सात फेरों के बाद सात घंटे भी साथ नहीं रह पाए दूल्हा-दुल्हन Sambhal News
ड़क हादसे की जानकारी में बेटी की मौत की जानकारी मिलते ही पिता समेत पूरे परिवार में मातम छा गया। हर ओर चीखें सुनाई देने लगीं। हर आंख से आंसुओं का सैलाब बहने लगा।
सम्भल, जेएनएन। शादी में दूल्हा-दुल्हन सात फेरे लेकर सात जन्मों तक साथ निभाने की कसम खाते हैं लेकिन, शिवानी और मनोज का साथ सात घंटे भी नहीं रहा। शिवानी अपने पति के साथ ही इस दुनिया को भी छोड़कर चली गई।
मनोज ने गुरुवार को भोर में चार बजे दुल्हन शिवानी के साथ सात फेरे लिए थे। हर फेरे के साथ उसने भी पत्नी से सात जन्म तक साथ निभाने का वादा किया था। उसे क्या पता था कि सात जन्म का साथ निभाने का वादा सात घंटे भी नहीं चलेगा। जिसे मैं ङ्क्षजदगी भर के लिए अपने साथ लेकर जा रहा हूं, वह मेरे घर तक भी नहीं पहुंच पाएगी। सुबह पौने सात बजे मनोज खुशी-खुशी पत्नी को साथ लेकर कार से वह निकला तो अपने सास ससुर से आशीर्वाद लिया। दोनों पति-पत्नी काफी खुश थे। दोनों का वैवाहिक जीवन कुछ ही घंटे पहले शुरू हुआ था लेकिन, एक हादसे में सात फेरों का साथ सात घंटे भी न चल सका। शिवानी की मौके पर ही मौत हो गई और मनोज जिंदगी व मौत से अस्पताल में जूझ रहा है। यह जानकारी चन्दौसी के मुहल्ला चुन्नी निवासी शिवानी के पिता महेंद्र ङ्क्षसह, मां सोनी व भाई सुमित के साथ ससुरालियों को लगी तो चीख पुकार मच गई। सभी लोग घटनास्थल की ओर भाग पड़े।
हर ओर मच गया कोहराम
बेटी शिवानी को माता-पिता ने गुरुवार को सुबह विदा किया था। उन्हें क्या पता था कि जिसे हम खुशी-खुशी विदा कर रहे हैं। वह कुछ घंटे बाद ही उसका शव यहां पर पहुंच जाएगा। दोपहर बाद जैसे ही चन्दौसी में शव पहुंचा तो परिवार के ही नहीं बल्कि पूरे मुहल्ले के लोगों की आंखें नम हो गई। हर ओर कोहराम मच गया। हर किसी की आंख से आंसू टपक रहे थे।
छह माह पूर्व तय हुआ था रिश्ता
ग्राम अनौना थाना शिकारपुर जनपद बुलंदशहर निवासी दूल्हा मनोज के बहनोई लालाराम ने बताया कि मनोज का रिश्ता चन्दौसी की शिवानी के साथ छह माह पूर्व तय हुआ था। 15 जनवरी को बरात आई थी और शादी संपन्न होने के बाद हम लोग दुल्हन को लेकर घर वापस लौट रहे थे। दूल्हा और दुल्हन की कार आगे चल रही थी जबकि मैं बाइक से करीब एक किमी पीछे चल रहा था। हादसे के बाद अचानक फोन आया तभी मैं मौके पर पहुंचा। जहां सभी लोग बुरी तरह से फंसे हुए थे। निकट के गांव के लोगों ने काफी मदद की जिसके बाद समय रहते हुए लोगों को बाहर निकाला जा सका लेकिन, दुर्भाग्य से शिवानी की मौत हो गई।
हादसे के बाद फरिश्ता बनकर पहुंचे ग्रामीण
हादसे में घायल दूल्हे की बहन दीपक के पति बिरजू ने बताया कि कार के पलटने के बाद सभी लोग उसमें बुरी तरह से फंसे हुए थे। हम दूसरी कार में पीछे चल रहे थे जैसे ही वहां पहुंचे तो उन्हें निकालने के लिए हमारे पास में कोई साधन नहीं था। पेड़ के फंस जाने के बाद घायलों को निकालने में दिक्कत आ रही थी। इस दौरान निकट के गांव बमनेटा के काफी तादाद में ग्रामीण पहुंचे। उन्होंने तुरंत पेड़ काटना शुरू कर दिया और घायलों को बाहर निकाला। अगर समय पर मदद नहीं मिली होती तो शायद स्थिति और गंभीर हो जाती।
चीखों में बदल गई शहनाई की गूंज
रात भर जिस घर में शहनाइयां बज रही थीं हर कोई खुशी मना रहा था। बेटी विदाई के बाद पिता महेंद्र सिंह सुकून के साथ बैठ भी न पाए थे कि उनके ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। चंद मिनटों पहले जिस बेटी को विदा किया था वो दुनिया से ही विदा हो चुकी थी। बेटी की मौत की खबर सुनते ही वह बेसुध से हो गए। जहां पूरी रात शहनाई गूंजी वहां चीखों का शोर गूंजने लगा।
जिस पिता ने 22 साल तक अपनी बेटी को लाड़-प्यार से पालकर पोसकर बड़ा किया और उसकी शादी का सपना संजोया था। जिसकी शादी के लिए तिनका-तिनका जोड़कर पैसा एकत्र किया था वह दिन बुधवार की शाम को आया। समय से बरात आ गई और धूमधाम से बरात की चढ़त हुई। धर्मशाला की गेट पर खड़े होकर प्रत्येक व्यक्ति का स्वागत पिता ने ऐसे किया कि उसकी बेटी की शादी में कोई नाराज न हो जाए। बरातियों के स्वागत के बाद फेरों का कार्यक्रम संपन्न हुआ तो पिता ने भी राहत की सांस ली। बेटी को अपने घर से विदा करने का समय आ गया था। घर में शहनाइयां बज रही थी। गुरुवार को सुबह पौने सात बजे सात बजे भारी मन से बेटी को दामाद के साथ विदा कर दिया और उसके सुखद वैवाहिक जीवन की कामना की, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। बेटी को विदा किए कुछ देर ही हुई थी कि उसकी मौत की खबर आ गई।