Move to Jagran APP

जर्मनी से ई-मेल पर आ रहे अमरोहा की ढोलक के ऑर्डर Moradabad News

ऑनलाइन हुआ अमरोहा का विश्व प्रसिद्ध ढोलक कारोबार। फ्लिपकार्ट और अमेजन के जरिये भी मिल रहे ऑर्डर। विश्व स्तर पर पहुंच रहा अमरोहा का ढोलक कारोबार।

By Edited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 11:10 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 11:25 AM (IST)
जर्मनी से ई-मेल पर आ रहे अमरोहा की ढोलक के ऑर्डर Moradabad News
जर्मनी से ई-मेल पर आ रहे अमरोहा की ढोलक के ऑर्डर Moradabad News

अमरोहा (अनिल अवस्थी)। दुनिया भर में प्रसिद्ध अमरोहा की ढोलक अब ऑनलाइन हो गई है। विदेश से भी इसके ऑर्डर ई-मेल के जरिये आने शुरू हो गए हैं। बेंगलुरु और हैदराबाद के कारोबारियों ने वाट््सएप और ई-मेल से बुङ्क्षकग शुरू करा दी है। अनलॉक 1.0 के बाद लगभग दस लाख रुपये के आर्डर कारोबारियों को मिल चुके हैं। ढोलक के साथ ही जिम्बे (आर्केस्ट्रा में बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र) की डिमांड बढ़ी है। खास बात यह है कि यहां पर चीन से सस्ता और बढिय़ा क्वालिटी का जिम्बे तैयार हो रहा है। 

loksabha election banner

अमरोहा में प्रतिदिन लगभग दस हजार ढोलक, ढोल, मृदंग, जिम्बे समेत अन्य वाद्ययंत्र तैयार होते हैं। यहां ढोलक के लगभग तीन सौ कारखाने हैं। ढोलक फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, दुबई तक जाती है। कोरोना महामारी के चलते 25 मार्च को देशभर में हुए लॉकडाउन के बाद यह कारोबार भी ठप हो गया था। देश भर के व्यापारियों ने करीब 50 लाख के आर्डर निरस्त करा दिए थे। इसके चलते ढोलक कारोबार से जुड़े करीब पांच हजार कारीगरों के आगे भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया, लेकिन अनलॉक-1 ने इस कारोबार को भी संजीवनी दे दी। साथ ही कारोबार का ट्रेंड बदलकर ऑनलाइन हो गया। 

हैदराबाद व बेंगलुरु के ढोलक निर्यातकों से वाट््सएप व ईमेल के जरिये करीब दस लाख के आर्डर मिल चुके हैं। निर्यातक इन्हें जर्मनी भेजेंगे। वहीं फ्लिपकार्ट और अमेजन भी हस्तनिर्मित लकड़ी के वाद्ययंत्रों के आर्डर दे रहे हैं। 

ढोलक कारोबारी शक्ति कुमार बताते हैं कि कारोबार के लिए टूर प्रणाली पर विराम लग गया है। अब सब कुछ ऑनलाइन ही होगा, इसकी शुरुआत भी हो गई है। इससे टूर पर प्रतिवर्ष खर्च होने वाले लाखों रुपये भी बचेंगे।

ढोलक से ज्यादा जिम्बे की मांग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अमरोहा की ढोलक को एक जिला एक उत्पाद योजना में भी शामिल किया है। इस समय ढोलक से ज्यादा मांग जिम्बे की हो रही है। शक्ति कुमार बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में खेतों से जानवरों व पक्षियों को भगाने के लिए जिम्बे का प्रयोग किया जाता था। बाद में इसका प्रयोग आर्केस्ट्रा में होने लगा। पहले इसे चीन तैयार कर ढाई हजार में बेचता था। मगर अमरोहा में उससे बेहतर क्वालिटी का जिम्बे महज डेढ़ हजार में तैयार होने लगा है। इसके चलते दुनिया भर से अब जिम्बे की मांग अमरोहा से होने लगी है। 

पटरी पर लौटने लगा कारोबार 

लकड़ी हस्तकला एसोसिएशन के मंत्री दीपक अग्रवाल का कहना है कि अनलॉक-1 के बाद अमरोहा का ढोलक कारोबार पटरी पर लौटने लगा है। हालांकि अब इसका ट्रेंड बदल गया है। पहले कारोबारी अमरोहा आकर ऑर्डर देते थे लेकिन, अब ई-मेल के लिए जरिये दे रहे हैं। फ्लिपकार्ट व अमेजन से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। पुराने निर्यातक भी वाट््सएप व ई-मेल पर आर्डर देने लगे हैं। जर्मनी के लिए पहली खेप बेंगलुरु व हैदराबाद के निर्यातकों को भेज दी गई है। उम्मीद है कि अब ढोलक कारोबार पहले से भी बेहतर ढंग से चल सकेगा। 

 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.