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रामगंगा के लिए भागीरथ बने गौरव

भारत की संस्कृति और सभ्यता में नदियों का विशेष योगदान रहा है। धार्मिक, सामाजिक, कृषि, शैक्षिक, औषधि का क्षेत्र देश की नदियों से जुड़ा रहा है।

By RashidEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 02:31 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:05 PM (IST)
रामगंगा के लिए भागीरथ बने गौरव
रामगंगा के लिए भागीरथ बने गौरव

मुरादाबाद ।  भारत की संस्कृति और सभ्यता में नदियों का विशेष योगदान रहा है। धार्मिक, सामाजिक, कृषि, शैक्षिक, औषधि का क्षेत्र देश की नदियों से जुड़ा रहा है। देश की विभिन्न सभ्यताओं को लंबे समय तक नदियों और धर्म से जोड़ कर इन्हें स्वच्छ और पवित्र बनाकर रखा गया। नदियों को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती है। नदियों को आज भी मां के रूप में सम्मान दिया जाता है। गंगा ही नहीं देश की दूसरी नदियों के प्रति भी हमारे मन में सम्मान है। गंगा नदी को स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भगीरथ द्वारा भगवान महादेव के तप की पौराणिक कथा पूरे देश में लोकप्रिय है।

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गौरव बंस दो साल से लड़ रहे थे लड़ाई 

आज के इस दौर में भी नदियों को बचाने के लिए भागीरथ जैसे प्रयास किए जा रहे हैं। मुरादाबाद की रामगंगा नदी को बचाने के लिए दो साल से हरपाल नगर निवासी गौरव बंसल राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में लड़ाई लड़ रहे हैं। साल 2017 में गौरव ने एनजीटी में पीआइएल दाखिल करके ई-कचरे की राख हटवाने के लिए मुहिम शुरू की थी। उनकी शुरू की गई मुहिम अब रंग लाने लगी है। शासन के निर्देश बाद के रामगंगा के चार घाटों से ई-कचरे की राख हटाने की कार्रवाई की जा रही है। आठ फरवरी-19 तक रामगंगा के किनारे से ई-कचरे की राख पूरी तरह से हटा दी जाएगी।

ई-कचरे से रामगंगा की मछलियों को हो गया है कैंसर

नदी प्रदूषित होने के कारण भूमि भी प्रदूषण से प्रभावित होने लगती। इसका सीधा असर कृषि उपज की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसी प्रदूषण की वजह से कई बार रामगंगा में अठखेलियां करने वाली मछलियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। यहां तक की एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय की अध्ययन रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था,कि ई-कचरे की राख की वजह से रामगंगा की मछलियां कैंसर की शिकार हो रही है।

बचपन से रामगंगा की दुर्दशा करती थी विचलित

नौ साल से एनजीटी कोर्ट में वकालत कर रहे गौरव ने बताया कि वह बचपन से ही रामगंगा की गंदगी विचलित करती थी। लॉ करने के बाद वह साल 2009 से दिल्ली में प्रैक्टिस करने लगे थे। इस दौरान उन्होंने समाजिक मुद्दों से जुड़ी कई पीआइएल दाखिल कर न्याय दिलाने का काम किया। इसी में रामगंगा की सफाई को लेकर डाली गई पीआइएल भी शामिल है।

सामाजिक हितों के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा

किसी भी शहर की सभ्यता वहां की नदी से जीवंत होती है। रामगंगा की गंदगी और प्रदूषण ने मुझे अंदर से झकझोर दिया था। इसके बाद मैंने यह लड़ाई एनजीटी के माध्यम से लड़ी है। मुझे विश्वास है कि जल्द ही रामगंगा का जल निर्मल होगा। आगे भी सामाजिक हितों के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा। गौरव बंसल,अधिवक्ता,राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण 


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