हो रहे हैं।

कालेज में चल रहे ये खेल

सिख इंटर कालेज में विज्ञान वर्ग से इंटर की पढ़ाई कालेज प्रबंधन निजी स्रोतों से करा रहा है। इसके लिए सरकारी अभिलेखों में उसने शिक्षकों की तैनाती और उन्हें वेतन देने का हवाला दिया है। हकीकत यह है कि हाईस्कूल के शिक्षकों से ही इंटर के छात्रों को पढ़वाया जा रहा है। जबकि 11वीं व 12वीं में कुल बच्चों से प्रतिमाह 30 हजार से अधिक फीस वसूली जा रही है। एक षडयंत्र के तहत नियम विपरीत प्रबंधतंत्र ने अपने ही कुनबे के लोगों को प्रबंध समिति में शामिल कर लिया। यह भी आरोप है कि परिजनों को ही नियम विपरीत शिक्षक भी बना दिया गया। प्रबंधन को सुरेंद्र सिंह के प्रधानाध्यापक बनने पर इन सब गोलमाल के पर्दाफाश होने का डर सता रहा था। हालांकि कालेज प्रबंधक धर्म सिंह ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि कालेज में सब कुछ नियमानुसार ही हो रहा है।

सुरेंद्र ने निकाले ये अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी 

कालेज में बतौर समाजशास्त्र प्रवक्ता तैनात सुरेंद्र सिंह राष्ट्रीय स्तर के एथलीट रहे हैं। उन्होंने कालेज में पढ़ाने के साथ ही छात्रों को बेहतर प्रशिक्षण देकर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकाले। इनमें प्रमुख रूप से हैमर थ्रो के खिलाड़ी निर्भय सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, एथलीट सुमित कुमार, एशियाड में शामिल सरिता सिंह शामिल हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड झटकने वाले लगभग दो दर्जन से अधिक खिलाड़ी शामिल हैं।

जेडी ने कहा तत्काल करें कार्रवाई

संयुक्त शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने गुरुवार को डीआइओएस रामाज्ञा कुमार को सुरेंद्र सिंह के खिलाफ षडयंत्र के तहत चल रही उत्पीडऩ की कार्रवाई पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने लिखा है कि बिना अनुमोदन के छह माह से निलंबित चल रहे सुरेंद्र सिंह व उनका परिवार आर्थिक तंगी व मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं, इस पर न्यायोचित कार्रवाई करें।  


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