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ऑनलाइन खरीदारी करते हैं तो रहें सावधान, प्रिंट से ज्यादा वसूली जा रही कीमत Moradabad Nerws

उदाहरण के लिए नेस्ले इंडोनेशिया फॉक्स ट्राफी बनाती है। बाजार में 140 रुपये में यह उपलब्ध है। ऑनलाइन खरीदारी करने पर 499 रुपये में मिलती है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 01:22 AM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 09:10 AM (IST)
ऑनलाइन खरीदारी करते हैं तो रहें सावधान, प्रिंट से ज्यादा वसूली जा रही कीमत Moradabad Nerws
ऑनलाइन खरीदारी करते हैं तो रहें सावधान, प्रिंट से ज्यादा वसूली जा रही कीमत Moradabad Nerws

मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया)। ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं, कहीं आप तीन गुना अधिक कीमत पर तो सामान नहीं खरीद रहे हैं। विधिक माप विज्ञान की अनुसंधान टीम ने ऐसे मामलों को पकड़ा है। विधिक माप विज्ञान विभाग ने ऐसी बीस कंपनियों को नोटिस जारी किया है। 

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युवा वर्ग बाजार की बजाय ऑनलाइन खरीदारी करना पंसद करता है। ऑनलाइन खरीदारी में अमेजन जैसी कई कंपनियां प्लेटफार्म का काम करती है। वहीं उत्पादन करने वाली कुछ कंपनियां सीधे ऑनलाइन बिक्री करती हैं। ऑनलाइन खरीदारी में नियमों का पालन करने, मनमानी कीमत की वसूली पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत ऑनलाइन बिकने वाले उत्पादन का एमआरपी (अधिकतम मूल्य) सभी टैक्स के साथ लिखना पड़ेगा। उत्पादन का वजन या नाप (शुद्ध मात्रा), निर्माता का नाम और विदेशी समान मंगाने पर आयात करने वाली कंपनी का नाम लिखना अनिवार्य है। आरोप है कंपनियां अधिक कीमत वसूलने के लिए इन नियम का पालन नहीं करती है। ऑन लाइन बिक्री में उत्पादन का एमआरपी नहीं लिखती। 

विधिक माप विज्ञान की अनुसंधान टीम ने ऑन लाइनबिक्री करने वाली कंपनियों पर निगरानी करना शुरू कर दिया है। टीम ने जांच में पाया है कि कंपनियां बाजार में बिकने वाले मूल्य से तीन गुना अधिक कीमत तक में सामान की बिक्री करती है। मोबाइल, जूता, कपड़ा, आदि में अधिक कीमत ली जाती है। आन लाइन बिक्री करने वाली कंपनी एमआरपी, वजन आदि नहीं लिखतीं। 

विधिक माप विज्ञान विभाग ने आन लाइन बिक्री करने वाले बीस कंपनियों को नोटिस जारी किया है। 

वरिष्ठ बाट माप निरीक्षक हेमाद्रि सिंह गंगवार ने बताया ऑनलाइन उत्पादन बेचने वाले कंपनियां तीन गुना अधिक कीमत पर सामान की बिक्री कर रही है। विभाग ने बीस कंपनियों को विधिक माप विज्ञान की अधिनियम 2009 की धारा 49(2) के तहत नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह में नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। 

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