कमाल: पंद्रह साल की थी किशोरी, छह माह में हो गई 19 साल की
मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उम्र प्रमाण पत्र जारी करने का दावा करने वाले जिला अस्पताल के चिकित्सकों का एक बड़ा कारनामा उजागर हुआ है। पहले मेडिकल परीक्षण में जिस किशोरी की उम्र 15 वर्ष बताई गई थी, छह माह बाद उसी किशोरी का 19 वर्ष का मेडिकल प्रमाण पत्र बना दिया।
मुरादाबाद : मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उम्र प्रमाण पत्र जारी करने का दावा करने वाले जिला अस्पताल के चिकित्सकों का एक बड़ा कारनामा उजागर हुआ है। पहले मेडिकल परीक्षण में जिस किशोरी की उम्र 15 वर्ष बताई गई थी, छह माह बाद उसी किशोरी का 19 वर्ष का मेडिकल प्रमाण पत्र बना दिया। चिकित्सकों के कारनामे से न सिर्फ बाल व महिला संरक्षण कानून चौराहे पर है, बल्कि एक अनाथ त्रिशंकु बन गई है।
कांठ क्षेत्र में लावारिस मिली थी किशोरी
दिसंबर 2017 में कांठ थाना क्षेत्र के उमरी चौराहे से एक लावारिश किशोरी पुलिस के हाथ लगी। कांस्टेबिल रविन्द्र कुमार ने वाकये से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। किशोरी का मेडिकल कराया गया। पुलिस ने चिकित्सकों से लड़की की वास्तविक उम्र पूछी? रिपोर्ट मिलने तक किशोरी नारी निकेतन मुरादाबाद के सुपुर्द की गई। 29 दिसंबर को आयु प्रमाण पत्र जिला अस्पताल से जारी हुआ, जिसमें उम्र पंद्रह वर्ष बताई गई। पुष्टि के तत्काल बाद एडीएम प्रशासन ने प्रकरण बाल कल्याण समिति के पाले में डाल दिया।
फिलहाल, सहारनपुर जिले में है किशोरी
प्रकरण की सुनवाई करते हुए एक जनवरी 2018 को सीडब्ल्यूसी ने किशोरी को राजकीय महिला बालगृह बालिका पुष्पांजलि बिहार सहारनपुर भेजा। 16 मई को सीडब्ल्यूसी की काउंसलर डिंपल सहारनपुर पहुंचीं। वहां बातचीत में किशोरी ने अपना नाम व पता बताया। परिजनों से दोबारा मिलने की राह में आधा अधूरा पता रोड़ा बना। बहरहाल किशोरी सहारनपुर में है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी के पत्र से खुला मामला
मामले में नया मोड़ तब आया जब सहारनपुर के जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बाल कल्याण समिति मुरादाबाद को एक पत्र भेजा। डीपीओ ने बताया कि किशोरी की वास्तविक उम्र 19 वर्ष है। ऐसे में किशोरी राजकीय महिला बालगृह सहारनपुर में रहने की पात्र नहीं है। पत्र मिलते ही सीडब्ल्यूसी का माथा ठनक गया। वह सोचने पर मजबूर हो गई कि जो किशोरी महज छह माह पूर्व पंद्रह वर्ष की थी, वह अचानक 19 वर्ष की कैसे हो गई।
डीपीओ को सीडब्ल्यूसी ने दलीलें खारिज कीं
जवाब की तलाश में सहारनपुर के डीपीओ को सीडब्ल्यूसी ने दलीलें दीं। इसे खारिज करते हुए डीपीओ ने बताया कि सहारनपुर भेजे जाने से पहले नारी निकेतन मुरादाबाद ने किशोरी का मेडिकल कराया था। 21 मई 2018 को जारी आयु प्रमाण पत्र में लड़की की उम्र 19 वर्ष बताई गई है। यह सुनते ही सीडब्ल्यूसी ने सिर पकड़ लिया। उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा कि मुरादाबाद जिला अस्पताल सिर्फ छह माह के भीतर किसी की उम्र में चार वर्ष की हेराफेरी कर सकता है।
छाई धुंध मिटाने की कोशिश
बहरहाल सहारनपुर के जिला प्रोबेशन अधिकारी के पत्र के जवाब में सीडब्ल्यूसी ने स्थानीय प्रशासन से विचार विमर्श करने का मन बनाया है। इस बावत सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष गुलजार अहमद ने कहा कि वास्तविक आयु प्रमाण पत्र कौन है? इस पर छाई धुंध मिटाने की कोशिश होगी। आयु की पुष्टि बाद किशोरी के बावत निर्णय लिया जाएगा।
ये बोले एसीएमओ
एक्सरे के मुताबिक ही रिपोर्ट दी जाती है। उस वक्त एक्सरे की क्या स्थिति थी और अब के एक्सरे में क्या निकला है वो देखा जाएगा। सोमवार को ही इसकी पड़ताल कराएंगे।
-डॉ. दिनेश कुमार प्रेमी, एडिशनल सीएमओ।