रामपुर में जंगली कुत्तों के झुंड ने बाड़े पर किया हमला, 78 भेड़ों की मौत
Attack of wild dogs रामपुर के स्वार में जंगली कुत्तों का झुंड भेड़ों के बाड़े में पहुंच गया। इससे एक ही कमरे के अंदर एक के ऊपर लद गई। काफी संख्या में भेड़ों की मौत हुई है।
रामपुर, जेएनएन। Attack of wild dogs। मसवासी मेें जंगली कुत्तों के झुंड ने चरवाहे के बाड़े में घुसकर भेड़ों पर हमला बोल दिया, जिसमें 78 भेड़ों की मौत हो गई, जबकि 16 घायल हो गईं। शोरशराबे पर पहुंचे ग्रामीणों ने कुत्तों को खदेड़ा।
घटना क्षेत्र के गांव हसनपुर उत्तरी निवासी बाबू पाल के यहां हुई। बाबू के अनुसार गुरुवार को तड़के करीब चार बजे मकान के पास ही बाड़े में मौजूद भेड़ों पर जंगली कुत्तों ने हमला बोल दिया। इस दौरान कुत्तों और भेड़ों की आवाजों को सुन कर परिवार के लोगों के कान खड़े हो गए। वे तत्काल वहां पहुंचे। लेकिन, कुत्तों की संख्या और उनके तेवर देख किसी की पास जाने की हिम्मत नहीं हो सकी। उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया, जिस पर पड़ोसी भी इकट्ठा हो गए। सबने लाठी-डंडों की सहायता से कुत्तों को बमुश्किल वहां से खदेड़ा। कुत्तों के हटने के बाद जब बाड़े में जाकर देखा तो 78 भेड़ें मर चुकी थीं तथा 16 घायल हो गईं थीं। सूचना पर स्वार कोतवाली प्रभारी रूम सिंह बघेल और चौकी इंचार्ज अमरसेन मौके पर पहुंच गए। उन्होंने परिवार के लोगों से मामले की जानकारी ली। ग्रामीणों से भी पूछताछ की गई।
चिकित्सकों ने किया पोस्टमार्टम
पीड़ित ने बताया कि उसने स्वयं जंगली कुत्तों को भेड़ों पर हमला करते हुए देखा है। दोपहर बाद पशु चिकित्सकों की टीम भी मौके पर पहुंच गई थी। लोकिन तब तक मरी भेड़ों के शव जमीन में दफनाए जा चुके थे। डाक्टरोंं ने बाहर निकालकर पोस्टमार्टम किया। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि कुत्तों ने जब हमला बोला तो भेड़ें घबरा गईं और बाड़े में बनी एक कोठरी में घुस गईं। एक दूसरे के ऊपर चढ़ गईं। अधिकतर भेड़ों की मौत घबराहट में दम घुटने से हुई है।
पीड़ित ने मांगी आर्थिक सहायता
पीड़ित बाबू पाल ने कोतवाल को दी तहरीर में आर्थिक सहायता की मांग की है। उप जिलाधिकारी प्रेम प्रकाश तिवारी का कहना है कि हमने लेखपाल और कानूनगो को मौके पर भेजा था। भेड़े दैवीय आपदा या महामारी से नहीं मरी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण क्या आता है, इसकी जानकारी मिलने पर आगे की कार्रवाई करेंगे। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह का कहना है कि बाबू पाल का परिवार गरीब है। शासन के नियमों के अनुसार उसे आर्थिक सहायता मुहैया कराने का प्रयास किया जाएगा। वन विभाग से रिपोर्ट मांगी जा रही है। जंगली कुत्ते इतनी संख्या में कहां से आए, इसकी भी जानकारी की जा रही है। उन्हे पकड़वाने का भी प्रयास करेंगे।
मुसीबत के ऊपर आई दूसरी मुसीबत
बाबूपाल के गुरुवार का दिन बड़ी मुसीबत भरा रहा। उसके भाई सूरजपाल की पांच वर्षीय पुत्री प्रिया का छह माह से स्वास्थ्य खराब चल रहा था। उसका मुरादाबाद के अस्पताल में उपचार चल रहा था। बुधवार को देर रात उसकी मौत हो गई, जिससे परिवार में कोहराम का माहौल था। इसी बीच तड़के यह घटना हो गई। एक गम के आंसू उनकी आंखों से सूखे न थे कि मुसीबत का एक और पहाड़ इस परिवार पर टूट पड़ा, जिसके चलते सबका रो रोकर बुरा हाल है