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यूपी के सम्‍भल में हादसा, खोदाई के दौरान मिट्टी के नीचे दबकर किसान की मौत

Accident in Sambhal बचाव कार्य के दौरान तमाशबीन बनी रही डायल 112 पुलिस न खुद की मदद और न ही मौके पर मंगाई एंबुलेंस।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 03:28 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 03:28 PM (IST)
यूपी के सम्‍भल में हादसा, खोदाई के दौरान मिट्टी के नीचे दबकर किसान की मौत
यूपी के सम्‍भल में हादसा, खोदाई के दौरान मिट्टी के नीचे दबकर किसान की मौत

सम्‍भल, जेएनएन। बहजोई मेंं बोरवेल को सही करने के लिए कुईयांं खोदकर मिट्टी निकालने केे दौरान बड़ा हादसा हो गया। मिट्टी के नीचे किसान दब गया। हादसा देख ऊपर खड़े उसके मासूम बेटे ने शोर मचाया लेकिन मदद के लिए पास में कोई नहीं था। इसके बाद वह दौड़कर गांव पहुंचा और ग्रामीणों को बुलाकर लाया। करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने फावड़े से मिट्टी हटाकर किसान को बाहर निकाला और निजी वाहन से बहजोई के निजी अस्पताल लेकर आए, जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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कोतवाली बहजोई क्षेत्र के गांव शंकरपुर में चंद्रकेश (45 वर्ष) पुत्र बादाम सिंह का गांव से तकरीबन पांच सौ मीटर की दूरी पर खेत है, जहां नलकूप बना हुआ है। उसका बोरिंग खराब होने के बाद रविवार की दोपहर तकरीबन 12 बजे वह अपने मासूम बेटे किशनवीर के साथ बोरवेल की कुईयांं खोदने लगा। चंद्रकेश गड्ढा खोदकर नीचे से मिट्टी ऊपर दे रहा था और उसका बेटा फावड़े से मिट्टी हाथ में लेकर ऊपर डाल रहा था। मासूम बेटे के अनुसार मिट्टी निकालने के दौरान करीब सात से आठ फीट गहरा गड्ढा हो गया, तभी एक किनारे से मिट्टी धंस गई, जिससे उसके पिता मिट्टी के नीचे दब गए। उसके बेटे ने काफी चीखा चिल्लाया और शोर मचाया लेकिन वहां लोगों के मौजूद नहीं होने से तत्काल मदद नहीं हो सकी। जिसके बाद दौड़ा-दौड़ा बेटा गांव गया और ग्रामीण मदद के लिए आए। इसी दौरान ग्रामीणों ने डायल 112 को फोन भी कर दिया और खुद फावड़ा लेकर मिट्टी निकालने लगे। वहीं, मौके पर पहुंची डायल 112 की पुलिस एक घंटे तक चले बचाव कार्य के दौरान मूकदर्शक बनी रही, न तो बचाव कार्य में सहयोग दिया और न ही समय से एंबुलेंस मंगाई, करीब एक घंटा बाद मौके पर जेसीबी पहुंची लेकिन उससे ठीक पहले ग्रामीणों ने दबे किसान को बाहर निकाल लिया लेकिन तत्काल में एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण करीब 15 से 20 मिनट तक उसे वहीं रख लिया, जिसके बाद निजी वाहन के जरिए किसान को बहजोई के निजी अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

अगर मंगाई होती एंबुलेंस तो बच सकती थी जान

हादसे के दौरान ग्रामीण बचाव कार्य में लगे हुए थे। तभी वहां डायल 112 की पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी रही। ग्रामीणों की माने तो पुलिस ने अगर मदद की होती या समय रहते जेसीबी आ गई होती तो शायद किसान को जल्दी बाहर निकाल लिया जाता। किसान को अस्पताल ले जाने के लिए 20 से 25 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। अगर पुलिस ने समय रहते एंबुलेंस की व्यवस्था की होती और समय से उपचार मिल गया होता तो शायद किसान की जान बच जाती।

अपने वाहन से अस्पताल क्यों नहीं ले गई पुलिस

अगर कहीं हादसा होता है तो यूपी पुलिस की पीआरवी सेवा घायल को तत्काल मदद देते हुए एंबुलेंस का इंतजार नहीं करती है और अपने वाहन से अस्पताल तक पहुंचाती हैं लेकिन शंकरपुर में कुईयां में दबे किसान को बाहर निकालने के बाद पुलिस घटनास्थल से दूर अपने वाहन के पास जा खड़ी रही। इसके चलते ग्रामीण पुलिस पर सहयोग न करने का आरोप भी लगाते दिखे। एक ग्रामीणों ने बताया कि अगर थाने की पुलिस होती तो जरूर सहयोग मिलता। इस संबंध में चंदौसी के सीओ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि हम एक मुठभेड़ की घटना में व्यस्त थे इस घटना की जानकारी हमें नहीं है। 


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