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आजम खां से बढ़ती दूरी के बीच सपा की मुस्लिम मतदाताओं पर निगाहें, जावेद अली को फिर राज्‍यसभा भेजने की तैयारी

वर्तमान परिदृश्य में सपा की मुस्लिम राजनीति के लिए कठिन समय है। ऐसे में सपा ने सम्‍भल से राज्‍यसभा सदस्‍य के रूप में जावेद अली को उम्‍मीदवार बनाकर कई समीकरण साधने के प्रयास किए हैं। जावेद अली खान को प्रोफेसर राम गोपाल का बेहद करीबी माना जाता है।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 05:12 PM (IST)
आजम खां से बढ़ती दूरी के बीच सपा की मुस्लिम मतदाताओं पर निगाहें, जावेद अली को फिर राज्‍यसभा भेजने की तैयारी
सम्भल के जावेद अली खां पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है।

सम्‍भल, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के वरिष्‍ठ व सबसे बड़े मुस्लिम नेता आजम खां से पार्टी की दूरियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं। इसे लेकर सपा ने आगामी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पश्चिमी उप्र की मुस्लिम राजनीति का सम्भल बड़ा केंद्र बन चुका है। राज्यसभा सदस्य पद के लिए सपा से नामांकन करने वाले सम्भल के जावेद अली खां पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है। साथ ही पार्टी ने आजम से बढ़ती दूरियों के बीच मुस्लिम मतदाताओं को भी साधने का प्रयास किया है।

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वर्तमान परिदृश्य में सपा की मुस्लिम राजनीति के लिए कठिन समय है। ऐसे में सपा ने सम्‍भल से राज्‍यसभा सदस्‍य के रूप में जावेद अली को उम्‍मीदवार बनाकर कई समीकरण साधने के प्रयास किए हैं। जावेद अली खान को प्रोफेसर राम गोपाल का बेहद करीबी माना जाता है। 2004 में जब सम्भल से प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने चुनाव लड़ा तो पूरा मैनेजमेंट जावेद अली खान ने भी संभाला था। समाजवादी पार्टी ने इस समय सम्भल पर पूरी तरह से फोकस किया है।

सम्भल में समाजवादी पार्टी दो खेमा में बंटा रहता है। एक में वर्तमान सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क हैं तो दूसरे में पूर्व कैबिनेट मंत्री नवाब इकबाल महमूद। जग जाहिर है कि दोनों खेमा पार्टी के अंदर काफी मजबूत स्थिति में हैं और सपा हाईकमान को भी इनके बीच संतुलन बनाए रखने में कई बार असहज की स्थिति का सामना करना पड़ जाता है। विधानसभा चुनाव में सांसद डा. बर्क के पोते को सपा ने टिकट देकर मुरादाबाद के कुंदरकी से विधायक बनवा दिया तो सम्भल से इकबाल महमूद ने सातवीं जीत दर्ज कर विधायक का ताज पहना। यह भी माना जाता है कि जावेद अली खान का नवाब इकबाल महमूद से जुड़ाव है। ऐसे में पार्टी ने सम्भल में दोनों खेमे में एक सांसद और एक विधायक बांट दिया। यह तो स्थानीय राजनीति रही है लेकिन, असल मुद्दा पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश की राजनीति से जुड़ा है। आजम खां के जेल से बाहर आने के बाद राजनीतिक समीकरण बदलते दिखाई दे रहेे हैं।  

हालांकि सार्वजनिक रूप से बयानों से बचने वाले आजम खां बाद में कोई बड़ा परिवर्तन न कर दें इसके लिए सपा ने तैयारी शुरू कर दी है। सम्भल से मुस्लिम प्रत्‍याशी को राज्‍यसभा सदस्‍य भेजकर पार्टी आजम खां के चलते हुए डैमेज को कंट्रोल करने में लग गई है। जावेद अली खां बहजोई के रहने वाले हैं और समाजवादी पार्टी में उनकी अच्छी पकड़ है। दिल्ली में रहने के कारण उनका मिलना जुलना प्रोफेसर राम गोपाल यादव से ज्यादा रहा है। मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने तो 2004 में सम्भल से प्रो राम गोपाल यादव ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जावेद अली खान ने पूरी मेहनत भी की। वह 2014 से 2020 तक राज्‍यसभा सदस्‍य रह चुके हैं। एक बार फिर पार्टी ने जावेद अली पर भराेेेसा जताया है। 

राज्‍यसभा के पूर्व सदस्‍य जावेद अली खां ने कहा कि पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया है। इसके लिए मैं मुलायम सिंह यादव, प्रो. राम गोपाल यादव, अखिलेश यादव का आभारी हूं। आम जन की लड़ाई सपा ही बेहतर तरीके से लड़ सकती है। मैं दोबारा राज्‍यसभा पहुंचा तो उच्च सदन में सपा की आवाज मजबूती से रखूंगा।


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