मुश्किल थे हालात लेकिन नहीं टेके घुटने, अब हैं राष्ट्रीय खिलाड़ी
मुश्किल हालात से लड़कर मायरा ने मुकाम हासिल कर बढ़ाया परिवार का मान।
मुरादाबाद । हिमगिरी कॉलोनी में किराए के छोटे के कमरे में बेवा मां और छोटे भाई के साथ रहने वाली मायरा खान की कहानी सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान से मिलती जुलती हैं। मुफलिसी में जिदंगी गुजार रही मायरा ¨हदू युवा खिलाड़ियों की मदद से भारोतोलन की नेशनल प्लेयर बन गई। कई गोल्ड मेडल जीतकर मायरा ने मुरादाबाद का नाम तो रोशन किया ही है, बेटियों को खेल की प्रेरणा भी दे रही है। अब उसकी देश के लिए खेलने की तमन्ना है। साल 2013 में आए कॉलोनी में मूल रूप से रामपुर के बिलासपुर गेट स्थित कालोनी में रहने मुहम्मद उमर की मौत के बाद पत्नी रजिया खान बेटी मायरा खान और बेटे हारिश को लेकर 16 फरवरी 2013 में मुरादाबाद के हिमगिरी कालोनी में आकर रहने लगी थीं। परिवार का खर्च चलाने के लिए रजिया ने अभय शिक्षा निकेतन विद्यालय, ग्राम मूरा, कांठ रोड में आया की नौकरी कर ली। मायरा को बचपन से ही खेल में रुचि थी। शुरू में मायरा ने लंबी कूद में हिस्सा लिया, लेकिन बात नहीं बनी। सोनकपुर स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाना शुरू किया तो वहां आने वाले कुछ खिलाड़ी परेशान करने लगे। दिव्यांशु चौधरी, प्रियांक सिंह, सलमान, अर्जुन सिंह, शमी चौधरी ने बजरंगी भाईजान की तरह मायरा की मदद की। इतना ही नहीं उसे लंबी कूद की जगह भारोतोलन में हाथ आजमाने का मशविरा दिया। मायरा ने नहीं देखा पीछे मुड़कर मायरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिछले साल 28 दिसंबर से 26 जनवरी के बीच मोदीनगर में हुई भारोतोलन 64 किलोग्राम वर्ग की ओपन स्टेट चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में 155 किलोग्राम भार उठाकर पहला स्थान प्राप्त किया। इसी साल 23 से 27 नवंबर तक सहारनपुर में हुई स्कूल स्टेट चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में मुरादाबाद की तरफ से खेलकर 160 किलोग्राम भार उठाकर गोल्ड मेडल हासिल किया। गुवाहाटी में हुए 64वें नेशनल स्कूल गेम्स में मायरा ने यूपी की तरफ से भारोतोलन प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। जिसमें उसे गोल्ड मेडल मिला है। अब मायरा 9 जनवरी से 14 जनवरी तक पुणे में होने वाले खेलो इंडिया में जाने की तैयारी में जुटी है ताकि उसे देश के लिए खेलने का मौका मिल सके। इसके लिए मायरा प्रैक्टिस में जुटी है। मां के साथ खुद भी कमाती है परिवार को चलाने के लिए मां के साथ मायरा खुद भी कमाती है। शहर की एक मशहूर महिला चिकित्सक को व्यायाम सिखाने लिए मायरा को रोज जाना होता है। इसके लिए चिकित्सक से उन्हें छह हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। देश के लिए खेलने की तमन्ना: मायरा मायरा का कहना है कि मैं देश के लिए खेलने के लिए दिन रात मेहनत कर रही हूं। मेरी मां ही नहीं बहुत लोगों की दुआएं हैं। उम्मीद है कि सफलता भी मिलेगी। नौकायन में सूबेदार ने जीता गोल्ड मेडल ईएमई सेंटर हैदराबाद में तैनात सूबेदार शोकिन्द्र तोमर पुणे में हुई सीनियर नेशनल रोईन्ग (नौकायन) चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने विदेशों से भी कई पदक लाकर देश का नाम रोशन किया है। शनिवार को घर आने पर मुहल्ले के युवाओं ने स्वागत किया।
लाइनपार के एकता नगर निवासी शोकिन्द्र सिंह 2010 में सेना में बतौर हवलदार भर्ती हुए। बचपन से ही नोकायन से उनका बेहद लगाव था। इस साल चाइना एशियन गेम्स में मेडल जीता और नायब सूबेदार के पद पर प्रमोशन हो गया। 2011 में कोरिया में एशियन चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीत लिया। इसके अलावा इटली, जर्मनी, ताइवान समेत और भी कई मुल्कों में नौकायन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। सूबेदार शोकिन्द्र सिंह का एशियन चैंपियनशिप इंडिया कैंप के लिए उनका चयन हो गया है। इस मौके पर अंचल कुमार, डॉ. सोमवीर सिंह, रवि सैनी, नरेंद्र त्यागी, राहुल कुमार, विपिन कुमार, शिवम, परमेंदर और मोनू मौजूद रहे।